आखिर इतने छोटे से शहर में इतना होटल क्यों?
- Posted By: Tejyug News LIVE
- ताज़ा खबर
- Updated: 18 April, 2025 18:46
- 27

आखिर इतने छोटे से शहर में इतना होटल क्यों?
बस्ती। जब भी सैक्स रैकेट का भंडाभोड़ होता है, तो एक ही सवाल उठता है, आखिर इतना होटल और लाज क्यों? पहले जब होटल कम थे, तो सैक्स रैकेट का अडडा आवास विकास कालोनी बनता था, लेकिन जब से होटलों की भरमार हो गई, तब से अडडा होटल और लाज बन गया। सबसे अधिक मालवीय रोड स्थिति होटलों में यह धंधा हो रहा है। हालही में एक नामचीन होटल में मुंबई का एक विधायक अयाशी करने प्लेन से आता था, और होटल में लड़कियों को बुलाता था, इस मामले में कथित विधायक के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो चुका है, और लड़की ने अपने बयान में उस होटल का फोटो और नाम भी लिया। चार-पांच साल पहले बैरिहवां में एक श्रीवास्तव के घर पर सैक्स रैकेट पकड़ा गया। रोडवेज, दक्षिण दरवाजा के होटलों और लाज में आज भी खुले आम सैक्स रैकेट चल रहा है। गांधीनगर स्थित दो नामचीन लाज में यह धंधा होने की खबरे बराबर आ रही है। इधर के दिनों में जितना होटल का कारोबार बढ़ा है, उतना अन्य का नहीं, जबकि बस्ती में ऐसा कोई कल कारखाना नहीं जहां से बाहर के कारोबारी आकर रुके, यह जिला कारोबार का हब भी नहीं हैं, फिर भी होटल खुलते जा रहे हैं, वह भी मानकविहीन। कहते हैं, कि अगर अधिकांश होटलों में यह धंधा ना हो तो होटल का खर्चा भी निकलना मुस्किल हो जाएगा। तभी तो एक होटल के कारोबारी ने कहा कि इस षहर में डेली आने वाले मुसाफिरों की संख्या 50 से अधिक नहीं होगी, फिर होटल और लाज चल रहे है। क्यों और कैसे चल रहे हैं? इसे आसानी से समझा जा सकता है, कुछ होटल तो इस लिए चल रहे हैं, क्यों कि उनके यहां अनैतिक कारोबार होता है। एक दिन पहले टोल प्लाजा के पास जो सैक्स रैकेट चलाते पुलिस ने पकड़ा, वह तो एक बानगी है। कुटियार ढ़ाबा के पीछे इसी तरह का रैकेट काफी दिनों से चल रहा है। इसकी जानकारी पुलिस को भी है। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है, कि क्या बस्ती वाले इतने चरित्रहीन हो गए हैं, कि वह परिवार को छोड़ सैक्स रैकेट चलाने वाले होटलों में जाते है। जिस तरह जुआ खेलना और खेलवाना धंधा हो गया हो गया, ठीक उसी तरह मौजमस्ती करना भी पैसे वालों के लिए एक शोक बनता जा रहा है। इसके शोकीन नेता से लेकर व्यापारी और ठेकेदार किस्म के लोग शामिल है। महिलाओं का सैक्स रैकेट चलाने में शामिल होना चर्चा का विषय बना हुआ है। जिस तरह महिला अस्पताल में आशाएं गरीब मरीजों को बहलाफुसला कर प्राइवेट नर्सिगं ले जाती हैं, ठीक उसी तरह यह नामचीन होटलों में ले जाती है। सैक्स रैकेट की इस खेल में पुलिस की भागीदारी और हिस्सेदारी से इंकार नहीं किया जा सकता। यह माना जाता है, कि अगर किसी चौकी या थाना क्षेत्र में अनैतिक कारोबार हो रहा है, तो उसकी जानकारी पुलिस को अवष्य होगी। यह अलग बात हैं, कि जब कभी बड़े साहब लोग हाथ डालते हैं, तो उनकी दाल नहीं गलती। सैक्स रैकेट का कारोबार करने वाली महिलाएं या लड़कियां अधिकांश बाहर जनपदों की रहती है। इनका एक ग्रुप हैं, जो एक जनपद में एक माह से अधिक नहीं रहती। अब तो हर होटल शक की निगाह से देखा जाने लगा। जिन नामचीन होटलों में यह अनैतिक कारोबार हो रहा है, उसकी सारी जानकारी होटल के मालिक/मालकिन को रहती है। यह लोग बाकायदा अपने मैनेजरों को अनैतिक कार्य करने के लिए उकसाते रहते हैं, ताकि अधिक से अधिक पैसा आ सके। चूंकि पुलिस ने होटलों और लाज की जांच करना ही लगभग बंद कर दिया, नही ंतो ना जाने कितने होटल इसके जद में आ सकते है। जोर देकर कहा जा रहा है, कि अगर इस अनैतिक कारोबार को रोकना है, तो पुलिस को नियमित चिंहिृत होटलों और लाज पर छापा मारना चाहिए। पुलिस ने जब-जब छापेमारी की कार्रवाई की सफलता हाथ लगी, यह अलग बात हैं, कि होटल अपनी बदनामी से बचने के लिए मौके पर सब कुछ निपटा देते है। इसी निपटाने के खेल से होटलों और लाज में अनैतिक कारोबार बढ़ा।
Comments