पूनम पांडेयजी नाचना, गाना, रील बनाना इतना पसंद तो नौकरी छोड़िए!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- ताज़ा खबर
- Updated: 17 May, 2025 20:24
- 160

पूनम पांडेयजी नाचना, गाना, रील बनाना इतना पसंद तो नौकरी छोड़िए!
-अभी तक नकली प्रमुख, नकली प्रधान, नकली प्रतिनिधि और अब नकली रोजगार सेवक
-हर्रॅैया के विधायक अजय सिंह पर आरोप लगाने वाली रोजगार सेवक पूनम पांडेय के मैकेनिक पति लगाते मजदूरों की हाजरी
-भेलमापुर के नकली प्रधान को जीताने के लिए इन्होंने उनके 200 विरोधियों का नाम बीएलओ रहते मतदाता सूचरी से काट दिया था
-इतना ही नहीं विरोधी प्रत्याषी और उनके दो तीन समर्थकों के खिलाफ छेड़खानी का मुकदमा भी दर्ज कराया, ऐसे लोगों पर केस दर्ज करवाया जो स्कूल चलाते
-विरोध न करने और मैदान से हटने का समझौता करने के बाद नकली प्रधान के विरोधियों कीे छुटकारा मिला
-पूनम पांडेय चार साल तक भेलमापुर की रोजगार सेवक रही, तभी से इनकी और नकली प्रधान में मित्रतता का रिष्ता कायम हुआ, जो आज तक निभाया जा रहा
-विधायक पर आरोप लगाने का स्क्रिप्ट इसी गांव में रोजगार सेवक और नकली प्रधान ने तैयार किया
बस्ती। दुबौलिया ब्लॉक के ग्राम पंचायत सेमरा की रोजगार सेवक पूनम पांडेय प्रदेश की पहली ऐसी महिला रोजगार सेवक होंगी, जो सार्वजनिक रुप से अपने नाचने गाने का रील बनवाती है, और उसे यूट्यूब पर डालती भी है। यही कारण है, कि यह एक ईमानदार और अच्छी रोजगार सेवक नहीं बन पाई, लेकिन अच्छी नृत्यांगना अवष्य बन गई। इनकी अनेक रील बन चुकी है, जिसे सोषल मीडिया पर बहुत ही पसंद किया जा रहा है। यह खुले दिल की महिला है, और इन्हें इस बात का जरा भी इल्म नहीं रहता कि पत्नी और रोजगार सेवक होते हुए यह सड़क पर नाचगाकर रील बनाती। ऐसा करते समय इन्हें न तो अपने परिवार की इज्जत और न समाज का ही कोई ख्याल रहता है। वैसे इनके प्रशंसकों की सख्या कम नहीं है। नृत्यांगना होना या फिर रील बनाना कोई बुरी और गलत बात नहीं हैं। जाहिर सी बात हैं, कि अगर कोई महिला सड़क पर नाचते हुए रील बनाती है, तो वह षौक को पूरा करने के लिए तो बनाती नहीं होगी। समाज इसे पैसा कमाने का जरिया कहता है। अच्छा होता अगर नौकरी से इस्तीफा देकर रील बनाती, लेकिन जब कोई महिला सरकारी नौकरी पर रहकर रील बनाती है, तो इसे कर्मचारी आचरण नियमावली के विरुद्व माना जाता है। इसके तहत नौकरी भी जा सकती है। यह चर्चा में तब आई जब बभनपुरा में मंदिर निर्माण के दौरान इन्होंने विधायक अजय सिंह को यह सलाह दे डाली कि चुल्लू भर पानी में डूब मरिए। यह सलाह इन्होंने तब दी जब इन्हें लगा था, कि बंजर की जमीन पर कब्जा करने और मंदिर निर्माण में बाधा डालने वाले जीतू वर्मा नामकर व्यक्ति की यह थाने और तहसील में मदद कर रहे है। आरोप लगाने वाला वीडियो वायरल होते ही सनसनी फैल गई। विधायकजी के विरोधियों ने इसे सोशल मीडिया पर डालना षुरु कर दिया। उसके बाद सोशल मीडिया पर पक्ष और विपक्ष की ओर से खूब आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए।
छानबीन के दौरान इस बात का भी पता चला, कि सेमरा ग्राम पंचायत की रोजगार सेवक के पहले यह भेलमापुर की रोजगार सेवक रही। इसी बीच प्रधानी का चुनाव आ आया, इन्हेे बीएलओ बनाया गया। इन्होंने अपने दोस्त एवं नकली प्रधान के प्रत्याशी को जीताने के लिए मतदाता सूची से उनके विरोधियों का लगभग दो सौ मतदाताओं का नाम बिना किसी कारण के काट दिया, बाद में जब काफी हो हल्ला हुआ तो 150 का नाम जोड़ा गया, फिर भी 50 लोग वोट नहीं कर पाए। जो जीत का कारण बना। इतना ही नहीं इन्होंने अपने दोस्त के प्रत्याशी को जीताने के लिए प्रधान पद के प्रत्याषी और उनके दो तीन समर्थकों के खिलाफ छेड़खानी के आरोप में मुकदमा दर्ज करवा दिया। उसके बाद एक सुलहनामा हुआ, जिसमें चुनाव न लड़ने और विरोध न करने की बाते कही गई। इसी लिए इन्हें दोस्तों का दोस्त कहा जाता है, और सच्चा दोस्त तो वही होता है, जो हर मुसीबत में दोस्त के काम आए, अगर मर्यादा भी तोड़नी पड़े तो तोड़़े। इसे रोजगार सेवक की सबसे बड़ी खूबी माना जा रहा है। गांव वाले कहते भी है, कि दोस्त हो तो पूनम पांडेय जैसा। यह भी गांव वाले कहते हैं, कि एक सरकारी कर्मचारी को राजनीति से दूर रहना चाहिए। वह जितना नेताओं और राजनीति से दूर रहेगा, उतना सुखी और सकून में रहेगा। सरकार ने किसी को नौकरी इस लिए नहीं दी कि वह राजनीति करें। अगर किसी कर्मचारी को राजनीति और नेता इतने प्यारे लगते हैं, तो उन्हें इस्तीफा देकर राजनीति करनी चाहिए। वैसे रोजगार सेवक का सारा काम इनके मैकेनिक पति करते हैं, इसी लिए कहा जा रहा है, कि अभी तक तो नकली प्रमुख, नकली प्रधान और नकली प्रतिनिधि को ही जनता जानती थी, लेकिन अब तो नकली रोजगार सेवक का नाम भी नकलियों में जुड़ गया।
Comments