मदद को चिल्लाते रहें लड़की के पिता,
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 10 January, 2025 22:54
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मदद को चिल्लाते रहें लड़की के पिता, लेकिन अवधेश सिंह होटल ने नहीं किया! बचाव
-दो बार काउंटर पर चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि उसकी लड़की के साथ घटना हुई, बजाए मदद करने को कहने लगे कि कोई घटना ही नहीं हुई, कहा कि मालिक भी वहीं खड़े थे, लेकिन उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया
-होटल के सभी लोगों की हमदर्दी अपराध करने वालों और उन लोगों को भगाने में रही, सवाल करते हैं, कि क्या होटल वालों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती थी, ऐसे होटल में आखिर लोग क्यों जाएगें, जहां पर नाबालिग के साथ अपराध करने वालों को बचाया जाता हो
-कहते हैं, कि होटल वालों ने कोई सहयोग नहीं किया, अगर करते तो अपराधी जेल में होते, बल्कि यह कहने लगें कि हम लोग तो यह समझते थे, कि आप लोगों का आपसी मामला
-होटल वालों को पिता के चिल्लाने से अन्य ग्राहकों के चले जाने की चिंता तो थी, लेकिन उस ग्राहक के साथ कोई हमदर्दी नहीं थी, जिसकी बच्चीें साथ घटना हुई, होटल वाले तो गलती मानने को तैयार ही नहीं थे
-जब 112 की पुलिस आई तो समझ में आया कि कुछ हुआ है, होटल वालों ने पीड़ित परिवार के साथ जरा भी सहानुभूति नहीं जताया, ऐसा लगा कि मानो इस होटल में इस तरह की घटनाएं बराबर होती रहती
-अपराध करने वाला भी नषे में धुत्त था, और उसके साथ मारपीट करने वाले भी नषे में थे, होटल वाले ना तो गलती मानने को तैयार रहे और ना सहयोग करने को, पूरी तरह यह लोग अपराध करने वालों के साथ में रहें
-पुलिस ने एसएसी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा भी नहीं दर्ज किया, लड़की का मेडिकल और कोर्ट में बयान भी दर्ज हो चुका, पिता का भी मेडिकल हो चुका
बस्ती। एफआईआर और पीड़ित लड़की के पिता के बयान ने खोली विक्रमजोत स्थित अवधेश सिंह फेमिली होटल की पोल। इस होटल में एक नौ साल की लड़की के साथ में नशे में धुत्त व्यक्ति बदसूलूकी और बदतमीजी करता है, माता-पिता के सामने वह लड़की को बाहों में भर लेता और किस करके भाग जाता हैं, और जब लड़की के मां-बाप होटल वालों से लड़के को पकड़ने के लिए मदद मांगते हैं, तो होटल वाले यह कहते हैं, कि उनकी बेटी के साथ जब कोई घटना ही हुई नहीं तो मदद कैसी? पिता दो बार काउंटर पर जाकर चिल्लाता रहा कि उसकी बेटी के साथ ऐसा हुआ, मगर होटल वाले ना तो परिवार की बात सुनने को तैयार थे, और ना ही किसी तरह की मदद ही करना चाहते थे। बल्कि जब लड़की के पिता ने लड़के को पकड़ा तो होटल वालों ने बजाए उसे पकड़कर पुलिस के हवाले करने को भगाने में सहयोग किया, लड़के के साथ में जो अन्य पाचं-छह व्यक्ति थे, उन लोगों ने होटल वालों के सामने पिता को मारा पीटा। सभी नशे में धुत्त थे। पिता का कहना हैं, कि वह दो बार काउंटर पर शिकायत दर्ज करने और मदद मांगने को गया, लेकिन किसी ने भी नहीं सुनी, किसी ने बताया कि बगल में मालिक खड़े हैं, उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया, बल्कि इन लोगों ने परिवार का मामला बता कर पल्ला झाड़ लिया। पिता का कहना है, कि जब काउंटर पर जाकर जोर-जोर से मदद मांगने और घटना के बारे में बताने लगा तो होटल के लोगों ने उनकी बातों पर जरा भी ध्यान नहीं दिया, बल्कि यह कहने लगें कि चिल्लाइए मत ग्राहक उठ कर चले जाएंगे। ग्राहकों पर प्रभाव पड़ेगा। कहते हैं, कि होटल वालों को उनकी लड़की के साथ हुई घटना को लेकर कोई चिंता नहीं थी, बल्कि इन्हें अपने ग्राहकों के चले जाने की चिंता अधिक थी। दुखी मन से कहते हैं, कि अगर इतने बड़े होटल के लोगों को लड़की और माता-पिता के साथ हुई घटना को लेकर कोई मलाल नहीं हैं, तो फिर ऐसे होटल में क्यों कोई जाएगा, जिस होटल में नौ साल की लड़की के साथ बदसलूकी करने वालों का बचाव किया जाता हो, होटल वालों के सामने नषे में धुत्त पिता को मारा-पिटा जाता हो, क्या उस होटल की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? कहते हैं, कि उनके परिवार की नजर में होटल वाले सबसे बड़े गुनहगार है। अगर होटल वाले सहयोग करते तो आज सभी अपराधी जेल में होते। कहा कि उनके परिवार को जिंदगी भर इस बात का मलाल रहेगा कि क्यों वह लोग नामी गिरामी अवधेष सिंह फेमिली होटल में भोजन करने गए? पिता ने अन्य संभ्रात परिवार से भी इस होटल में ना जाने की अपील की है। ऐसे होटल का बहिष्कार करने को कहा कि जिस होटल में ग्राहकों के साथ बदसलूकी करने वालों को पनाह दिया जाता है। कहा कि मारने पिटने वाले यह भी कह रहे थे कि हम लोग लोकल के हैं, और उन लोगों का होटल में बराबर आना जाना रहता हैं, इस लिए हम लोगों का कुछ भी नहीं होगा। कहा कि होटल वालों ने मेरे परिवार के प्रति जरा सा भी सहानुभूति नहीं जताया। ‘सारी’ तक नहीं कहा। कहा कि घटना के बाद उनका परिवार जिस पीड़ा और अपमान का जहर पीकर रह रहा है, अगर यही घटना होटल के मालिक के परिवार के साथ किसी अन्य होटल में हुई होती तब उन्हें पता चलता कि अपमान का दर्द क्या होता। कहा कि घटना के बाद होटल वालों को ऐसा लगा मानो कोई घटना ही नहीं हुई, और होटल वालों के लिए इस तरह की घटना होना आम बात है। कहते हैं, कि जब उनके बुलाने पर 112 की पुलिस आई तब होटल वालों को लगा कि कोई घटना हुआ हैं, वरना इसके पहले वह लोग घटना होने से ही इंकार कर रहे थे। कहा कि एससी वर्ग का होने के बावजूद भी पुलिस ने एससीएसटी का धारा नहीं लगाया। विक्रमजोत पुलिस चौकी इंचार्ज की कार्यषैली पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि अगर पुलिस इतनी ही ईमानदार होती तो इनके इलाके के किसी भी होटल वाला ऐसी घटना होने ही नहीं पाती। लेकिन जब पुलिस वाले होटल का गाएगें, पिएगें और ठहरेंगें तो जाहिर सी बात हैं, उसकी भरपाई तो वह करेंगें ही। परिवार ने कहा कि घटना के आठ दिन हो गए, लेकिन अभी तक कोई पकड़ा नहीं गया, इससे होटल और पुलिस के बीच की दोस्ती का पता चलता है। लड़की और पिता दोनों का मेडिकल हो गया और लड़की का बयान भी न्यायालय में दर्ज हो चुका है। इस पूरे कांड में होटल वालों का रर्वैया जो रहा वह तो रहा कि विक्रमजोत पुलिस चौकी इंचार्ज की रर्वैया होटल वालों से भी खराब रहा।
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