एसओ हर्रैया और पैकोलिया यह ना भूलिए कि पुलिस वाले भी जेल जातें!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 18 April, 2025 19:00
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एसओ हर्रैया और पैकोलिया यह ना भूलिए कि पुलिस वाले भी जेल जातें!
-पत्रकार धमेंद्र पांडेय के खिलाफ ऐसी साजिश शायद ही किसी ने रची हो, जैसी दो एसओ ने रची
-कैसे कोई पत्रकार बचेगा, जब दो-दो एसओ मिलकर किसी पत्रकार को एससीएसटी में मुकदमा दर्ज के खिलाफ साजिश रचेंगें?
-अब्दुल गफार, पत्नी कमरुनिशा, पुत्री चांदनी, जुबेर अहमद, कथित पत्रकार रत्नेष्वर मिश्र और राकेश मिश्र ने मिलकर पत्रकार धमेंद्र पांडेय के खिलाफ केस दर्ज कराने की साजिश रची
-एसओ हर्रैया ने अर्जुन के द्वारा टाइपशुदा एसपी को दिए आवेदन को ही फाड़कर फेंक दिया, उसके स्थान पर थाना परिसर में जुबेर ने अपने हाथ से तहरीर लिखी, और अर्जुन से हस्ताक्षर करवाया
-सीसीटीवी इस बात का गवाह है, कि अर्जुन एसओ के पास गया ही नहीं, उसे तो जुबेर ने बाहर ही बैठाए रखा गया
-एसपी से मिलकर अर्जुन ने जो तहरीर दी थी, उसमें पत्रकार धमेंद्र पांडेय के खिलाफ नहीं बल्कि अब्दुल गफार उसकी पत्नी कमरुनिशा, पुत्री चांदनी और सेटरिगं के मालिक के खिलाफ केस दर्ज करने की तहरीर दी गई
बस्ती। जो एसओ या चौकी इंजार्च किसी निर्दोश पत्रकार को जेल भेजवाने की साजिश रचते हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए, कि पुलिस वाले भी साजिश का शिकार हो सकते हैं। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पुलिस वाले भी जेल जातंे हैं। जिस तरह एसओ हर्रैया और पैकोलिया ने पत्रकार धमेंद्र पांडेय के खिलाफ अब्दुल गफार, जुबेर अहमद, कथित पत्रकार रत्नेष्वर मिश्र और राकेश मिश्र के साथ मिलकर सिर्फ खबर को लेकर खुन्नस निकालने के लिए एससीएसटी में मुकदमा दर्ज करने की साजिष रची, वैसी साजिश किसी दुष्मन के खिलाफ भी नहीं रची जा सकती। अब जरा अंदाजा लगाइए कि पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तहरीर कभी अर्जुन ने दी ही नहीं, उन्होंने तो अब्दुल गफार उसकी पत्नी कमरुनिशा, पुत्री चांदनी और सेटरिगं के मालिक के खिलाफ केस दर्ज करने की तहरीर एसपी साहब को दी थी। लेकिन पुलिस ने जुबेर सहित अन्य के साथ मिलकर धमेंद्र पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने की तहरीर पर अर्जुन का यह कहकर हस्ताक्षर करवा लिया, कि मुकदमा अब्दुल गफार, पत्नी, पुत्री और सेटरिगं के मालिक के खिलाफ लिाख जाएगा। जब अर्जुन और उसकी पत्नी ज्योति को असलियत का पता चला तो दोनों ने सीओ को नोटरी शपथ-पत्र देकर पुलिस की पोल खोल दी। ध्यान देने वाली बात यह है, कि अर्जुन ने एसपी को टाइपशुदा आवेदन किया था, लेकिन जिस अर्जुन की तहरीर पर मुकदमा दर्ज हुआ, वह हाथ से लिखा था, जब कि अर्जुन ना लिखना जानता और ना पढ़ना ही जानता। जिस हाथ से लिखी तहरीर पर पुलिस ने धमेंद्र पांडेय के खिलाफ मुकदमा लिखा गया, उसे जुबैर ने थाने के परिसर में बैठकर लिखा था। अर्जुन को एसओ के पास जाने ही नहीं दिया, इसका खुलासा सीसीटीवी से हो सकती है।
सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है, कि जिस अर्जुन के परिवार की मदद सूद पर पैसा दिलवाने में पत्रकार ने की हो, उस व्यक्ति के खिलाफ अर्जुन और उसका परिवार कैसे मुकदमा दर्ज करवा सकता है। यह बात हम नहीं बल्कि पति और पत्नी ने सीओ हर्रैया को दिए गए शपथ पत्र में कहा। पुलिस जिस दस हजार को पत्रकार के खाते में भेजने की बात कह रही है, वह पैसा उधार का था। पुलिस की थ्योरी में इस लिए झोल बताया जा रहा है, क्यों कि जो अर्जुन ठीक से हस्ताक्षर नहीं कर सकता है, वह कैसे अंग्रेजी में पैसा भेजने का मैसेज कर सकता है। बहरहाल, इस मामले में हर्रैया पुलिस को अनेक सवालों का जबाव उस समय देना होगा, जब इसकी जांच होगी। अर्जुन के इकबालिया बयान से यह साबित होता है, कि सभी ने मिलकर पत्रकार के खिलाफ उन्हें जेल भेजने की साजिश रची, उनकी साजिश कामयाब भी हो जाती, अगर अर्जुन और उसकी पत्नी ज्योति सीओ के सामने बयान ना दिया होता। इस फर्जीवाड़े का खुलासा इतना जल्दी हो जाएगा, यह किसी ने सोचा भी नहीं था, पुलिस भी इतनी जल्दी खुलासा नहीं कर पाती। यह भी हो सकता है, कि जिस हर्रैया पुलिस ने अर्जुन के कथित तहरीर पर पत्रकार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया, उसी पुलिस को उन लोगों के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करना पड़ सकता हैं, जिसके साथ मिलकर साजिश रची गई थी। जैसा कि पत्रकार का कहना है, कि वह इस मामले की जांच अवष्य करवाएगें, अगर जांच हो गई तो जांच की आंच पुलिस तक भी पहुंचेगी।
अब जरा पति-पत्नी के उस बयान की ओर ले चलते हैं, जिसमें दोनों ने पुलिस को ही कटघरें में खड़ा कर दिया। कहा कि आठ अप्रैल 25 को करीब दो बजे दिन में अब्दुल गफार के द्वारा कराए जा रहे अवैध निर्माण करवाया जा रहा था, जब स्थगन आदेश है। कहा कि जब हम लोगों ने सेटरिगं खोलने का विरोध किया तो इस पर नाराज होकर अब्दुल गफार, पत्नी कमरुनिशा और पुत्री चांदनी के द्वारा पिता सरजू और पत्नी ज्योति को जातिसूचक अपधब्दों का प्रयोग करते हुए भाग जाने को कहा। नहीं भागने पर चमरपन खत्म देने की धमकी दी। जब पत्नी ने गाली देने से मना किया तो सभी लोग एक राय होकर पत्नी और पिता को जान से मारने की नीयत बुरी तरह मारापीटा। मारने से पिता को गंभीर चाोटें आई, और वह वहीं पर बेहोश हो गए। पत्नी ने फोन करके घटना के बारे में बताया, आनन-फानन में पिता को गंभीर हालत में जिला अस्पताल इलाज के लिए ले गया। कहा कि वह इसकी जानकारी प्रार्थना पत्र के जरिए एसपी को दी गई। जब इसकी जानकारी करने के लिए थाना पैकोलिया गया तो वहां पर एसओ धमेंद्र यादव के साथ जुबेर शेख एवं कथित पत्रकार रत्नेष्वर मिश्र ने मिलकर एक झूठा प्रार्थना पत्र तैयार किया, और उसी पत्र पर हस्ताक्षर कराकर एसओ ने ले लिया और कहा कि जाओ पूती के विरुद्व हरिजन बनाम सवर्ण का मुकदमा और अब्दुल गफार एवं उनके परिवार एवं पूती के खिलाफ दर्ज हो जाएगा। मेरे पास फोन आया कि पूती और धमेंद्र पांडेय के खिलाफ मुकदमा दर्ज, जिस पर हमने कहा कि धमेंद्र पांडेय के खिलाफ क्यों दर्ज हुआ, हमने तो लिखा नहीं था। कहा कि धमेंद्र पांडेय के खिलाफ एक साजिश के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। कहा कि वह झूठे मुकदमें कोई कार्रवाई नहीं चाहता। इस एक बयान ने पुलिस और साजिषकर्त्ताओं की पोल खोलकर रख दी। ऐसे में जनता कैसे पुलिस पर विष्वास करें, जब वह पत्रकार के खिलाफ साजिश करती।
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