महेश सिंह हारे, जटाशंकर शुक्ल जीते

महेश सिंह हारे, जटाशंकर शुक्ल जीते

 महेश सिंह हारे, जटाशंकर शुक्ल जीते

-न्यायालय ने महेश सिंह की चुनाव याचिका को किया खारिज, यह निर्णय महेश सिंह के राजनैतिक भविष्य को प्रभावित कर सकता

-महेश सिंह परिवार के 38 साल के सामा्रज्य को तोड़ने वाले जटाशंकर शुक्ल को मिली बड़ी राहत और कामयाबी

-49 पन्ने के निर्णय में विद्वान जनपद न्यायाधीश विजय कुमार ़िद्ववेदी ने ऐसा फैसला सुनाया जिस सालों याद किया जाएगा

-चार साल तक चले इस कानूनी लड़ाई में आखिर में कामयाबी जटाशंकर शुक्ल परिवार को ही मिली जीत

-महेश सिंह के पुत्र अरविंद सिंह की पत्नी का प्रमुख बनने का सपना चकनाचूर हो गया, इस परिवार में यही एक मात्र रही जो प्रमुख नहीं बन पाई थी

-इनकी ओर से घटना का वीडियोग्राफी भी न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता, यहां तक कि रिकार्ड कीपर सनोज तक को प्रस्तुत नहीं कर सके

बस्ती। विद्वान जनपद न्यायाधीश विजय कुुमार द्विवेदी ने उन लोगों को करारा जबाव दिया है, जो लोग यह कहते थे कि चुनाव याचिका दाखिल करने से कोई फायदा नहीं मिलता, क्यों कि इसका निर्णय आने में कई चुनाव निकल जाते हैं, फिर भी निर्णय नहीं हो पाता। गौर प्रमुखी चुनाव का निर्णय पद की समाप्ति से पहले देकर विद्वान न्यायाधीष ने यह साबित कर दिया कि न्याय मिलने में थोड़ा बिलंब हो सकता है, लेकिन मिलता अवष्य है। इस निर्णय से उन लोगों की धारणा अवष्य बदलेगी, जो चुनाव याचिका दाखिल करने से परहेज करते है। विद्वान न्यायाधीश ने महेश सिंह के पुत्र अरविंद सिंह की पत्नी विजयकांति सिंह की चुनाव याचिका को एक दिन पहले खारिज कर दिया। अपने 49 पन्ने के निर्णय में चुनाव याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि बलहीन और आधारहीन है। याचिकत्री उन साक्ष्यों को भी कोर्ट में सही साबित नहीं कर पाई, जो उन्होंने प्रस्तुत किया। यह घटना का वीडियोग्राफी भी प्रस्तुत नहीं कर पाई, यहां तक कि रिकार्ड कीपर सनोज तक को प्रस्तुत नहीं कर पाई। बस्ती जिले का यह पहला निर्णय है, जिसमें चुनाव याचिका संख्या 01/2021 खारिज हुआ। इन चार सालों में दोनों पक्षों की ओर से खूब आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए। जटाशंकर शुक्ल की पत्नी प्रमुख कांती शुक्ल की ओर से बचाव और सबूत के तोैर पर कुल 18 गवाहों को प्रस्तुत किया गया। जिसमें जटाशंकर शुक्ल, अमरदीप शुक्ल, बहृमदत्त शुक्ल, लल्लू प्रसाद, रविशंकर शुक्ल, रामपारस चौधरी, भगौती प्रसाद शुक्ल, उदयभान, अमित, महेश चौहान, प्रदीप कुमार, जितेंद्र कुमार पांडेय, विजय पाल मिश्र, अवधेश, एआरओ जगदीश प्रसाद और रिकार्ड कीपर सनोज कुमार श्रीवास्तव शामिल रहे। याचीकत्री ने न्यायालय से अपील किया था, कि असंवैधानिक और मनमाने तरीके से हुए निर्वाचन को निरस्त कर उन्हें निर्वाचित घोषित किया जाए, या फिर चुनाव को ही निरस्त कर दिया जाए। विद्वान न्यायाधीश ने याचीकत्री की चुनाव को ही बलहीन और आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया।

याचीकत्री ने घटना के बारे में न्यायालय को बताया कि क्षेत्र पंचायत गौर में बने नामांकन कक्ष में 10 जुलाई 21 को नामांकन भरने के लिए अपने प्रस्तावकों और अनुमोदकों के साथ नांमाकन कक्ष में गई। उस समय रुलिगं पार्टी भाजपा के लोग मौजूद रहे। वह लोग उन्हें किसी भी स्थित में नामांकन कक्ष तक जाने नहीं दे रहे थे, उनके और उनके पति निवर्तमान प्रमुख अरविंद सिंह के साथ मारपीट करने लगे। उनकी साड़ी और अन्य वस्त्र खींचने लगे, मेरा और पति का भी कपड़ा फाड़ दिया, यह भी कह रहे थे, कि किसी भी दशा में भाजपा प्रत्याशी को ही जीताना है। कहा कि एआरओ जगदीश प्रसाद शुक्ल के द्वारा करप्ट प्रेक्टिस अपना कर अवैध रुप से झूठा कथन कहा गया कि प्रपत्र ‘ब’ नहीं लगाया गया, जब कि सारे वैध पेपर लगे हुए थे। कहा कि लोकतात्रिंक पद्वति का उपहास किया, भाजपा ने इतिहास को कलकिंत किया। इतनी बर्बरता किसी भी चुनाव में नहीं देखा गया।  इनका कथन था, कि  एआरओ कहते रहें, कि प्रशासन का निर्देश है, कि किसी भी सूरत में भाजपा प्रत्याशी को ही जीताना है। कांतीशुक्ल की ओर से उनके अधिवक्ता के द्वारा कहा गया कि याचीकत्री को याचिका दायर करने का अधिकार ही नहीं। गौर ब्लॉक पर महेश सिंह के परिवार का 38 साल तक कब्जा होने का भी मामला न्यायालय के संज्ञान में लाया गया और कहा गया कि इनके डर के नाते कोई चुनाव ही नहीं लड़ने पाता। इस निर्णय से जटाशंकर शुक्ल का राजनैतिक भविष्य मजबूत और महेश सिंह का कमजोर होने की बातें कही जा रही है। अरविंद सिंह के बारे में कहा गया कि यह समाजवादी है, और यह तत्कालीन मंत्री राजकिशोर सिंह को राइट हैंड रहे।


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