सदर के बीडीओ और एडीओ एसटी कर रहें महिला कर्मियों को अपमानित!

सदर के बीडीओ और एडीओ एसटी कर रहें महिला कर्मियों को अपमानित!

सदर के बीडीओ और एडीओ एसटी कर रहें महिला कर्मियों को अपमानित!

-कार्यालय के लोगों का मानना हैं, कि अगर इसी तरह अपमानित अधिकारी करते रहे तो इस ब्लॉक में कभी भी कोई अप्रिय घटना घट सकती

-कभी बीडीओ करते हैं, तो कभी एडीओ एसटी करते, यह दोनों बुजुर्ग महिलाओं को भी अपमानित करने से नहीं चूकते

-बीडीओ का देर रात तक रोकना, अपषब्द कहना, अनावष्यक धमकाना दोनों साहबों की पहचान बन गई

-एडीओ कहते लगभग 52 साल की स्थापना सहायक को कहते हैं, कि कुछ आता-जाता नहीं हैं, जाओ इस्तीफा दो और घर में चौका बर्तन करो

-इससे पहले बीडीओ के द्वारा एपीओ नेहा गोलहानी को मनरेगा के फर्जी कार्यो पर हस्ताक्षर ना करने के चलते प्रताड़ित कर चुके

-इस कार्यालय में कार्यरत् स्थापना सहायक रीता श्रीवास्तवा, मनरेगा कम्पयूटर आपरेटर फरहत जहां, एडीओ समाज कल्याण पूनम चौधरी, पत्रवाहक गीता पांडेय और रागिनी बाला त्रिपाठी अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही

बस्ती। सदर ब्लॉक की आधा दर्जन कामकाजी महिलाएं अगर बीडीओ और एडीओ एसटी के द्वारा निरंतर अपमानित हो रही है, तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है। ऐसा लगता है, कि मानो इन अधिकारियों को महिला कर्मियों की इज्जत करना ही नहीं आता, अगर आता तो अपमानित ना करते, यह लोग तो अपने घर की महिलाओं की तो खूब इज्जत करते हैं, लेकिन दूसरे परिवार की महिलाओं की नहीं करते, जब कि महिलाएं सबसे अधिक अपने साहब से मान-सम्मान और इज्जत की अपेक्षा करती है। जो अधिकारी महिलाओं का समान और इज्जत करना नहीं जानते, उन अधिकारियों से महिलाएं हमेषा अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है। इसी असुरक्षा की भावना के साथ सदर ब्लॉक कार्यालय में कार्यरत् स्थापना सहायक रीता श्रीवास्तवा, मनरेगा कम्पयूटर आपरेटर फरहत जहां, एडीओ समाज कल्याण पूनम चौधरी, पत्रवाहक गीता पांडेय और रागिनी बाला त्रिपाठी काम कर रही है। इन लोगों का कहना और मानना हैं, कि अगर वह लोग अपने साहब से ही अपमानित हो रही है, तो बाहर वालेों से क्या उम्मीद की जा सकती है? जिस बीडीओ और एडीओ को महिलाओं को इज्जत और सम्मान देना चाहिए, अगर वही दोनों साहब महिलाओं को अपमानित करने लगेंगे तो महिलाएं कहां जाएगंीं। यह एक ऐसा सवाल हैं, जिसका जबाव सभी को तलाषना होगा। कार्यालय के अंदर से जो बातें छन के आ रही हैं उसके अनुसार कहा जा रहा हैं, कि बीडीओ साहब देर रात तक महिलाओं को रोकते हैं, उन्हें सबके सामने अपमानित करते हैं, अपषब्द कहते हैं और  अनावष्यक रुप से धमकाते है। बीडीओ साहब के पदचिन्हृों पर हाल ही में आयोग से आए एडीओ एसटी भी चल पड़े हैं, यह साहब तो बीडीओ साहब से भी एक कदम आगे हैं, क्यों ना हो, आखिर यह ठहरे बीडीओ के चहेते, यह अलग बात हैं, कि बीडीओ साहब अपने चहेते को सरकारी आवास एलाट नहीं कर पाएं, यही खुन्नस वह महिला कर्मियों पर उतार रहे है। एडीओ 52 साल की स्थापना सहायक से कहते हैं, कि हम साहब हैं, हम्हें सलाम किया करां, कहते हैं, कि आप को तो कुछ आता-जाता नहीं हैं, जाओ इस्तीफा दो और घर में चौका बर्तन करो, इससे पहले बीडीओ के द्वारा एपीओ नेहा गोलहानी को मनरेगा के फर्जी कार्यो पर हस्ताक्षर ना करने के चलते प्रताड़ित करने का मामला सामने आ चुका है। लोकलाज के डर के नाते महिलाएं लिखित में षिकायत नहीं कर पा रही हैं, लेकिन कार्यालय में अपने साथियों के साथ चर्चा अवष्य करती है।

वैसे भी बीडीओ साहब भ्रष्टाचार के मामले में काफी नाम कमा चुके हैं, और अब महिलाओं को अपमानित करने के मामले में नाम कमा रहे है। सूत्रों का दावा है, कि अगर दोनों अधिकारियों का यही हाल रहा तो किसी दिन इन दोनों को भी उसी कार्यालय में अपमान का जहर पीना पड़ेगा जिस कार्यालय की महिलाएं अपमान की आग में जल रही है। कहा भी जाता है, कि जो अधिकारी अपने कर्मियों के मान-सम्मान की रक्षा ना कर सके, वह अधिकारी कहलाने लायक नहीं, इस्तीफा रीता श्रीवास्तवा जैसों को नहीं बल्कि बीडीओ और एडीओ एसटी जैसे लोगों को देना चाहिए। ब्लॉक प्रमुख होने के नाते राकेश श्रीवास्तव की भी यह जिम्मेदारी बनती है, कि उनके कार्यालय की महिलाओं का कोई अपमान ना करें, उन्हें प्रताड़ित ना करें। महिलाओं की इज्जत को सुरक्षित रखना भी इनका दायित्व है। इन्हें एक-एक महिलाओं से अलग-अलग बात करके सच्चाई का पता लगाना चाहिए, अगर महिलाओं ने सच कह दिया तो प्रमुखजी को त्वरित बीडीओ और एडीओ एसटी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखना चाहिए। अगर इन अधिकारियों के परिवार की महिलाओं को कोई अपमानित करता है, तो यह सिर पर पहाड़ तक उठा लेगें। इस तरह के अधिकारियों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही मिषन षक्ति अभियान कोई मायने नहीं रखता। प्रत्येक महिला को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार संविधान में दिया गया। कार्य स्थल पर महिलाओं की सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताया गया है। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार के द्वारा 21 अगस्त 24 को जारी आदेष में स्पष्ट कहा गया है, कि किसी भी महिला कर्मी को निर्धारित समय अवधि से अधिक काम ना लिया जाए, लेकिन बीडीओ साहब निरंतर देर सांय को महिलाओं को रोके रहते है।

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