पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने पर क्या पति पर केस चलेगा? सुप्रीम कोर्ट में CJI चंद्रचूड़ की बेंच आज करेगी सुनवाई
- Posted By: Tejyug News LIVE
- ताज़ा खबर
- Updated: 24 September, 2024 11:46
- 103

Marital Rape Case: पत्नी के साथ जबरन संबंध बनाने पर क्या पति पर केस चलेगा? सुप्रीम कोर्ट में CJI चंद्रचूड़ की बेंच आज करेगी सुनवाई
Marital Rape Case: बीएनएस की धारा 63 (बलात्कार) के अपवाद-दो में कहा गया है, ''किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौनाचार बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है, यदि पत्नी की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं है.''
सुप्रीम कोर्ट इस जटिल कानूनी प्रश्न संबंधी याचिकाओं पर मंगलवार (24 सितंबर) को सुनवाई करेगा कि क्या अपनी बालिग पत्नी को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करने वाले पति को बलात्कार के अपराध वाले मुकदमे से छूट मिलनी चाहिए. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने सोमवार को कहा कि ये याचिकाएं पहले ही 'कल के लिए सूचीबद्ध' हैं.
मामले में एक वादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने संबंधी अपील का उल्लेख किया. इससे पहले 18 सितंबर को एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा था कि याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है.
सुप्रीम कोर्ट इस विवादास्पद कानूनी प्रश्न से संबंधित याचिकाओं को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर 16 जुलाई को सहमत हो गया था. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने संकेत दिया था कि इन याचिकाओं पर 18 जुलाई को सुनवाई हो सकती है.
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह अब भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) ने ले ली है. बीएनएस की धारा 63 (बलात्कार) के अपवाद-दो में कहा गया है, ''किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ यौन संबंध या यौनाचार बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है, यदि पत्नी की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं है.''
केंद्र सरकार को जारी किया गया था नोटिस
शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी, 2023 को भारतीय दंड संहिता के संबंधित प्रावधान पर आपत्ति जताने वाली कई याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था, जिसके तहत बालिग पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाने के मामले में पति को अभियोजन से छूट प्राप्त है. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को इस मुद्दे पर बीएनएस के प्रावधान को चुनौती देने वाली एक समान याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था.
नये आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, एक जुलाई से प्रभावी हुए हैं, जिन्होंने पुराने आपराधिक कानूनों का स्थान लिया है. पीठ ने कहा था, ''हमें वैवाहिक बलात्कार से संबंधित मामलों को सुलझाना है.''
याचिका पर केंद्र ने दिया था ये जवाब
इससे पहले, केंद्र ने कहा था कि इस मुद्दे के कानूनी और सामाजिक निहितार्थ हैं और सरकार इन याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करना चाहेगी. इनमें से एक याचिका इस मुद्दे पर 11 मई, 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट के खंडित फैसले से संबंधित है. यह अपील एक महिला द्वारा दायर की गई है जो दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं में से एक थी.
Comments