नया चेहरा लाइए, पार्टी की नैया डूबने से बचाइए
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 13 January, 2025 22:44
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नया चेहरा लाइए, पार्टी की नैया डूबने से बचाइए
-अगर कार्यकर्त्ताओं की पसंद का जिलाध्यक्ष नहीं बना तो हर्रैया सीट भी चली जाएगी
-अगर जिलाध्यक्ष किसी का मनई तनई बना तो पार्टी धरातल में चली जाएगी, 58 पर्चा दाखिल के लिए ही पार्टी को ही जिम्मेदार माना जा रहा
-30-35 साल से दरी बिछाने वाला अगर जिलाध्यक्ष बना तो पार्टी का ग्राफ एकाएका बढ़ जाएगा
-एसी में बैठकर निर्णय लेने वाले क्या जाने कार्यकर्त्ताओं की मंषा और उनका दर्द
-कार्यकर्त्ताओं का दर्द और उनकी इच्छा जानना हो तो कर्णधारों को उनके पास जाना होगा, उनके घरों में भाजना करना होगा, रात्रि निवास करना होगा
-पार्टी को अगर 2027 में पूरे जिले में परचम लहराना है, तो दूषित आत्माओं को या तो भगाना होगा, या फिर इनसे छुटकारा पाना होगा
-यह दूषित आत्माएं पार्टी को 2022 में काफी नुकसान पहुंचा चुकी, इन आत्माओं का सबसे बड़ा हमला हर्रैया के विधायक पर होगा
-जब तक पार्टी के भीतर दूषित आत्माएं रहेंगी, तब तक पार्टी का नुकसान होता रहेगा
बस्ती। पार्टी के जिम्मेदारों ने अगर आज उन पार्टी के कार्यकर्त्ताओं की नहीं सुनी जो पिछले 35-40 साल से पार्टी के लिए दरी बिछाते आ रहे तो पार्टी को धरातल में जाने से कोई नहीं रोक पाएगा। अगर कार्यकर्त्ताओं की पंसद का जिलाध्यक्ष नहीं बनाया गया तो जो एक सीट बची है, वह भी 2027 में चली जाएगी। अनेक खाटी कार्यकर्त्ताओं ने एक तरह से एलान कर दिया है, कि अगर इस बार किसी नये चेहरे को नहीं लाए तो पार्टी के लिए कोई दरी बिछाने वाला नहीं मिलेगा। कहते हैं, कि एसी में बैठकर राजनीति करने वालों को कार्यकर्त्ताओं का दर्द जानने के लिए उनके घरों में जाना होगा, उनके साथ भोजन करना होगा, रात्रि निवास करना होगा, तब जाकर पार्टी को मजबूती मिलेगी। मजबूती से कहते हैं, कि जब तक पार्टी के कर्णधार कार्यकर्त्ताओं की नहीं सुनेगें, और उनका अधिकार और वाजिब हक नहीं देगें, और जब तक नेताओं के मनई तनई पदाधिकारी बनते रहेंगे। तब तक बिखर चुके कार्यकर्त्ता नहीं छुड़ेगें। कहते हैं, कि जिस तरह जिलाध्यक्ष पद के लिए 58 लोगों ने पर्चा भरा उसके लिए पार्टी के नियम कानून को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। भाजपा के एक बड़े नेता ने कहा कि जिलाध्यक्ष बहुत बड़ा पैमाना तय करने वाला है। अगर पार्टी ने कार्यकर्त्ताओं की आवाज को नहीं सुना तो हर्रैया भी उनके हाथ से निकल जाएगा।
वैसे भी हर्रैया की सीट पर दूषित आत्माओं की नजर लगी हुई है। वैसे तो पांचों सीटांे पर लगी हुई हैं, लेकिन सबसे अधिक हर्रैया पर लगी हुई, यह बात विधायकजी भी अच्छी तरह जानते और समझते है। अब आप जरा अंदाजा लगाइए कि जब अपने ही लोगों की नजर हर्रैया पर लगी हो, तो कैसे कोई दूषित आत्मा से निजात पाएगा। कार्यकर्त्ताओं का कहना हैं, कि लोकसभा में जो लगभग साढ़े लाख वोटों का नुकसान हुआ, उसकी भरपाई पार्टी तभी कर पाएगी, जब दूषित आत्माओं का अंत होगा। दूषित आत्माएं उन दुष्मनों से भी अधिक खतरनाक होती है, जो दिखाई देते है। दूषित आत्माएं अगर जिले में भटक रही है, तो इसके लिए भी पार्टी को ही जिम्मेदार माना जा रहा है। यह आत्माएं विपक्ष को पांचों सीटे थाली में परोस कर देना चाहती हैं, यह आत्माएं अपने मकसद मेे कितना कामयाब होती है, यह तो 2027 में ही पता चलेगा, लेकिन एक बात तो तय हैं, कि अगर पार्टी ने दूषित आत्माओं का कोई इलाज नहीं किया तो जिला 2027 भाजपा विहीन हो जाएगा, तब ना तो उदघाटन करने वाला कोई विधायक मिलेगा और ना बैठकों में ही कोई दिखेगा। कहते हैं, कि विपक्ष को वाकओवर देने से चाहें जैसे पार्टी को रोकना ही होगा। अगर नहीं रोक पाए तो अगर सत्ता मिल भी गई तो कोई मतलब नहीं रहेगा। आज भी पार्टी के खाटी कार्यकर्त्ताओं का कहना और मानना है, कि जिले में विपक्ष के पास जो चार विधायक और एक सांसद हैं, वह विपक्ष की नीतियों या फिर प्रत्याशी की मजबूती के चलते नहीं बल्कि भाजपा के दूषित आत्माओं की मेहरबानी के चलते है। वरना कोई भाजपा का विधायक 15 सौ वोट से नहीं हारता, और ना ही भाजपा के अन्य विधायकों की ऐसी हालत होती। बहरहाल, यह उस पार्टी के लोगों का सच हैं, जो अपने आप को दुनिया का सबसे अनुशासित पार्टी कहतें है। अगर पार्टी के लोग अनुशासित होते तो आज जिल भर में भगवा ही भगवा फहराता। देखा जाए तो 2027 का चुनाव पार्टी के लिए चुनौती भरा होगा, और अगर कहीं चुनाव का परिणाम विपरीत रहा तो इसके लिए सबसे बड़ा दोषी उन दूषित आत्माओं को माना जाएगा, जो पार्टी में रहकर पार्टी का नुकसान करने में लगी हुई है। सबसे अधिक चुनौती हर्रैया के विधायक के लिए होगी, क्यों कि इन्हीं पर सबसे अधिक दूषित आत्माएं अटैक करेगी। कार्यकर्त्ताओं का भी मानना और कहना हैं, कि अगर दूषित आत्माओं का असर कम करना है, तो पार्टी को जिलाध्यक्ष के रुप में नए चेहरे पर भरोसा जताना होगा। खासतौर से एससी और ओबीसी के चेहरे पर दांव लगानी होगी, और अगर कहीं मनई तनई का जिलाध्यक्ष बन गया तो जिले में जो कुछ भी बचा है, वह भी पार्टी के हाथ से चला जाएगा।
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