कुदरहा में सीडीओ के कमीशन का रेट 30 फीसद

कुदरहा में सीडीओ के कमीशन का रेट 30 फीसद

कुदरहा में सीडीओ के कमीशन का रेट 30 फीसद  

-इससे पहले नगर पंचायत रुधौली में डीएम के नाम पर दो लाख कमीशन लेने का आरोप लग चुका

-कुदरहा के बैसिया कला के उमेश गोस्वामी के खाते में बिना काम किए मनरेगा का 8500 भेजने वाले रोजगार सेवक के पति कुषल देव ने कहा कि एक हजार रख लो और साढे़ सात हजार वापस करो, क्यों कि सीडीओ को 30, बीडीओ को 12, सचिव को छह और कम्पयूटर आपरेटर को दो फीसद कमीशन देना

-पैसा निकालने वाला मशीन भी साथ में लेकर गया, जब पैसा देने से इंकार कर दिया तो उसके दूसरे भाई ने मारा-पीटा, चौकी वालों ने भी नहीं सुनी

-जब उमेश ने कहा कि पैसा तो सरकार के खाते में जाएगा, एक रुपया भी नहीं दूंगा, तब कहा कि पैसा नहीं दोगें तो तुम्हारा हत्या हो जाएगा

-तहसील दिवस और डीएम को शपथ-पत्र के साथ दिए पत्र में दोनों भाईयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने और मनरेगा घोटाले की जांच करने की मांग की

-जब सीडीओ, बीडीओ, सचिव और कम्पयूटर आपरेटर के खाते में 50 फीसद मनरेगा में कमीशन चला जाएगा तो काम क्या होगा, अभी इसमें प्रधान और रोजगार सेवक का 20 फीसद कमीषन बाकी

-लिखा कि साहब फर्जी भुगतान में 10 फीसद मनरेगा मजदूर और बाकी 90 फीसद कमीशन में चला जाता

बस्ती। आशीष शुक्ल का भ्रष्टाचार मिटाओ आंदोलन कैसे सफल होगा? जब उनके ही पार्टी के लोग मनरेगा को बेच रहें है। अधिकारी भले ही कमीशन ले या न ले लेकिन उनके नाम पर तो लिया ही जा रहा है। जब मनरेगा में सीडीओ के नाम पर 30, बीडीओ के नाम पर 12, सचिव के नाम पर छह, रोजगार सेवक के नाम पर छह और प्रधान के नाम पर 10 सहित कुल 66 फीसद कमीशन मांगा/लिया जा रहा है, तो जिला भ्रष्टाचार में जलेगा ही। मनरेगा में दस हजार मानदेय पाने वाला कंप्यूटर आपरेटर दो फीसद कमीशन लेकर जब करोड़पति बन सकता है, तो डीसी मनरेगा, बीडीओ, सचिव, प्रधान, रोजगार की कितनी हैसियत होगी? इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। वैसे ही नहीं एक रोजगार सेवक 50 लाख का महल खड़ा कर लेता है। सीडीओ के नाम पर 30 फीसद कमीशन मांगने का खुलासा कुदरहा ब्लॉक के ग्राम पंचायत बैसिया कला में मनरेगा श्रमिक उमेश गोस्वामी ने उस समय किया जब उसके पास पैसा निकालने वाला मशीन लेकर गांव का कुशल पहुंचा और कहने लगा कि तुम्हारे खाते में मजदूरी का 8500 भेज दिया हूं, उसमें से एक हजार रख लो और 7500 हजार पर मशीन पर अगंूठा लगा दो। तब उमेश ने कहा कि जब उसने काम ही नहीं किया तो कैसे उसके खाते में बिना काम के 8500 तुम्हारी रोजगार पत्नी रीता देवी ने फर्जी हाजरी लगाकर भेज दिया। इतना कहना था, कि कुशल ने कहा कि 7500 हजार तो वापस करना ही होगा, क्यों कि उसमें 30 फीसद सीडीओ, 12 फीसद, बीडीओ, छह फीसद सचिव और दो फीसद कंप्यूटर आपरेटर को देना है। प्रधान और रोजगार सेवक का कमीशन नहीं बताया। कहा कि अगर 7500 तो वापस नहीं करोगो तो तुम्हारी हत्या हो जाएगी। यह घटना पहली जून 25 को है। उमेश ने कहा कि जब पैसा नहीं दिया तो उसी दिन कुशल का भाई कृष्ण ने पकड़ लिया और जान लेवा हमला कर दिया। दो जून को वह कुदरहा चौकी पहुंचा तहरीर भी दिया, लेकिन वहां पर समझौता कराने का दबाव बनाया गया। तहसील दिवस और अधिकारियों को दिए पत्र में कहा गया कि रोजगार सेवक न तो कभी ब्लॉक और न कभी ग्राम पंचायत में काम पर नहीं आती, और वह मिश्रौलिया स्थित 50 लाख के महल में ट्यूशन पढ़ाती है। रोजगार का सारा काम उनके पति करते है। कहा कि मैं सरकार को भले ही पैसा वापस कर दूगां, लेकिन दोनों भाईयों को नहीं दूंगा, भले ही चाहे यह लोग हम्हारे साथ कुछ भी करें। रोजगार सेवक और उनके पति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने और कुदरहा के मनरेगा घोटाले की उच्चस्तरीय जांच करने की मांग की है। कुछ दिन पहले नगर पंचायत रुधौली के नंदलाल ने भी चेयरमैन पर डीएम के नाम पर दो लाख यानि दस फीसद कमीशन लेने का आरोप लगाकर सभी को चौंका दिया। इसकी जांच के लिए कमेटी बनाई गई है। अब देखना है, कि अब जबकि सीडीओ पर 30 फीसद कमीशन मांगने का आरोप लगा हैं, तो इसकी जांच होगी कि नहीं? आरोपों को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जांच तो होनी ही चाहिए, अगर आरोप गलत निकले तो आरोप लगाने और सही निकले तो कमीशन मांगने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। बार-बार मीडिया कह रही है, कि बजाए 1185 ग्राम पंचायतों पर शिकंजा कसने के 14 बीडीओ पर शिकंजा कस दीजिए 1185 प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक और 14 कंप्यूटर आपरेटर अपने आप सुधर जाएगें। मीडिया बार-बार यह भी कहती आ रही हैं, कि क्यों नहीं फर्जी भुगतान करने वाले मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी/बीडीओ के खिलाफ कार्रवाई होती? क्यों उन्हें बार-बार छोड़ दिया जाता है? इसी छोड़ने का नतीजा है, कि बीडीओ खुले आम फर्जी कार्यो की मंजूरी देते हैं, और फर्जी भुगतान करते है। अगर वाकई डीएम और सीडीओ चाहते हैं, कि मनरेगा में लूट पाट न हो तो सबसे पहले दोनों अधिकारियों को बीडीओ पर शिकंजा कसना होगा। बीडीओ से पहले डीसी मनरेगा पर भी शिकजा कसना चाहिए। सवाल उन एपीओ पर भी उठ रहे हैं, जिन्हें इसी लिए रखा गया कि वह मनरेगा के गलत कामों को रोकेगें, लेकिन अब तो वह भी कमीशन का हिस्सेदार बनते जा रहे है।

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