भ्रष्टाचार को छिपाने को एएमए ने नहीं दी जानकारी
- Posted By: Tejyug News LIVE
- ताज़ा खबर
- Updated: 5 January, 2025 09:20
- 78

भ्रष्टाचार को छिपाने को एएमए ने नहीं दी जानकारी
-प्रदेश के यह पहले ऐसे एएमए होगें जिन्होंने यहकर सूचना नहीं दिया कि विस्तृत जानकारी मांगी गई, और उनके पास विस्तृत जानकारी देने के लिए संसाधनों का अभाव
-एएमए साहब सूचना तो आप देना ही पड़ेगा, बहानेबाजी नहीं चलेगी
-सूचना नहीं दिया तो लगेगा 25 हजार का जुर्माना और जब जुर्माना लगेगा तो आप का सीआर खराब हो जाएगा
-एएमए के जानकारी ना देने के विरुद्व चंद्रेशप्रताप सिंह ने इसकी अपील प्रथम अपीलिय अधिकारी सीडीओ के यहां दाखिल कर दिया
-कहा कि एएमए आरटीआई का उल्लघंन कर रहे हैं, इस लिए इनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के साथ विधिक कार्रवाई की जाए
बस्ती। अगर किसी विभाग के जनसूचना अघिकारी सूचना नहीं देते तो समझ लीजिए कि उस विभाग में भ्रष्टाचार हुआ हैं। अगर भ्रामक जानकारी देते हैं, तो भी माना जाता है, कि गड़बड़ी हुई है। कुछ इसी तरह की हरकत जिला पंचायत के वह एएमए ने किया, जो मीडिया से कहते हैं, कि अगर कोई जानकारी लेनी हो तो पहले आई कार्ड दिखाइए, जब आई कार्ड दिखा देता हैं, तो कहते हैं, कि लिखित में मांगिए। यह पहले ऐसे ईमानदार एएमए होगें जो मीडिया से भी कहते हैं, कि अगर किसी प्रोजेक्ट की जानकारी लेनी है, तो लिखित में दीजिए, और जब कोई आरटीआई के तहत लिखित में जानकारी मांगता है, तो उसे सूचना देने के बजाए बहाना बनाते है। एएमए साहब को शायद यह नहीं मालूम कि जिस भी प्रोजेक्ट पर सरकारी धन लगा हुआ हैं, वह आरटीआई के दायरे में आता है। आप ने चंदेशप्रताप सिंह को जानकारी ना देकर यह साबित कर दिया कि जिला पंचायत में ना सिर्फ भ्रष्टाचार हुआ है, बल्कि यहां पर भ्रष्टाचार की नदियां बही है, और आप लोगों ने इस नदी में खूब डुबकी लगाया है। मलाई काटते समय आप लोगों को यह याद नहीं आया कि इसका हिसाब-किताब भी देना पड़ सकता है। एएमए साहब सूचना मांगने वाला कोई जिला पंचायत सदस्य नहीं हैं, जिसे आप जब चाहें खरीद लें। यह सही हैं, कि आज जो जिला पंचायत में भ्रष्टाचार की नदी बह रही हैं, उसके लिए जनता सबसे अधिक दोषी उन जिला पंचायत सदस्यों को मान रही हैं, जो चंद नोटांे लिए बार-बार बिकते रहे। आदमी एक-दो बार अपना ईमान बेचता है, लेकिन कुछ जिला पंचायत सदस्यों ने बार-बार अपना ईमान बेचा, कितनी बार बिके इन्हें खुद याद नहीं होगा। इसके लिए जिले की जनता और मीडिया ऐसे सदस्यों को कभी नहीं माफ करेगी, जिन्होंने निजी लाभ के लिए पूरे जिला पंचायत को ही भ्रष्टाचार की आग में झोंक दिया। ऐसे लोगों ने भी ईमान बेचा जो सफेद कुर्ता और पैजामा पहनकर जनता को यह बताने का प्रयास करते हैं, कि हम कितने साफ-सुधरे है। इनमें तो कई ऐसे हैं, जिन्होंने दो-दो ब्लॉकों को जिला पंचायत जैसा बना दिया। जिस गिल्लम चौधरी पर जिले की जनता ने सबसे अधिक भरोसा किया, उन्होंने भी भरोसा तोड़ दिया। जनता ने कभी इन्हें एक लड़ाकू के रुप में देखा तो कभी बिकने वाले की लाइन में खड़ा होते देखा। रही बात संजय चौधरी की तो या ना कभी किसी के थे और ना यह कभी किसी के होगें। जिस तरह इन्होंने जनता का विष्वास खोया वह बहुत कम लोगों में देखने को मिलता है। यह भी सही है, कि जनता ने जब सर्वशक्तिमान को उनकी जगह दिखा दिया तो यह किस खेत की मूली। जिस किसी ने भी पैसे को सबकुछ माना, उसे एक ना एक दिन अपने किए की सजा भुगतनी ही पड़ी। राजकिषोर सिंह से बड़ा उदाहरण शायद ही किसी का सकता है। अगर ऐसे लोगों को नेता कहते हैं, तो फिर नेता कौन है? इन्हीं के ही परिवार के दो-दो कार्यकाल में किस्सू जैसे ठेकेदार ने जन्म लिया, जिसने राजकिषोर सिंह के खास को भी लाखों का चूना लगा दिया। जिला पंचायत में एक भी ऐसा बंदा नहीं होगा, जो यह दमदारी से कह सके कि मैं ईमानदार हूं, और हमने सरकारी धन दुरुपयोग नहीं किया। अब आप समझ सकते हैं, कि जिस विभाग में खोजने से भी एक भी ईमानदार ना मिले वह विभाग और उसे विभाग के लोग कैसे होगे।
Comments