पत्रकार धमेंद्र पांडेय के बाद वीके यादव की बारी
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 18 April, 2025 21:10
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पत्रकार धमेंद्र पांडेय के बाद वीके यादव की बारी
बस्ती। अवध नगरी के पत्रकार वीरेंद्र कुमार यादव ने पैकोलिया के मुसहा चौकी पर तैनात सिपाही राम पुकार गिरी पर लगाया जान से मारने की साजिष करने का आरोप। एसओ पैकोलिया को दी एफआईआर लिखने की तहरीर। साजिष रचने का कारण अपनी मौजूदगी में सार्वजनिक के रास्ते की जमीन पर अवैध निर्माण करवाने की खबर को जब ट्यूटर पर डाला तो नाराज हो गए, और ष्याम सुंदर यादव, राम बाबू के साथ मिलकर जान से मारने की साजिष रचने लगे। जिस समय मुसहा चौराहे पर साजिष रची जा रही थी, उस समय पत्रकार का एक हमदर्द भी मौजूद था, जिसने फोन पर पत्रकार को इसकी जानकारी दी। एसओ साहब ने एफआईआर तो नहीं लिखा अलबत्ता थाने पर अटैच करने की जानकारी अवष्य पत्रकार को दी। सिपाही के खिलाफ एक अन्य ने भी एसपी से षिकायत की। पत्रकार ने बताया कि वह दैनिक अवध नगरी समाचार पत्र का वह स्थानीय संवाददाता है। 14 अप्रैल 25 को बरहपेड़ा में एक रास्ते पर अवैध निर्माण करने की एक तहरीर संदीप कुमार ने दी। जिसमें मुसहा चौकी पर तैनात सिपाही राम पुकार गिरी के द्वारा खड़ा होकर ष्याम सुंदर यादव का दीवार निर्माण करवाने का एक वीडियो वायरल हुआ। इसी वीडियो को बस्ती पुलिस सहित अन्य को टैग कर पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग ट्यूटर पर किया। इससे क्षुब्ध होकर सिपाही ने अवैध निर्माण करने वाले के साथ मिलकर पत्रकार को गुंडों से मरवाने-पिटवाने और जान से मारने की साजिष रची जा रही। बताया कि जिस समय यह लोग साजिष रच रहे थे, उस समय उनका एक हमदर्द मौजूद था, उसी ने फोन पर साजिष की जानकारी दी। अभी धमेंद्र पांडेय का मामला चल ही रहा था, कि एक और पत्रकार का मामला सामने आ गया। ऐसा लगता है, मानो पैकोलिया पुलिस ने उन पत्रकारों को सबक सिखाने और देख लेने की योजना बनाई, जो उनके अनैतिक कार्यो का पर्दाफाष करते है। यानि उनके अवैध कमाई के रास्ते में रोड़ा बने हुए है। सवाल यह है, कि पुलिस कितने पत्रकारों को सबक सिखाएगी और कितनों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। जिस तरह पुलिस वाले अनैतिक कार्य पर लगाम नहीं लगा सकते, ठीक उसी तरह पत्रकार भी अपना काम करना नहीं छोड़ सकते। बेहतर यही होगा कि पुलिस अच्छे कार्यो पर ध्यान दें। पीड़ितों की मदद करे। थाने और चौकी पर आने वाले फरियादियों की सुने उनके साथ अच्छा व्यवहार करें, एक आईडिएल बनने का प्रयास करें। ठीक यही सलाह उन पत्रकारों को भी दी जा रही है, जो अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रहें है। बार-बार कहा जा रहा है, कि जिस दिन पत्रकार ईमानदारी दिखाना षुरु कर देगें, उस दिन पुलिस भी उनका सम्मान करने लगेगी। कहा भी जाता है, कि किसी को अच्छा बनने की सलाह तब दी जाती है, जब आप स्वंय अच्छा बनने का प्रयास करते है। ईमानदार पत्रकारों की कोई मदद करें या ना करें कोई बात नहीं, लेकिन उपर वाला अवष्य करता है। जिस दिन पत्रकार पुलिस का चहेता बनने के बजाए एक आम आदमी का चहेता बनने लगेंगे, पत्रकार की जय-जयकार होगी।
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