नाम निगरानी समिति और निगरानी का पता नहीं

नाम निगरानी समिति और निगरानी का पता नहीं

नाम निगरानी समिति और निगरानी का पता नहीं

-पहली बार सपा के सांसद राम प्रसाद चौधरी को मिला सबसे बड़े सदन की अध्यक्षता करने का मौका

-पहली बार सपा के विधायकों ने खुलकर हमला किया, सभी के निशाने पर बिजली विभाग और जल मिशन योजना के अधिकारी ही रहें

-सदन में उठाए गए भ्रष्टाचार के जिस तरह मुद्वे उठाए गए, उससे पता चलता है, कि वाकई जिला भ्रश्टाचार की आग में जल रहा

-विधायक अजय सिंह ने कहा कि विकास के मामले में सत्ता और विपक्ष का भेदभाव नहीं होना चाहिए

विधायक दूधराम ने कुसौरा फीडर पर मात्र दो घंटा बिजली मिलने का मुद्वा उठाया, विधायक कविंद्र चौधरी, राजेंद्र चौधरी और महेंद्रनाथ यादव तक के निषाने पर बिजली विभाग के अधिकारी रहें

-विधायक कविंद्र चौधरी ने जिले में ईएमआरआई मशीन लगाने की मांग की, ताकि गरीब मरीजों को उसका लाभ मिल सके, इन्होंने बिजली विभाग में अवैध वसूली का भी मामला उठाया

-ब्लॉक प्रमुख यशकांत सिंह ने 32 ट्यूवेल के तारों को जर्जर होने का मुद्वा उठाते हुए कहा कि हर साल सैकड़ों बीघा फसल जर्जर तार होकने के कारण जल जा रही

-ब्लॉक प्रमुख अभिषेक कुमार ने पहली बार बोलते हुए कहा कि जिला अस्पताल में डाक्टरों का एक ऐसा दलाल समूह कार्य कर रहा, जो जहां चाहता, वहां से जांवच कराता, और दवा दिलवाता


बस्ती। दिशा की पहली ही बैठक में सांसद रामप्रसाद चौधरी लगभग 15 मिनट बिलंब से पहुंचे, और पहली बार डीएम को बाहर जाकर इनका स्वागत करना पड़ा। दस साल तक हरीश द्विवेदी सांसद रहे, और ना जाने कितनी बार दिशा की बैठकों की अध्यक्षता किया, लेकिन वह कभी एक मिनट भी बिलंब से नहीं पहुंचें और ना ही कभी किसी डीएम को उनका बाहर जाकर स्वागत ही करना पड़ा। बल्कि कई बार तो डीएम ही लेट से पहुंचते थे। टाइमिगं के मामले में कोई पूर्व सांसद से सीखे। बहरहाल, बैठक की शुरुआत ही बिजली विभाग के कार्यो की समीक्षा से हुई। लगभग एक घंटा तक इस विभाग की समीक्षा होती रही हैं, और इस दौरान इनके एक्सईएन और एसई को जनप्रतिनिधियों के इतने सवालों का सामना करना पड़ा कि इन्हें खुद याद नहीं होगा। सबसे पहले विधायक अजय सिंह ने आड़ों हाथों लिया और पूछा कि कैसे आप दो-तीन माह में अवशेष 70 फीसद कार्य को पूरा कर पाएगें, कोई जबाव नहीं दिया। कहा कि जब ठेकेदार काम नहीं कर रहे हैं, तो क्यों नहीं उनके खिलाफ कार्रवाई करते? उन्होंने यह भी कहा कि विकास के मामले में सत्ता और विपक्ष में भेदभाव नहीं होना चाहिए। फिर उसके बाद राना दिनेश प्रताप सिंह ने बोलती बंद कर दी। अंकुर वर्मा ने कहा कि मोहल्ले-मोहल्ले में बांस की बल्ली लगाकर लोग तार लेकर गए हैं, कोई देखने वाला नहीं, यहां तक कहा कि नाला के नीचे तार बिछा दिया, जिससे नाला जाम हो जाता। कहा कि अधिकारी किसी की सुनते ही नहीं। विधायक दूधराम ने कहा कि कुसौरा फीडर पर मात्र दो घंटा बिजली आ रही है, और आप लोग 24 घंटा बिजली देने का दावा कर रहे है। विधायक राजेंद्र चौधरी ने कहा कि धरातल पर बिजली कितनी मिल रही है, अधिकारी जानने की आवष्यकता ही महसूस नहीं करते। कहा कि बिजली का बिल जमा करने के बाद भी बिजली काट दी जाती है। बिचौलिया वसूली कर रहे है। विधायक कविंद्र चौधरी ने कहा कि विभाग वाले बकाया में कटौती के नाम पर धन उगाही कर रहे हैं, बड़े बकाएदारों का बिजली नहीं काटते, छोटे वाले का अवष्य काट देतें है। कहा कि गरीब का बिजली काटने को दस बार पहुंच जाते हैं, लेकिन बड़े वालों के यहां एक बार भी नहीं जाते। इन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई कनेक्षन लेने जाता है, तो उससे कहा जाता है, कि विधायक के पास जाओ। कहा कि महिला अस्पताल वाले प्राइवेट अल्टा साउंड की मदद कर रहे है। इन्होंने ईएमआरआई मशीन लगाने की मांग की ताकि गरीब मरीजों को मदद मिल सके। पहली बार कविंद्र चौधरी को इतना मुखर होते देखा गया, वरना लोग तो यही समझ रहे थे कि इन्हें बोलना ही नहीं आता। जब बारी प्रमुखों के बोलने की आई तो ब्लॉक प्रमुख यषकांत सिंह ने 32 ट्यूवेल के तारों को जर्जर होने का मुद्वा उठाते हुए कहा कि हर साल सैकड़ों बीघा फसल जर्जर तार होने के कारण जल जा रही, शिकायत करते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। ब्लॉक प्रमुख अभिषेक कुमार ने पहली बार बोलते हुए कहा कि जिला अस्पताल में डाक्टरों का एक ऐसा दलाल समूह कार्य कर रहा, जो जहां चाहता, वहां से जांच कराता, और दवा दिलवाता है। कहा कि अस्पताल के चार-पांच ऐसे सरकारी डाक्टर हैं, जिन्होंने दलाल पाल रखा हैं, और इन्हीं के सहारे मरीजों का उत्पीड़न और आर्थिक शोषण किया जाता है। शिकायत करो तो कोई सुनने वाला नहीं। इन्होंने सदन से जिला अस्पताल को दलालों से मुक्त कराने की मांग की। भले ही इसका नाम जिला विकास समन्यव एवं निगरानी समिति यानि दिशा है, लेकिन ना तो विकास कार्यो की निगरानी होती और ना समन्वय स्थापित होता। औचित्तहीन साबित हो रहा दिशा की बैठक। बार-बार कहा जा रहा हैं, बुकलेट बैठक होने के चार-पांच पहले उपलब्ध कराया जाए ताकि होमवर्क किया जा सके, लेकिन आज तक बुकलेट बैठक के पहले नहीं दिया गया। क्या इसी को निगरानी समिति कहते है। बैठक में पांचों विधायकों के आलावा ब्लॉक प्रमुख अनिल दूबे, केके सिंह और राकेश कुमार श्रीवास्तव मौजूद रहे।

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