मैडम’, यह ‘सीएमओ’ तो ‘पूर्व सीएमओ’ भी बड़ा ‘लुटेरा’!

मैडम’, यह ‘सीएमओ’ तो ‘पूर्व सीएमओ’ भी बड़ा ‘लुटेरा’!

मैडम’, यह ‘सीएमओ’ तो ‘पूर्व सीएमओ’ भी बड़ा ‘लुटेरा’!

-‘सीएमओ’ के वसूली ‘गैंग’ में ‘डा. बृजेश शुक्ल’ की हुई ‘इंटी’ अभी तक सीएमओ की गैंग में दोनों नोडल डा. एसबी सिंह और डा. एके चौधरी शामिल रहें, लेकिन कमाई कम होने पर आरसीएच एवं सीएमएसडी स्टोर के प्रभारी एवं हर्रैया सीएचसी के एमओआईसी डा. बृजेश शुक्ल को भी सीएमओ ने शामिल कर लिया

-सीएमओ साहब इनपर इतना मेहरबान है, कि इन्होंने इनके लिए अपर/उप मुख्यचिकित्साधिकारी बना दिया, इतना ही स्थानीय होने के बावजूद नियम विरुद्ध जिला स्तरीय अधिकारी का प्रभार दे दिया

-शिकायतकर्त्ता उमेश गोस्वामी ने डीएम से कहा कि मैडम यह सीएमओ तो पूर्व सीएमओ से भी बड़ा लूटेरा, पूर्व सीएमओ ने तो प्राइवेट गैंग बनाया था, लेकिन वर्तमान सीएमओ ने तो अपनी गैंग में सरकारी डाक्टर्स को शामिल कर लिया

-हर्रैया सीएचसी के मरीजों को अगर एमओआईसी डा. बृजेश शुक्ल से इलाज कराना यह फिर इन्हें दिखाना है, तो अस्पताल नहीं बल्कि सीएमओ कार्यालय आना पड़ेगा, यह सीएमओ के पास बैठे हुए हमेशा मिल जाएगें

बस्ती। अगर कोई शिकायतकर्त्ता डीएम के पास जाए और यह कहे कि मैडम, वर्तमान सीएमओ तो पूर्व सीएमओ से भी बड़ा लुटेरा हैं, और यह भी कहे, कि इन्होंने अपने लूटपाट वाले गैंग में इन्होंने नोडल डा. एसबी सिंह और नोडल डा. एके चौधरी के बाद आरसीएच एवं सीएमएसडी स्टोर के प्रभारी एवं हर्रैया सीएचसी के एमओआईसी डा. बृजेश शुक्ल को भी सीएमओ ने षामिल कर लिया, ताकि लूटपाट अधिक हो सके, तो एक नवागत डीएम के मन में सीएमओ के प्रति कैसी छवि बनेगी, इसे आसानी से सोचा और समझा जा सकता है। सुनने में अजीब लग रहा होगा, लेकिन यही सच्चाई हैं, और इसके लिए जनता सबसे अधिक दोनों नोडल के भ्रष्ट आचरण को जिम्मेदार मान रही है। भले ही चाहें, दोनों नोडल पर कोई प्रभाव पड़े या न पड़े यह अलग बात हैं, लेकिन इसका प्रभाव दोनों नोडल के परिवारों पर अवष्य पड़ता है। पहले के अधिकारी यह चाहते थे, कि समाज में उनका मान-सम्मान हो, कोई उन्हें चोर न कहने पाए, लेकिन आज के अधिकारी को इस बात से कोई मतलब नहीं कि कोई उन्हें चोर और लूटरा कह रहा है, या फिर डकैत कह रहा, कोई फर्क नहीं पड़ता, ऐसे लोगों को गांधीजी मिलता रहे, भले ही गालियां ही क्यों न मिले? इन्हीं अधिकारियों में सीएमओ और दोनों नोडल हैं, इन्होंने पैसे के लिए वह कार्य किया, जिसे करने के लिए एक अधिकारी हजार बार सोचेगा। इन लोगों ने पैसे के लिए समाज, मरीज और सरकार को धोखा दिया। इसी लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर हथौड़ा मारने वाले उमेश गोस्वामी ने डीएम से कहा कि पर्तमान सीएमओ तो पूर्व सीएमओ से भी बड़ा लूटेरा है। यह शब्द किसी भी ईमानदार अधिकारी के लिए मरने जैसा होता है। लेकिन सीएमओ कार्यालय में कोई मरता नहीं बल्कि दूसरों को मारता है। नई व्यवस्था के तहत ‘सीएमओ’ के वसूली ‘गैंग’ में ‘डा. बृजेश शुक्ल’ की हुई ‘इंटी’ अभी तक सीएमओ की गैंग में दोनों नोडल डा. एसबी सिंह और डा. एके चौधरी शामिल रहें, लेकिन कमाई कम होने पर आरसीएच एवं सीएमएसडी स्टोर के प्रभारी एवं हर्रैया सीएचसी के एमओआईसी डा. बृजेश शुक्ल को भी सीएमओ ने शामिल कर लिया। सीएमओ साहब इनपर इतना मेहरबान है, कि इन्होंने इनके लिए अपर/उप मुख्यचिकित्साधिकारी का नया पद सृजित कर दिया। इतना ही नहीं स्थानीय होने के बावजूद नियम विरुद्ध जिला स्तरीय अधिकारी का प्रभार भी दे दिया। शिकायतकर्त्ता उमेश गोस्वामी ने डीएम से कहा कि मैडम पूर्व सीएमओ ने तो प्राइवेट गैंग बनाया था, लेकिन वर्तमान सीएमओ ने तो अपनी गैंग में सरकारी डाक्टर्स को शामिल कर लिया। हर्रैया सीएचसी के मरीजों को अगर एमओआईसी डा. बृजेश शुक्ल से इलाज कराना यह फिर इन्हें दिखाना है, तो अस्पताल नहीं बल्कि सीएमओ कार्यालय आना पड़ेगा, यह सीएमओ के पास बैठे हुए हमेशा मिल जाएगें। सवाल, उठ रहा है, कि क्यों सीएमओ ने सारे नियम कानून तोड़कर इन्हें स्थानीय निवासी होने के बावजूद जिला स्तरीय अधिकारी का प्रभार दे दिया, अपर/उप मुख्यचिकित्साधिकारी का जो पद दिया गया, वह पद गाइड लाइन में कहीं भी नहीं है। शपथ-पत्र के साथ कहा कि सीएमओ ने गैरकानूनी तरीके से डा. बृजेश शुक्ल को आरसीएच एवं सीएमएसडी स्टोर का चार्ज किस लालच में दिया गया, इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। कहा कि जब से निगम साहब जिले में आए हैं, तब से इन्हओंने सिविल टेंडर एवं प्रिंटिगं टेंडर में कितना धन निकाला इसकी भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। कहा कि पहले मुझे लगा कि सीएमओ साहब हल्का फुल्का खाते हैं, लेकिन जब यह पता चला कि इन्होंने नियम विरुद्ध डा. बृजेश शुक्ल को प्रभार दे दिया तो पता चला कि यह तो बहुत बड़ा खाउं है। कहा कि इसके लिए सीएमओ और डा. बृजेश शुक्ल में कोई डील किया। कहा कि इन्हें इन्हें इनके पद से हटाया जाए, क्यों कि यह दिन भर सीएमओ के पास बैठे रहते हैं, मरीज देखने हर्रैया सीएचसी नहीं जाते।

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