प्रधानी का चुनाव लड़ने वाले तैयार हो जाए, बज चुका बिगुल
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 28 May, 2025 21:54
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प्रधानी का चुनाव लड़ने वाले तैयार हो जाए, बज चुका बिगुल
-139 न्याय पंचायतों के 1185 ग्राम पंचायतों के प्रधान, 1077 बीडीसी और 43 जिला पंचायत सदस्यों का होगा चुनाव, इस चुनाव में 1866701 मतदाता वोट करेगें
-मई 26 तक कोई भी सीमा विस्तार नहीं होगा, आयोग तो चुनाव की तैयारी कर रहा, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से हरी झंडी नहीं मिली
-जबतक फोटोयुक्त मतदाता सूची नहीं बनेगी, तब तक फर्जी मतदान होते रहेगें, अगर आधार कार्ड से मतदाता सूची को लिंक कर दिया तो तीन-तीन चार-चार स्थानों पर एक ही मतदाता नहीं रह पाएगें
-इस बार का पंचायती चुनाव काफी महंगा और मारपीट खूनखराबा की घटनाओं से भरा होने वाला
-मनरेगा ने प्रधानी और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव को महंगा और खर्चीला बना दिया
-अभी तक प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव सीधे कराने पर निर्णय नहीं हुआ, हो जाए तो भ्रष्टाचार समाप्त हो जाए
बस्ती। वैसे तो पंचायती चुनाव होने में अभी एक साल बाकी है, लेकिन आयोग से अधिक प्रधानी का चुनाव लड़ने वाले सक्रिय हो गए है। जैसे ही बीएलओ की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होगी वैसे ही बीएलओ पर प्रत्याशी लोटापानी के लेकर टूट पड़ेगें, किसी को विरोधी के समर्थकों का वोट काटने के लिए बीएलओ को मुंह मांगी रकम देगा तो कोई वोट बढ़वाने के लिए भेंट चढ़ाएगा, कुल मिलाकर हारजीत का फैसला मतदाता नहीं बल्कि बीएलओ करेगें। वैसे भी बीएलओ और वेंडर की भूमिका हमेशा से ही संदेह के घेरे में रही है। यह भूमिका संदेह के घेरे में रहेगी, जब तक फोटोयुक्त मतदाता सूची की व्यवस्था नहीं होगी, अगर आधार कार्ड से लिंक भी कर दिया तो एक व्यक्ति कई स्थानों से मतदाता नहीं बन पाएगा। कहने का मतलब आयोग और सरकार खुद नहीं चाहती कि चुनाव पारदर्शी हो, अगर चाहती तो कब का प्रमुखों और जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव सीधे करवा सकती थी, लेकिन सरकार को तो भ्रष्टाचार फैलाना है, अपने लोगों को अधिक से अधिक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाना हैं। योगीजी अच्छी तरह जानते हैं, कि उनके सरकार की छवि जनता के बीच इतनी खराब हो चुकी है, कि शायद ही 10-20 प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव जीत सके। भाजपा ने इस लिए अविष्वास लाने पर अघोशित रोक लगा दिया, अगर रोक न लगाती तो भाजपा के 75 फीसद प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कोई और बैठा हुआ मिलता। संतकबीरनगर अपवाद माना जा सकता हैं, भाजपा ने पूरा जोर लगासया कि अविष्वास प्रस्ताव न आने पाए, डीएम तक ने खारिज कर दिया था, लेकिन कोर्ट के आदेश पर जब अविष्वास हुआ वहीं हुआ, जिसका भाजपा को डर था। भाजपा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि सीधे चुनाव न कराकर विकास का कितना नुकसान होगा। भाजपा के लोगों को तो प्रमुखी और जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में टिकट बेच कर करोड़ों कमाने की चिंता है। बहरहाल, चुनाव होने में अभी एक साल बाकी है, इस बीच अगर भाजपा और योगीजी को सदबुद्वि आ गई तो सीधे चुनाव भी हो सकता है। वैसे जब तक भाजपा की सरकार हैं, सीधे चुनाव होने की संभावनाएं न के बराबर है। कहने का मतलब एक बार फिर जिला पंचायत सदस्य और बीडीसी बिकने के लिए तैयार रहे।
जिले के 139 न्याय पंचायतों के 1185 ग्राम पंचायतों के प्रधान, 1077 बीडीसी और 43 जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव मई 26 में होने की संभावना है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है, कि चुनाव से पहले कोई भी सीमा विस्तार नहीं होगा, नगरपालिका की संभावना थी, लेकिन वह भी समाप्त हो गया। यहां पर भी भाजपा के लोगों के खेल खेला, मिसाल के तौर पर अगर नगरपालिका के सीमा का विस्तार हो जाएगा तो भाजपा के दो प्रमुख सदर के राकेश कुमार श्रीवास्तव और सांउघाट के अभिशेक की प्रमुखी चली जाएगी, इसी तरह प्रदेश के न जाने कितने ऐसे प्रमुख होगें जिनकी प्रमुखी सीमा विस्तार के कारण चली जाएगी। इसी लिए सरकार ने मई 26 यानि चुनाव तक तक कोई भी सीमा विस्तार न होने का फरमान जारी कर दिया। किया है। आयोग तो चुनाव की तैयारी कर रहा, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से हरी झंडी नहीं मिली, कहा जा रहा है, कि जबतक फोटोयुक्त मतदाता सूची नहीं बनेगी, तब तक फर्जी मतदान होते रहेगें, अगर आधार कार्ड से मतदाता सूची को लिंक कर दिया तो तीन-तीन चार-चार स्थानों पर एक ही व्यक्ति मतदाता नहीं रह पाएगें। इस बार का पंचायती चुनाव काफी महंगा और मारपीट खूनखराबा की घटनाओं से भरा होने वाला। मनरेगा ने प्रधानी और ब्लॉक प्रमुख के चुनाव को महंगा और खर्चीला बना दिया। फिलहाल अभी से ही पंचस्थानी निर्वाचन कार्यालय में पूछताछ करने वालों की संख्या आने लगी।
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