रुधौली में भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार हो रहा
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 10 June, 2025 22:56
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रुधौली में भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार हो रहा
बस्ती। नगर पंचायत रुधौली में भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार हो रहा है। यहां पर ठेका देने से पहले ही एडवांस में ले लिया जाता है। यह वही नगर पंचायत हैं, जहां पर डीएम के नाम पर 10 फीसद कमीषन लेने का खुलासा हो चुका। मामला की गंभीरता को देखते हुए डीएम ने इसके लिए जांच टीम गठित की है। बहरहाल, इस नगर पंचायत में जब तक चेयरमैन, ई और बाबू का गठजोड़ रहेगा, तब तक सरकारी धन का दुरुपयोग होता रहे गा, गुणवत्ताविहीन निर्माण कार्य होते रहेगें। यहां पर पोखरा सुंदरीकरण में कई लाखों का घोटाला हुआ ही था कि एक और मामला सामने आ गया। तहसील रूधौली के पीछे जूनियर हाई स्कूल में नगर पंचायत निधि से अतिरिक्त कक्ष का निर्माण लगभग 10 लाख (सूत्रों के मुताबिक) का कमरा बनवाया जा रहा है। जहां पर ठेकेदार जमकर घोटाला करके दोयम सोयम दर्जे की ईंट से निर्माण कार्य करवा रहा है। मौके पर मीडिया टीम जमीनी स्तर पर पड़ताल में पाया तो ठेकेदार संजय श्रीवास्तव ने बहस करते हुए वीडियो तक कर लिया, जब उनसे पूछा गया आप कौन है तो खुद को बड़े अखबारों के ठेकेदार बताकर झगड़ा करने पर उतारू हो गए। जब भ्रष्टाचार को लेकर शिक्षा संसाधन कार्यालय में बैठे खंड शिक्षा अधिकारी से वार्ता की गई तो उन्होंने खुद को कहा कि मैं टेक्निकल इंजिनियर तो हूं नहीं मै तो कंजूमर हूं। इसके लिए आप ईओ नगर पालिका से बात कर लीजिए। अब इनको कौन समझाए कि नगर पालिका नहीं नगर पंचायत है। यह सही है, कि बीईओ इंजीनियर नहीं होता, लेकिन गुणवत्तापरक कार्य करवाने की तो जिम्मेदार बनती हीै। इसके पहले भी यह खंड शिक्षा अधिकारी कई मामलों को लेकर अक्सर विवादों में रहे हैं। कभी खेलकूद के नाम पर पैसे की धनउगाही, तो कभी अध्यापकों को देने वाले नोटिस को प्रेम पत्र कहकर तो कभी अन्य मामलों को लेकर भ्रष्टाचार करके चर्चा में बने रहते है, इनके कार्यकाल में कई अध्यापक भी पीड़ित होकर इनके खिलाफ डीएम से शिकायत कर चुके हैं लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। अब रही बात नगर पंचायत के ठेकेदारों की तो यहां पर एक ठेकेदार एक कार्य योजना को नहीं करवा पाता। किसी भी कार्य को करने के लिए कई ठेकेदार कार्य छोड़कर भाग भी चुके है,ं पोखरा सुंदरीकरण को लेकर ठेकेदार कोई और था काम कोई और कराया। दूसरी तरफ जूनियर हाई स्कूल के बगल बना रहे अतिरिक्त कक्ष में भी पहले ठेकेदार खुद को भ्रष्टाचार में लिप्त होने के बाद असहज महसूस किया और चल दिए। इसके बाद दूसरे ठेकेदार ने कार्य करवाने का जिम्मा लिया लेकिन यह भी दूध के धुले नहीं निकले। अब देखना यह होगा कि भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारी और ठेकेदार के खिलाफ अधिकारी कुछ कर पाते है। अगर कहीं गुणवत्ताविहीन हो रहे अतिरिक्त भवन बनकर तैयार हो गया और बच्चों के साथ कोई बड़ी दुर्घटना होती है, तो जिम्मेदार कौन होगा?
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