मेडिकल कालेज के डाक्टर्स घूम-घूम नोट बटोर रहें!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 26 July, 2025 20:19
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मेडिकल कालेज के डाक्टर्स घूम-घूम नोट बटोर रहें!
-बेहोशी वाला डाक्टर बेहोश करने का पैसा ले रहा, सर्जन वाला डाक्टर चीड़ॅफाड़ का पैसा ले रहा, आर्थो वाला डाक्टर हडडी का आपरेशन कर कमा रहा और गाइनी सीजर कर तिजोरी भर रही
-कहने को यह मेडिकल कालेज के डाक्टर्स हैं, लेकिन यह प्राइवेट डाक्टर्स की तरह बाहर प्रेक्टिस कर रहें, इन लोगों ने अपनी डाक्टरी का पेशा और जमीर तक बेच दिया, डिग्री तक को नीलाम कर रहें
-सर्जन डा. लालमनि पाल अपनी सेवाएं रेमिडी, अंनता और सोनूपार से भदेष्वरनाथ पर स्थित घर के अस्पताल आयुष्मान हास्पिटल में सेवाएं देकर नाम और पैसा दोनों कमा रहें, स्थानीय होने का यह खूब लाभ उठा रहें
-हडडी वाले आर्थो वाले डा. विजय शंकर दक्षिण दरवाजा के टीएन अस्पताल और पचपेड़िया रोड पर घर के क्लीनिक पर निर्भीकता पूर्वक एवं एकाग्रता से मरीजों का खून चूस रहें
-एक और आर्थो सर्जन श्रीपाल चौधरी पूरे मार्केट में घूम-घूमकर पूरे मनोयोग से आपरेशन कर रहें, जब कि कैली में इन्हें आपरेशन करने में कठिनाई महसूस हो रही, यह दक्षिण दरवाजा के केयर और तथास्तु जैसे 8-10 अस्पतालों में इनकी डेली हाजरी लगती
-स्त्री एवं प्रसूत रोग विशेषज्ञ डाक्टर रुपाली नायक को कैली अस्पताल में डिलीवरी करने में यह अपने आप को अपमानित महसूस करती, लेकिन गांधीनगर के एसआरडी में उेवा देकर अपने आपको गौरन्वित महसूस अवष्य करती
-बेहोशी वाली महिला डाक्टर सुरभि दिन भर घूम-घूमकर मरीजों को बेहोश करके कमाई करती, बेहोशी डाक्टर की कमी का यह खूब फायदा उठाती
-बेहोशी वाले डाक्टर्स के मुखिया यानि एचओडी डाक्टर अभिषेक बर्नवाल की मंहगी कार कोई दिन ऐसा नहीं होता जिस दिन इनकी कार दो से रात 11 बजे तक पचेपेड़िया रोड स्थित ओमआर्थो के डा. डीके गुप्त के अस्पताल के बाहर न दिखाई देती हो
-रेडियोलाजिस्ट डा. आरएस पांडेय खुले आम भव्या, सत्यम और कोतवाली के पास अव्या अस्पताल में अनैतिक रुप से सेवा की कीमत वसूल रहें
-यह सही है, कि सपा के कार्यकाल में सरकारी डाक्टर्स चोरी छिपे प्राइवेट प्रेक्टिस करते थे, लेकिन भाजपा के राज में यह लोग नौकरशाहों की तरह बेलगाम हो गएत्र इन्हें न तो सीएम का डर है, और न डिप्टी सीएम का खौफ
-प्राइवेट अस्पताल वाले डाक्टर्स तो करोड़ों लगाकर मरीजों का खून चूस रहे हैं, लेकिन यह सरकारी और मेडिकल कालेज के डाक्टर बिना पूंजी के इलाज, आपरेशन और बेहोशी का व्यापार कर रहें
-एक सर्जन को पांच हजार से लेकर सात हजार, गाइनी को पांच हजार तक उनकी सेवाओं को मिलता
-मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डा. मनोज ने बताया कि प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले डाक्टर्स को कारण बताओ नोटिस जारी हो रहा
बस्ती। भाजपा राज में नौकरशाहों की तरह सरकारी डाक्टर्स भी बेलगाम होते जा रहे है। इससे अच्छा तो सपा का शासन था, जहां पर सरकारी डाक्टर्स चोरी छिपे प्राइवेट प्रेक्टिस करते थे, लेकिन भाजपा राज में तो सरकारी डाक्टर्स न तो दिन देख रहे हैं, और न रात, रात दिन प्राइवेट प्रेक्टिस करने में लगे हुएं हैं। रात 12-12 बजे तक ऐसे डाक्टर आपरेशन कर रहें हैं, जिनके पास आपरेशन करने की डिग्री ही नहीं, कोई देखने वाला नहीं कि कैसे मेडिकल कालेज के रेडियोलाजिस्ट डा. राजेश पासवान ने रात 12 बजे आपरेशन किया और मरीज मर गया। क्वालीफाई करके मेडिकल कालेज आने वाले नामचीन डाक्टर ज्वाइन करते ही प्राइवेट प्रेटिक्स करना प्रारंभ कर देते है। जो मेडिकल कालेज इन्हें मान-सम्मान दे रहा है, उसी मेडिकल कालेज का नाम यह लोग बेचकर पैसा कमा रहे है। जिला अस्पताल, महिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी से अधिक मेडिकल कालेज के डाक्टर्स में गंदगी भरी हुई है। इन्हें जरा भी एहसास नहीं कि इनके कारण मेडिकल कालेज और सरकार का नाम बदनाम हो रहा है। सवाल उठ रहा है, कि जब इन्हें प्राइवेट प्रेक्टिस ही करनी थी तो फिर क्यों मेडिकल कालेज में सहायक प्रोफेसर और प्रोफेसर बनने चले आए, अपना कोई क्लीनिक खोल लेते, यह फिर किसी नर्सिगं होम में नौकरी कर लेते। मेडिकल कालेज की नौकरी करने की क्या जरुरत। असलियत यह है, कि यह लोग मेडिकल कालेज की नौकरी इस लिए करते हैं, ताकि जब यह नौकरी छोड़े तब यह अपने हास्पिटल या क्लीनिक पर लिख सके कि फंला मेडिकल कालेज के पूर्व प्रोफेसर। मेडिकल कालेज के प्रोफेसर का बोर्ड देखकर मरीज समझने की गलती कर बैठता हैं, कि यह बड़ेे और ईमानदार डाक्टर्स होगें, मरीज और तिमारदारों को असलियत का पता तब चलता हैं, जब उसका खेत और जमीन बिक जाता है, फिर वह अपनों की जान नहीं बचा पाता।
कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा के राज में सरकारी डाक्टर्स ने मेडिकल कालेज और अन्य सरकारी अस्पतालों को कमाई का जरिया बना लिया। कहना गलत नहीं होगा, कि जब से सूबे के डिप्टी सीएम/स्वास्थ्यमंत्री बृजेश पाठक बने हैं, तब से मरीजों के मरने और खून चूसने की संख्या बढ़ी है। इन्होंने न तो डिप्टी ाीएम और न हेल्थ मंत्री के रुप में ईमानदारी दिखाया। इन्हीं के कार्यकाल में एक सीएमओ को जिले की कुर्सी पाने के लिए 25 से 30 लाख खर्च करना पड़ता। कहने का मतलब भ्रष्टाचार की गंगा मंत्री के कार्यालय और आवास से ही बहनी शुरु हुई, और भ्रष्टाचार की चपेट में पूरा सूबा आ गया। जनता सवाल उठा रही है, कि क्या इसी दिन के लिए भाजपा की सरकारी बनाई, कि मरीज मरे और डाक्टर्स झोली भरे। जनता सरकारी धन लूटने को तो बर्दाष्त कर लेगी, लेकिन परिवार के सदस्य के खोने को बर्दाष्त नहीं करेगी। जिस तरह आए दिन मरीज डाक्टर्स की लापरवाही और लालच के कारण मरीजों की मौतें हो रही हैं, उसका खामियाजा भाजपा को 2027 में अवष्य भुगतना पड़ेगा। कहीं ऐसा न हो कि जनता यह कहने लगें कि हम्हें सपा का जुल्म बर्दाष्त हैं, लेकिन भाजपा नहीं चाहिए। नहीं चाहिए, नहीं चाहिए। कहीं यह नारा चुनाव में मुद्वा बन गया तो भाजपा के लिए बड़ी मुस्किल हो जाएगी।
अब जरा मेडिकल कालेज के पार्ट टू का सच जानिए। बेहोशी करने वाला डाक्टर बेहोश करने का पैसा ले रहा, सर्जरी करने वाला डाक्टर चीड़ॅफाड़ का पैसा ले रहा, आर्थो वाला डाक्टर हडडी का आपरेशन कर कमा रहा और गाइनी सीजर कर तिजोरी भर रही है। कहने को यह मेडिकल कालेज के डाक्टर्स हैं, लेकिन यह प्राइवेट डाक्टर्स की तरह बाहर प्रेक्टिस कर रहें, इन लोगों ने अपनी डाक्टरी का पेशा और जमीर तक बेच दिया, डिग्री तक को नीलाम कर रहें है। सर्जन डा. लालमनि पाल अपनी सेवाएं रेमिडी, अंनता और सोनूपार से भदेष्वरनाथ के बीच स्थित घर के अस्पताल आयुष्मान हास्पिटल में सेवाएं देकर नाम और पैसा दोनों कमा रहें, स्थानीय होने का यह खूब लाभ उठा रहें है। हडडी वाले आर्थो डा. विजय शंकर दक्षिण दरवाजा के टीएन अस्पताल और पचपेड़िया रोड पर घर के क्लीनिक पर निर्भीकता पूर्वक एवं एकाग्रता से मरीजों की सेवाकर उनका खून चूस रहें है। एक और आर्थो सर्जन श्रीपाल चौधरी पूरे मार्केट में घूम-घूमकर पूरे मनोयोग से आपरेशन कर रहें, कैली में इन्हें आपरेशन करने में कठिनाई महसूस होती है, यह दक्षिण दरवाजा के केयर और तथास्तु जैसे 8-10 अस्पतालों में इनकी डेली हाजरी लगती है। स्त्री एवं प्रसूत रोग विशेषज्ञ डाक्टर रुपाली नायक कैली अस्पताल में डिलीवरी करने में अपने आप को अपमानित महसूस करती, लेकिन गांधीनगर के एसआरडी में सेवा देकर अपने आपको गौरन्वित महसूस करती है। बेहोशी वाली महिला डाक्टर सुरभि दिन भर घूम-घूमकर मरीजों को बेहोश करके कमाई कर रही। बेहोशी वाले डाक्टर की कमी का यह खूब फायदा उठा रही है। बेहोशी वाले डाक्टर्स के मुखिया यानि एचओडी डाक्टर अभिषेक बर्नवाल की मंहगी कार कोई दिन ऐसा नहीं होता जिस दिन दो से रात 11 बजे तक पचेपेड़िया रोड स्थित ओमआर्थो के डा. डीके गुप्त के अस्पताल के बाहर न दिखाई देती हो। रेडियोलाजिस्ट डा. आरएस पांडेय खुले आम भव्या, सत्यम और कोतवाली के पास अव्या अस्पताल में अनैतिक रुप से सेवाओं की कीमत वसूल रहें है। यह सही है, कि सपा के कार्यकाल में सरकारी डाक्टर्स चोरी छिपे प्राइवेट प्रेक्टिस करते थे, लेकिन भाजपा के राज में यह लोग नौकरशाहों की तरह बेलगाम होकर अनैतिक कार्य कर रहे है। इन्हें न तो सीएम का डर है, और न डिप्टी सीएम का खौफ। प्राइवेट अस्पताल वाले डाक्टर्स तो करोड़ों लगाकर मरीजों का खून चूस रहे हैं, लेकिन यह सरकारी और मेडिकल कालेज के डाक्टर बिना पूंजी के इलाज, आपरेशन और बेहोशी का व्यापार कर रहें है। मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डा. मनोज ने बताया कि प्राइवेट प्रेक्टिस करने वाले डाक्टर्स को कारण बताओ नोटिस दिए जा रहे है। इससे पहले मेडिकल कालेज के कई डाक्टर्स की पोल खुल चुकी है। एक सर्जन को पांच हजार से लेकर सात हजार, गाइनी को पांच हजार तक उनकी सेवाओं का मिलता। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं, कि एक दिन की कमाई इन डाक्टर्स की कितनी होगी।
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