रामनगर की महिला प्रधान ज्योति पांडेय बनी वीआईपी मजदूर
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 26 May, 2025 23:18
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रामनगर की महिला प्रधान ज्योति पांडेय बनी वीआईपी मजदूर
-मजदूरी का इनके खाते में पहुंचा छह लाख नौ हजार 968 रुपया, इनके खाते में 30 बार मजदूरी का पैसा पहुंचा
-ग्राम विकास अधिकारी विनय कुमार शुक्ल प्रदेश के पहले ऐसे भ्रष्ट सचिव है, जिनके चार ग्राम पंचायतों के भ्रष्टाचार चार बार लोकायुक्त के आदेश पर हो रहा
-जिला विकास अधिकारी कार्यालय इस भ्रष्ट सचिव पर इतना मेहरबान रहता है, कि जैसे यी निलंबित होते हैं, वैसे इन्हें बहाल करके फिर लूटने का मौका दे देता
-प्रधान ने तो मजदूरी का लाखों अपने खातें में लिया, लेकिन सचिव ने एक ऐसे आरके इंटरप्राइजेज नामक को सामग्री का 16.49 लाख कर दिया जो धरातल पर ही नहीं
-डीएम ने एसडीएम न्यायिक हर्रैया, सीओ कलवारी और वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी को बनाया जांच अधिकारी
-अगर भ्रष्ट प्रधान और सचिव के खिलाफ कार्रवाई करानी हो तो लोकायुक्त के यहां फरियाद करना होगा, डीएम, सीडीओ और डीपीआरओ से शिकायत करने से कुछ नहीं होगा
बस्ती। चौकिएं मत! विकास खंड दुबौलिया के ग्राम पंचायत रामनगर की महिला प्रधान ज्योति पांडेय प्रदेश की पहली महिला प्रधान होगी, जो मजदूरी करके परिवार का जीवन सापन कर रही है। इन्हें प्रदेश का वीआईपी मजदूर भी कहा जाता है। क्यों कि इनके खाते में मजदूरी का छह लाख नौ हजार 968 रुपया खाते में गया, यह मजदूरी का पैसा 30 काम करने के बाद मिला। इतना ही नहीं इसी ग्राम पंचायत के ग्राम विकास अधिकारी विनय कुमार षुक्ल प्रधान की तरह प्रदेष के पहले ऐसे सचिव होगें, जिनकी जांच लोकायुक्त चार ग्राम पंचायतों की कर रहा है। लोग एक लोकायुक्त की जांच को नहीं झेल पाते हैं, और यह सचिव चार-चार जांच का सामना कर रहे हैं, इसके बावजूद यह जिला विकास अधिकारी कार्यालय के दुलारा बने हुए है। जाहिर सी बात हैं, दुलारा वही सचिव हो सकता है, जो कमाउपूत होता है। जिस तरह प्रधान ने मजदूरी का लाखों रुपया अपने खाते में लिया, ठीक उसी तरह सचिव ने अपने मित्र आरके इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर राजकुमार यादव को 16 लाख 49 हजार से अधिक भुगतान कर दिया, जो फर्म अस्तित्व में ही नहीं है। कहने का मतलब प्रधान और सचिव दोनों ने मिलकर अपने-अपने तरीके से सरकारी धन का गबन किया। ब्लॉक के प्रधान संघ के महामंत्री जब प्रधानी करेगें तो भ्रष्टाचार होगा ही, पता नहीं कैसे और किस नियम के तहत ऐसे बाहरी व्यक्तियों को प्रधान संघ का पदाधिकारी बना दिया जाता है, जो प्रधान ही नहीं होता। वैसे ही थोड़े दुबौलिया बर्बाद हुआ। देखा जाए तो नकली प्रधान से बने और नकली पदाधिकारी ही ब्लॉकों को भ्रष्टाचार की ओर ढकेल रहे है। जिन पदाधिकारियों की जिम्मेदारी भ्रष्टाचार को मिटाने की होती है, अगर वही पदाधिकारी भ्रष्टाचार करने लगे तो गांव का विकास कहां से और कैसे होगा? बहरहाल, यह कहानी लगभग सभी ब्लॉकों के अध्यक्षों और महामंत्रियों सहित अन्य की है। यह लोग पदाधिकारी ही इसी लिए बनते हैं, ताकि अधिक से अधिक लूटपाट कर सके। इस ग्राम पंचायत के भ्रष्टाचार की शिकायत ग्राम बैरागल के विरेंद्र पुत्र जगदीश ने साक्ष्य के साथ लोकायुक्त से किया। डीएम ने एसडीएम न्यायिक हर्रैया, सीओ कलवारी और वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी को जांच अधिकारी बनाया।
सचिव विनय कुमार शुक्ल के बारे में शिकायत में कहा गया कि यह 2019 से आठ जनवरी 25 तक ग्राम पंचायत में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके कार्यरत रहे। कहा कि यह सरकारी धन को लूटने में इतने आतुर रहे कि इन्होंने सारे नियम कानून को दरकिनार करके प्रधान के साथ मिलकर 2019-20 से लेकर 24-25 तक प्रधान ज्योति पांडेय के निजि खाते में छह लाख नौ हजार 968 रुपया भेज दिया। इसी तरह सचिव ने अपने मित्र के अस्तित्वहीन फर्म आरके इंटरप्राइजेज जिसके प्रोपराइटर राजकुमार यादव है, सात अक्टूबर 20 से 25 नवंबर 24 तक 16 लाख 49 हजार 493 का भुगतान करके गबन कर लिया। इस फर्म के द्वारा जीएसटी और इंकम टैक्स की चोरी भी की गई।
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