योगीजी के नौकरशाहों ने तदर्थ शिक्षकों के जीवन को नर्क बना दियाःएमएलसी

योगीजी के नौकरशाहों ने तदर्थ शिक्षकों के जीवन को नर्क बना दियाःएमएलसी

योगीजी के नौकरशाहों ने तदर्थ शिक्षकों के जीवन को नर्क बना दियाःएमएलसी

-सदन में कहा कि एसी में बैठकर नौकरशाह तदर्थ शिक्षकों का दर्द नही समझते

-कहा कि प्रदेश का तदर्थ शिक्षक अन्याय का शिकार हैं, बेटियों की शादियां नहीं हो रही, इनके बच्चे धन के अभाव में पढ़ने नहीं जा पा रहे

-महिलाएं रो रही है, सदमा से ब्रेन हैमरेज तक हो जा रहा है, और नौकरशाह एसी में बैठकर पावर का इन्जवाय कर रहे

-सुप्रीम कोर्ट के आदेशो का बार-बार नौकरशाह उल्लघंन कर रहे हैं, सरकार का भी यह दायित्व हैं, कि वह अपने कर्मियों के हितों की रक्षा करें,

-कहा कि तदर्थ शिक्षकों की जीवन तभी गरिमामर्यी हो सकता है, जब सरकार इन्हें विनियमित करेगी और इन्हें वेतन मिलेगा

बस्ती। अपने ही सरकार के अन्याय के खिलाफ निरंतर सड़क से लेकर सदन तक आवाज उठाने वाले और अपनी ही सरकार को सवालों के कटघरें में खड़ा करने वाले प्रदेश के एक मात्र एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने एक बार फिर सदन में तदर्थ शिक्षकों और उनके परिवार के दर्द को बयां करते हुए कहा कि योगीजी के नौकरशाहों ने प्रदेश के तदर्थ शिक्षकों के जीवन को नर्क बना दिया। कहा कि धन के अभाव में इनके बेटियों की शादियां नहीं हो रही है, बच्चे स्कूल में पढ़ने नहीं जा पा रहे हैं, और नौकरशाह एसी में बैठकर पावर का इन्जवाय कर रहे है। इनकी पत्नियां रो रही हैं, पतियों को सदमा लगने के कारण उन्हें ब्रेन हैमरेज तक हो रहें हैं, और नौकरशाह एसी में बैठकर बार-बार सुप्रीम कोर्ट के आदेशो का उल्लघंन कर रहे हैं। कहा कि माध्यमिक विधालयों में कोई पूंजीपति और नौकरषाहों का बेटा नहीं पढ़ता, बलिक् मजदूर, दलित, ओबीसी, किसान और तदर्थ शिक्षकों के बच्चे पढ़ते है। अगर नौकरशाहों के बच्चे पढ़ते तो तदर्थ शिक्षकों का दर्द समझते। कहा कि तदर्थ शिक्षकों को भी गरिमामयी जीवन जीने का अधिकार है। इन लोगों का जीवन तब तक गरिमापूर्ण नहीं होगा, जब तक इनका विनियमितीकरण नहीं होगा, वेतन नहीं मिलेगा। नौकरषाहों और सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान करने के बजाए उसका उल्लघंन कर रहे हैं, कहा कि जिस तरह हनुमानजी की ताकत का एहसास कराना पड़ा था, उसी तरह पीठासीन महोदय मैं भी आप की ताकत का एहसास कराते हुए पूरा सदन आप से आग्रह कर रहा है, कि तदर्थ शिक्षक का विनियमित करें, सिवाय इसके और कोई विकल्प नहीं हैं। कहा कि नौकरशाहों की हठधर्मिता के चलते तदर्थ षिक्षकों के विनियमितीकरण नहीं हो रहा, इससे सरकार की छवि तो खराब हो ही रही हैं, साथ ही चुनाव में भी भाजपा को नुकसान हो रहा है। भाषण के दौरान सदन नेता केषव प्रसाद मौर्य भी आ गए, उनसे भी इन्होंने आग्रह किया कि वह जल्द ही सरकार को तदर्थ शिक्षकों के विनियमितीकरण के लिए प्रस्ताव भेजे, ताकि कैबिनेट से मंजूरी मिल सके। कहा कि जब इन लोगों की लंबी सेवाओं को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट यह निर्णय दे चुका हैं, इनकी नियुक्ति कम्पटीषन के जरिए ना करके फ्रेश किया जाए, उसके बाद भी नौकरशाह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लघंन कर रहे हैं। इन्होंने संजय सिंह बनाम उप्र सरकार के मामले का उदाहरण भी दिया। सरकार को आज नहीं तो कल तदर्थ शिक्षकों को विनियमित करना ही होगा, कहा भी जाता है, कि अगर 2027 बचाना है, तो सरकार को विनियमित करने की पहल करनी चाहिए, वरना जैसे 2022 एवं 2024 में हुआ, वह 2027 में भी हो सकता हैं, इस बात का एहसास एमएलसी साहब सरकार को पत्र के जरिए पहले ही करा चुके है।

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