हम सबका एक ही नारा, कोई पशु ना हो बीमार हमारा

हम सबका एक ही नारा, कोई पशु ना हो बीमार हमारा

हम सबका एक ही नारा, कोई पशु ना हो बीमार हमारा । आओ मिलकर टीका पशुओं को लगवायें, लम्पी स्किन डिजीज से इन्हे बचाएं।

 हापुड़

हापुड़ लम्पी स्किन डिजीज एक विषाणुजनित रोग है जो अधिकांश गोवंशीय पशुओं मे पाया जाता है। इस रोग से प्रभावित गोवंश में तेज बुखार, आंख व नाक से पानी गिरना, पैरो में सूजन, पूरे शरीर मे कठोर एवं चपटी गांठ आदि प्रकार के लक्षण पाये जाते हैं। कभी-कभी सम्पूर्ण शरीर की चमड़ी विशेष रूप से सिर, गर्दन, थूथन, थनों, गुदा व अण्डकोष या योनिमुख के बीच के भाग पर गांठो के उभार बन जाते है। गम्भीर रूप से प्रभावित गोवंश में नैक्रोटिक घाव, श्वसन पथ में घाव होने से सांस लेने में कठिनाई हाती है। पशु का वजन घट जाता है, शरीर कमजोर हो जाता है एवं अत्याधिक कमजोरी से पशु की मृत्यु भी हो सकती है। गाभिन पशुओं में गर्भपात हो सकता है, दुधारू गोवंश में दुग्ध उत्पादन काफी कम हो जाता है।

लम्पी स्किन डिजीज की रोकथाम हेतु जनपद में दिनांक-10.12.2025 से 25.12.2025 तक समस्त गोवंशीय पशुओं में निःशुल्क एल०एस०डी० टीकाकरण अभियान संचालित किया जायेगा। एल०एस०डी० टीकाकरण अभियान हेतु जनपद को 48000 वैक्सीन प्राप्त हुयी है। इस अभियान के लिए डा० ओमवीर सिंह, उ०मु०प०चि०अ०, सदर हापुड़ को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। जिनका मोबाईल नं0- 9412544195 है। अभियान से सम्बन्धित किसी भी जानकारी के लिए प्रातः 9:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक उनके नम्बर पर सम्पर्क किया जा सकेगा। पशुचिकित्सालय सदर पर कन्ट्रोल रूम की स्थापना की जा चुकी है। उक्त बीमारी के सम्बन्ध में किसी प्रकार की सूचना प्राप्त होने पर कन्ट्रोल रूम प्रभारी श्री दिनेश कुमार, पशुधन प्रसार अधिकारी, के मो०नं० 7417315284 एवं हैल्प लाइन नम्बर 1962 पर सूचना से अवगत करायें।

पशुपालको से अपील की जाती है कि अपने समस्त गोवंशीय पशु में टीकाकरण अवश्य करायें तथा गोवंशीय पशुओं में उक्त बीमारी से सम्बन्धित लक्षण प्रकट होने पर कुछ सावधानियों जैसे सर्वप्रथम निकटतम पशुचिकित्साधिकारी को सूचित करें। प्रभावित पशुओं को स्वस्थ पशु से अलग रखे, पशुओं को सदैव स्वच्छ पानी पिलायें, पशु के दूध को उबालकर पिये, पशुओं को मच्छरों/मक्खियों, किलनी आदि से बचाने हेतु कीटनाशक दवाईयों का प्रयोग करें। यदि किसी पशु की मृत्यु होती है तो शव को खुले में न फेंके एवं वैज्ञानिक विधि से दफनायें।

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