वह रे कलवारी पुलिसः रेप के आरोपी सचिव को दे दिया क्लीन चिट!

वह रे कलवारी पुलिसः रेप के आरोपी सचिव को दे दिया क्लीन चिट!

वह रे कलवारी पुलिसः रेप के आरोपी सचिव को दे दिया क्लीन चिट!

-ऐसे ग्राम पंचायत अधिकारी आनंद कुमार को क्लीन दिया, जिसके खिलाफ कलवारी थाने में ही बलात्कार, आबकारी एक्ट, गुंडा एक्ट सहित कुल छह मुकदमें दर्ज है, इस सचिव के खिलाफ कप्तानंगज, लालगंज और हर्रैया थाने में भी हत्या, फोरजरी और बलात्कार के आरोप में केस दर्ज

-पीड़ित महिला का आरोप है, कि आईओ आलोक कुमार ने उसके द्वारा दिए गए सारे साक्ष्य और नोटरी पथ-पत्र को दरकिनार कर आरोपी के पक्ष में फाइनल रिपोर्ट लगा दिया

-वर्तमान आईओ ने तत्कालीन उपनिरीक्षक विजयकांत यादव की उस जांच आख्या को भी दरकिनार कर दिया, जिसमें महिला के आरोपों को बल मिलने वाला

-पीड़ित महिला चंदना काल्पनिक नाम ने फाइनल रिपोर्ट को निरस्त करने की मांग एसीजेएम तृतीय न्यायालय में

बस्ती। 15 मई 23 को बलात्कार की पीड़ित महिला काल्पनिक नाम चंदना ने कलवारी थाने में ग्राम पंचायत अधिकारी आनंद कुमार, गायत्री देवी, अमित, संगम, प्रदीप चौधरी एवं अन्य दो के खिलाफ धारा 376,313,406,504, एवं 506 के तहत मुकदमा दर्ज कराया। जब पीड़ित महिला को यह पता चला कि आईओ आलोक कुमार ने अभियुक्तों से मिलकर फाइनल रिपोर्ट लगा दिया तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए फाइनल रिपोर्ट को निरस्त करने और अग्रेतर विवेचना और दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करने की अपील 18 अप्रैल 25 को एसीजेएम तृतीय न्यायालय में की। महिला ने आरोपी सचिव के आपराधिक इतिहास को भी न्यायालय के सामने रखा, और कहा कि जिस कलवारी थाने में आरोपी के खिलाफ बलात्कार, आबकारी एक्ट, गुंडा एक्ट सहित कुल छह मुकदमें दर्ज हो, उसके बाद भी विवेचक ने अनैतिक लाभ लेकर उसे क्लीन चिट दे दिया। कलवारी थाने के अतिरिक्त आरोपी के खिलाफ कप्तानंगज, लालगंज और हर्रैया थाने में भी हत्या, फोरजरी और बलात्कार के आरोप में केस दर्ज में भी मुकदमा दर्ज है। हत्या के आरोप में जेल भी जा चुके है।

यूंही नहीं कलवारी पुलिस सहित अन्य थानों की पुलिस पर अपराधियों का दोस्त बनने का आरोप लगता रहा है। यह लोग अपने अधिकारों का किस तरह दुरुपयोग करते हैं, और बलात्कार जैसे गंभीर आरोप में क्लीन चिट देते हैं, इसका सच देखना हो तो कलवारी थाने के विवेचक आलोक कुमार के उस फाइनल रिपोर्ट को देख सकतें है, जिसमें इन्होंने एक पीड़िता महिला के द्वारा दिए गए सारे साक्ष्यों और षपथ-पत्र को दरकिनार कर एक ऐसे व्यक्ति को क्लीन चिट दे दिया, जिसपर कलवारी थाने में आधा दर्जन गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज है। महिला का कहना है, कि वर्तमान आईओ ने तत्कालीन उपनिरीक्षक विजयकांत यादव की उस जांच आख्या को भी दरकिनार कर दिया, जिसमें उसे न्याय मिलता। इसी थाने में आरोपी के खिलाफ 2019 में बलात्कार सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज है। जिस थाने में एक ही आरोपी के खिलाफ बलात्कार जैसे अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हो, और अगर विवेचक साहब उसके बावजूद भी क्लीन चिट देते है, तो विवेचक पर सवाल तो उठेगा ही, चूंकि गलत फाइनल रिपोर्ट लगाने वाले आईओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती, इस लिए यह जैसा चाहतें हैं, वैसा आरोपी के पक्ष में फाइनल रिपोर्ट लगा देते है। पंकज दूबे बनाम पूर्व सांसद हरीष द्विवेदी इसका एक और उदाहरण है। नगर थाने की पुलिस ने चार बार फाइनल रिपोर्ट लगाया, फिर भी विवेचक के खिलाफ कोई कार्रवाई ना तो कोर्ट ने और ना विभाग ने ही किया। फाइनल रिपोर्ट लगाने के नाम पर पूरे जिले में एक ऐसा घिनौना खेल हो रहा है, जिसके चलते बलात्कार जैसी महिलाओं के सामने आत्महत्या करने के आलावा और कोई रास्ता नहीं बचता। बलात्कार की शिकार महिलाओं को वैसे ही अनेक यातनाओं से गुजरना पड़ता है, उपर से अगर पुलिस और न्यायालय से उसे न्याय नहीं मिलेगा तो फिर वह जाएगी कहां? जिस तरह आईओ साहब लोग चंद रुपये के लिए बलात्कार की शिकार की महिलाओं की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, उससे पूरा समाज प्रभावित हो रहा है। पुलिस और सरकार की अलग से बदनामी हो रही है। इससे बलात्कारियों को बढ़ावा मिलता है। वह बेखौफ होकर बार-बार इस लिए बलात्कार करतें है, क्यों कि उन्हें मालूम हैं, कि उसका बचाव पुलिस तो करेगी ही। अधिकांश बलात्कार की शिकार महिलाएं इस लिए समझौता कर लेती है, क्यों कि वह ना तो पुलिस से लड़ सकती है, और बलात्कारी से ही। शासकीय अधिवक्ता क्रिमिनल दुर्गा प्रसाद उपाध्याय कहते है, कि पहले तो बलात्कार की शिकार महिलाएं उनके पास रोती-बिलगती न्याय के लिए आती है, लेकिन बाद में पता चलता है, कि जिस महिला के लिए इतनी लड़ाई लड़ी गई, उसी महिला ने बाद में समझौता कर लिया। समझौता इस लिए कर लेती है, क्यों कि अधिकांष पीड़ित महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रुप से कमजोर होती, ऐसे लोगों का साथ जब पुलिस भी नहीं देती, तो इनके सामने समझौता ही एक मात्र रास्ता बचता है। इनका कहना है, कि अगर पुलिस साथ दें दे तो ना जाने कितने बलात्कारी जेल में नजर आएगें।

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