नकली प्रमुखों ने बनाया भ्रष्टाचार का नया रिकार्ड

नकली प्रमुखों ने बनाया भ्रष्टाचार का नया रिकार्ड

नकली प्रमुखों ने बनाया भ्रष्टाचार का नया रिकार्ड

-पहले स्थान पर बनकटी, दूसरे पर परसरामपुर, चौथे पर बहादुरपुर, पांचवें पर गौर, छठवें पर हर्रैया, सातवें पर दुबौलिया, दसवें पर कप्तानगंज, 11वें पर सल्टौआ और 12वें पर रुधौली रहा

-तीसरे स्थान पर कुदरहा, आठवें पर रामनगर, नौवें पर विक्रमजोज, 13वें पर बस्ती सदर और अंतिम 14वें स्थान पर साउंघाट रहा

-तीन अरब 63 करोड़ 20 लाख में से सिर्फ नौ नकली प्रमुखों ने कुल खर्च का 72 फीसद यानि दो अरब 61 करोड़ 39 लाख का गोलमाल किया

वहीं पर पांच असली प्रमुखों के हिस्से में मात्र 28 फीसद यानि एक अरब एक करोड़ 61 आया, इनमें अकेले कुदरहा का 39.24 करोड़, इस ब्लॉक के प्रमुख ने असली प्रमुखों की इज्जत को रख लिया

बनकटी/बस्ती। सरकार, जनता और मीडिया का यह दुर्भाग्य रहा है, कि हर साल नकली प्रमुखों और असली प्रमुखों के द्वारा मनरेगा में धन लूटने का रिकार्ड बनाया जा रहा है। यह लोग एक करोड़ खर्च करके पांच साल में 25 से 30 करोड़ कमाते हैं। दुनिया का षायद ही कोई ऐसा कारोबार होगा जो एक करोड़ लगाकर पांच साल में 25-30 करोड़ कमाने का मौका देता होगा। यह गांरटी सिर्फ और सिर्फ मनरेगा ही दे सकता है। प्रमुखों के हर साल खर्च करने के औसत पर अगर गौर करें तो एक प्रमुख का 10-12 लाख आता है, और कमाई हर साल पांच से छह करोड़ की होती।  हैं, कोई ऐसा कारोबार, जिसमें इतना मुनाफा हो। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है, कि 13 दिसंबर 24 तक मनरेगा में कुल तीन अरब 63 करोड़ 20 लाख खर्च हुआ, लेकिन ना तो एक भी ग्राम पंचायत और ना ही एक भी क्षेत्र पंचायत माडल बन पाई, सवाल उठ रहा है, कि आखिर इतना पैसा किसकी जेब में गया, क्यों नहीं धरातल पर विकास दिखाई दे रहा है, क्यों नहीं ग्राम पंचायतें और क्षेत्र पंचायतें माडल बन पा रही हैं? क्यों नहीं कोई प्रमुख और प्रधान आईडिएल बन पा रहा है? क्यों जनता उसे भ्रष्टाचारी के रुप में जानती?

देखा जाए तो मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी के नाम पर सरकार ने दो अरब 31 करोड़ 18 लाख खर्च किया, लेकिन एक भी मजदूर के घर में आज भी ठीक से दो वक्त का भोजन भी नहीं बन पाता। इनके बच्चे नंगे पैर और फटे हुए कपड़े पहनकर गुजारा कर रहे है। अपुष्ट आकड़ों के मुताबिक कुल खर्च का 90 फीसद मजदूरी का पैसा प्रधान, रोजगार सेवक, तकनीकी सहायक, सचिव, बीडीओ और प्रमुखों की जेबों में चला जाता है। यह लोग ऐसे श्रमिकों का भोजन छीन कर खाते हैं, जिनके बच्चे आधा पेट भूखे रह जाते है। यानि लगभग दो अरब का बंदरबांट सिर्फ मजदूरी के नाम पर हुआ। जिले के 1185 प्रधानों में से षायद ही किसी प्रधान ने सरकारी धन का इस्तेमाल पूरी तरह विकास में किया हो। रही बात नौ नकली और पांच असली सहित कुल 14 ब्लॉक प्रमुखों की तो, अगर चाह लेते तो ग्राम पंचायतों में विकास ही विकास दिखाई देता, फिर हर साल पांच अरब खर्च करने की आवष्यकता नहीं पड़ती। यह मनरेगा के गरीब मजदूरों का पैसा ही है, जिसे लेकर एक दो प्रमुख विधायक बनने का सपना देख रहें है। एक ने तो यहां तक निर्णय ले लिया कि उन्हें कप्तानगंज से चुनाव लड़ना ही लड़ना है, भले ही चाहे भाजपा उन्हें टिकट दें या ना दे। जो भी पार्टी इन्हें टिकट दे देगी उसी से यह किस्मत आजमाने की रणनीति बना रहे है। चूंकि इनके पास अनैतिक रुप से कमाए गए अूकत धन है, इस लिए यह पैसे से टिकट भी खरीद सकते हैं, कोई भी ऐसे लोगों को उनकी साफ-सुधरी छवि को देखकर टिकट नहीं देंगी, बल्कि लक्ष्मी के नाम पर टिकट देगी। जीतना हारना अलग बात है। जाहिर सी बात हैं, कि ऐसे लोगों को जनता देख रही है, और ऐसे लोग सरकार की आखं में तो धूल झोंक सकते हैं, लेकिन जनता के नही। अगर ऐसे लोग अपने मकसद में कामयाब भी हो गए, और विधायक भी बन गए तो जनता इन्हें मनरेगा का धन लूटकर विधायक बनने वाला नेता ही कहेगी। रही बात अन्य असली/नकली प्रमुखों का तो उन्होंने मनरेगा से इतना पैसा बना लिया है, कि उनकी सात पुष्तें बिना कोई श्रम किए राजाओं जैसी जिंदगी गुजार सकती है। यह लोग पैसे के बल पर किसी भी पार्टी में घुसपैठ बना सकते है। 99 फीसद लोग बिना सत्ता सुख के नहीं रह सकते। जिस भी व्यक्ति को प्रमुखी का चस्का लग गया है, वह किसी ना किसी तरह प्रमुख ही बनना पसंद करेगा, भले ही चाहें लोग उसे नकली प्रमुख ही क्यों ना कहे। 

बनकटी में सबसे अधिक 45.73 करोड़ का हुआ भ्रष्टाचार

मनरेगा साइट से मिली जानकारी के अनुसार 13 दिसंबर 24 तक जिले में कुल तीन अरब 63 करोड़ 20 लाख खर्च हुआ, जिसमें बनकटी ने 45.73 करोड़, परसरामपुर ने 39.24 करोड़, कुदरहा ने 34.47 करोड़, बहादुरपुर ने 33.72 करोड़, गौर ने 30.75 करोड़, हर्रैया ने 28.39 करोड़, दुबौलिया ने 26.85 करोड़, रामनगर ने 21.37 करोड़, कप्तानगंज ने 21.08 करोड़, विक्रमजोत 20.18 करोड़, सल्टौआ ने 17.85 करोड़, रुधौली ने 17.78 करोड़, बस्ती सदर ने 14.06 करोड़ और जिले के सबसे गरीब माने जाने वाले साउंघाट में मात्र 11.66 करोड़ खर्च किया।

मजदूरी में भी बनकटी ने मारी बाजी, 28.24 करोड़

कहा और माना जाता है, कि जिस ब्लॉक में सबसे अधिक श्रमिकों के नाम पर पैसा खर्च होता है, उस ब्लॉक में श्रमिकों के नाम पर सबसे अधिक भ्रष्टाचार होता। इत्तफाक से यहां पर भी बनकटी ने बाजी मार ली। बनकटी में 28.24 करोड़, 24.47 करोड़, बहादुरपुर में बस्ती सदर में 8.62 करोड़, दुबौलिया में 15.46 करोड़, गौर में 18.54 करोड़, हर्रैया में 19.31 करोड़, कप्तानगंज में 13.22 करोड़, कुदरहा में 23.07 करोड़, परसरामपुर में 25.60 करोड़, रामनगर में 12.67 करोड़, रुधौली में 11.61 करोड़, सल्टौआ में 10.13 करोड़, साउंघाट में 7.22 करोड़ और विक्रमजोत में 12.95 करोड़ सहित कुल दो अरब 31 करोडत्र 18 लाख खर्च हुआ।

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