गुलाम हुसैन के जिंदा रहते, नहीं कर पाएगें मुनीर अली छठें दामाद की नियुक्ति!

गुलाम हुसैन के जिंदा रहते, नहीं कर पाएगें मुनीर अली छठें दामाद की नियुक्ति!

गुलाम हुसैन के जिंदा रहते, नहीं कर पाएगें मुनीर अली छठें दामाद की नियुक्ति!

-मुनीर अली का छठें दामाद की नियुक्ति करने का सपना, सपना ही रह जाएगा

-गुलाम हुसैन पर उतारा गुस्सा, दिया बर्खास्तगी की नोटिस, हाईकोर्ट से बड़ा मानता मैनेजर

-छठें दामाद की नियुक्ति में बाधा बने गुलाम हुसैन को नियम विरुद्व और गुस्से में आकर सात साल पहले बर्खास्त कर दिया था,

-कोर्ट के आदेश पर बहाल हुए गुलाम हुसैन को फिर से बर्खास्त करने का नोटिस यह जानते हुए थमाया कि मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन

-हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी एरियर सहित अन्य देयों का भुगतान करने के लिए बिन नहीं बना रहा मैनेजर

-मैनेजर ने कहा कि जब तक बकाए का आधा यानि 35 लाख और दस हजार प्रतिमाह नहीं दोगें तो बिल नहीं बनाउंगा

-एक मदरसे का मैनेजर पूरे विभाग को अनैतिक पैसे के बल पर बाबू से लेकर रजिस्टार तक को नचा रहा, और यह लोग इसके ईशारे पर नाच भी रहें

-कप्तानगंज के आलिया मदरसा दारुल अहले सुन्नत फैजुन्नवी में तैनात सहायक अध्यापक गुलाम हुसैन का मामला  

बस्ती। कप्तानगंज के आलिया मदरसा दारुल अहले सुन्नत फैजुन्नवी के मैनेजर मुनीर अली प्रदेश के पहले ऐसे मैनेजर होगें, जो नियम कानून को अपनी जेब में लेकर चलते हैं, यह अपने आपको हाईकोर्ट से भी बड़ा मानते हैं। तभी तो इन्होंने अपने छठें दामाद की नियुक्ति करने के लिए एक ऐसे निर्दोश सहायक अध्यापक गुलाम हुसैन को एक झूठे आरोप और  नियम कानून को तोड़कर बर्खास्त कर दिया, जिसकी कोई गलती नहीं थी। सात साल तक गुलाम हुसैन, मैनेजर के मनमानेपन को लेकर कानूनी लड़ाई और दूषित व्यवस्था से लड़ता रहा, इस लड़ाई में मकान तक बिक गया, लाखों के कर्जदार हो गए, एक-एक रुपये के लिए तरसते रहें, आर्थिक तंगी के चलते परिवार का भरण-पोषण ठीक से नहीं हो वाया। इस पीड़ित अध्यापक की विभाग ने भी नहीं सुनी बस्ती से लेकर लखनउ तक दौड़ाते रहें, ऐसा लगता था, कि मैनेजर ने सभी का मुंह पैसे से बंद कर दिया हो। सात साल बाद जब हाईकोर्ट से न्याय मिला तो परिवार के खुशी का ठिकाना नहीं रहा, कोर्ट के डर से मैनेजर ने ज्वाइन तो करवा दिया, लेकिन एरियर सहित अन्य देयों का भुगतान करने के लिए बिल प्रस्तुत नहीं किया। बिल प्रस्तुत करने को कौन कहे बर्खास्तगी वाला यह जानते हुए कि मामला हाईकोर्ट में विचारधीन हैं, 19 अप्रैल 25 को उन आरोपों में चार्जशीट थमा दिया, जिसका निस्तारण हाईकोर्ट कर चुकी है। गुलाम हुसैन को लेकर जो मैनेजर में जहर भरा हुआ, उसका कारण मैनेजर का छठें दामाद की नियुक्ति गुलाम हुसैन के कारण न करवा पाना रहा। मैनेजर अपना सारा गुस्सा गुलाम पर उतार दिया, ऐसा लगता हैं, कि मानो इंसानियत नाम की चीज मैनेजर में रह ही नहीं गई। मैनेजर सिंगल और डबल बेंच दोनों से हार चुके हैं, फिर भी कोर्ट को चैलेंज करने के लिए आरोप पत्र थमा दिया। यही कारण है, कि मैनेजर को उनके मदरसे और बाहर वाले नियम कानून और हाईकोर्ट से बड़ा मानते है। कार्यालय वाले बतातें हैं, कि इस मैनेजर का मन विभाग के अधिकारियों ने ही बढ़ाया। अगर न बढ़ाया होता तो यह नियम विरुद्व पांच दामादों की नियुक्ति मदरसे में न करवा पाता, और न छठें दामाद की नियुक्ति के लिए गुलाम हुसैन को बर्खास्त ही करते। बस्ती से लेकर लखनउ के रजिस्टार कार्यालय तक सभी इसके ईशारे पर नाच रहे हैं, ईमानदार कहे जाने वाली अधिकारी भी इसके ईषारे पर न सिर्फ नाच रहे हैं, बल्कि नियम विरुद्व पूरा सहयोग भी कर रहे है।

रजिस्टार, निदेशक, प्रमुख सचिव अल्प संख्यक, जिला अल्प संख्यक अधिकारी और डीएम को लिखे पत्र में कहा गया है, कि मैनेजर साहब एरिअर का भुगतान करने के लिए कुल भुगतान का आधा यानि 35 लाख रुपया और नौकरी चलती रहे, इसके एवज में प्रति माह दस हजार की मांग कर रहे है। जब मांग को पूरा करने से इंकार कर दिया तो कहा कि घबड़ाओ मत जल्दी ही फिर बर्खास्त कर दूंगा। बर्खास्त करने के लिए आरोप पत्र भी थमा दिया। मैनेजर मुनीर अली ने अगर छठें दामाद की नियुक्ति करने की जिदद नहीं छोड़ी, तो इस बार कोर्ट के अवहेलना के आरोप में इन्हें जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है, क्यों कि कोर्ट सबकुछ बर्दास्त कर लेता है, लेकिन अवहेलना बर्दास्त नहीं कर सकता, इसी के चक्कर में न जाने कितने बड़े अधिकारी दंडित और जेल भी जा चुके हैं, हाईकोर्ट के सामने मैनेजर किस खेत की मूली है। लोगों का कहना है, कि मैनेजर को छठें दामाद की नियुक्ति किसी भी हालत में जब तक गुलाम हुसैन जिंदा हैं, नहीं कर पाएगें। इन्होंने अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा भी है, कि उनके साथ कभी भी कोई अप्रिय घटना हो सकती हैं, क्यों कि मैनेजर अपने आप को सर्वषक्तिमान समझने लगे है। जिसके चलते वह और उसका परिवार काफी डरा और सदमें में रह रहा है। गुलाम हुसैन ने अधिकारियों से उच्च न्यायालय के पांच अगस्त 24 और एवं अवहेलना अपील तीन मार्च 25 को संज्ञान में लेकर मैनेजर के आरोप-पत्र को वापस लेने और इनकी मनमानी रोकने की अपील की है। अब तो एक बात तय है, कि मैनेजर चाहें जितना दौलत लुटा दें, अपने छठें दामाद की नियुक्ति नहीं कर सकते।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *