कुदरहा के पत्रकारों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 17 July, 2025 20:36
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कुदरहा के पत्रकारों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए!
-इनके नाक के नीचे अवैध एर्बासन, डिलीवरी, लिंग परीक्षण और भू्रण हत्याएं हो रही है, और कुदरहा का चौथा स्तंभ दुनिया में आने से पहले बच्चियों/बच्चों की हत्याओं का तमासशा देख रहा
-जिस पत्रकार की दुकान पर एक दो को छोड़कर अन्य सभी पत्रकारों की बैठकी होती, उसी के कुछ ही मीटर की दूरी पर पार्वती अग्रहरि नामक एएनएम एबार्सन गेैर कानूनी धंधा कर रही
-सीएचसी गायघाट, पीएचसी कुदरहा और पीएचसी बानपुर में बड़े पैमाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा, खुले आम नकली दवांए मेडिकल स्टार्स वाले बेच रहें, फिर यह लोग न जाने क्यों खामोश
-पीएचसी कुदरहा में ननद सुमन चौधरी और भौजाई सुनीता चौधरी खुले आम अपने हाथ से चहेते मेडिकल स्टोर से मरीजों को दवा 70 फीसद कमीशन वाली दवाएं खरीदने पर दबाव बनाती, चोरी न पकड़ी जाए इसके लिए पर्चा मंगवाकर फाड़ देती, फिर भी यह सब कुदरहा के पत्रकारों को न जाने क्यों नहीं दिखाई देता
-दो किलो टमाटर और पुलिस चौकी और ब्लॉक पर अपना जन्म दिन मनाने वाले चौथे स्तंभ से क्षेत्र की जनता ने रचनात्मक कार्य की उम्मीद करना ही छोड़ दिया
-तभी तो इस क्षेत्र के पत्रकार को कलवारी पुलिस थाने के कमरे में बंदकर मारती पीटती हैं, और अपने आप को धुरंधर कहने वाले पत्रकार अपने ही साथी के बचाव तक में सामने नहीं आए
-कुदरहा के पत्रकारों की खामोशी ने ग्राम पंचायत से लेकर क्षेत्र पंचायत और नगर पंचायत तक को भ्रष्टाचार की आग में झोंक दिया, पता नहीं कब यहां के पत्रकारों का जमीर जागेगा
बस्ती। कुदरहा क्षेत्र के चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकार अगर अपना जन्म-दिन पुलिस चौकी एवं ब्लॉक पर मनाएगें और दो किलो टमाटर लेगें तो क्षेत्र के पत्रकारों पर सवाल तो उठेगा ही। जिस क्षेत्र के पत्रकार को कलवारी पुलिस थाने के कमरे में बंदकर पीटती हो, और पत्रकार साथ देने को कौन कहे, आवाज तक न उठातें हो, तो आप समझ सकते हैं, कि पत्रकार किसके हितैशी हैं, पुलिस के या फिर अपने साथी के, साथी के हितैशी इस लिए नहीं हो सकते क्यों कि कुछ पत्रकार ऐसे भी हैं, जो थाने पर जाकर बंटी और बबली की शीशी लेतंे हैं, और जो पत्रकार दो किलो टमाटर लेगा, चौकी और ब्लॉक पर जन्म दिन मनाएगा उसे पत्रकार नहीं बल्कि कुछ और बनना चाहिए था।
वैसे तो जिलेभर के पत्रकारों को लेकर विष्वनीयता और ईमानदारी पर जनता सवाल खड़ा कर रही है। सच तो यह है, कि बहुत कम ऐसे पत्रकार हैं, जिनपर जनता विष्वास कर रही है। जिलेभर के पत्रकारों के सामने सबसे बड़ा संकट विष्वास का खड़ा हो गया, एक आम आदमी भी पत्रकारों पर आसानी से और पूरी तरह भरोसा करने को तैयार है। यह गलती एक आम आदमी कि नहीं बल्कि मीडिया की हैं, जब मीडिया सूचनाओं का सौदा करने लगेंगी तो विष्वास का संकट तो खड़ा होगा ही। पहले की अपेक्षा आज अखबारों के कार्यालयों में जाने वालों की संख्या बहुत कम हो गई है। इसी लिए आज पत्रकारों के सामने खबरों का संकट खड़ा हो गया। मान-सम्मान की तो बात ही छोड़ दीजिए। सच तो यह है, कि अगर नेताओं को अपनी खबर न छपवानी हो तो वह भी पत्रकारों से किनारा कस लेगा। हम बात कर रहे थे कुदरहा के पत्रकारों की। इनके नाक के नीचे अवैध एर्बासन, डिलीवरी, लिंग परीक्षण और भू्रण हत्याएं हो रही है, दुनिया में आने से पहले बच्चियों/बच्चों की हत्याएं यह लोग आंख के सामने होते देख रहे हैं, फिर भी कुदरहा का चौथा स्तंभ न जाने क्यों खामोश है? जिस पत्रकार की दुकान पर एक दो को छोड़कर अन्य सभी पत्रकारों की बैठकी होती, उसी के कुछ मीटर की दूरी पर पार्वती अग्रहरि नामक एएनएम एर्बासन जैसी गेैर कानूनी धंधा कर रही है। फिर भी पत्रकार आंखंे नहीं खोल रहे है। सीएचसी गायघाट, पीएचसी कुदरहा और पीएचसी बानपुर में बड़े पैमाने पर सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा, खुले आम नकली दवांए मेडिकल स्टोर्स वाले बेच रहें, फिर भी यह लोग न जाने क्यों खामोश? पीएचसी कुदरहा में ननद सुमन चौधरी और भौजाई सुनीता चौधरी खुले आम अपने हाथ से पर्चा बनाती हैं, और मरीजों को चहेते मेडिकल स्टोर से
70 फीसद कमीशन वाली दवाएं खरीदने के लिए मजबूर करती है। चोरी न पकड़ी जाए इसके लिए पर्चा मंगवाकर फाड़ देती, फिर भी यह सब कुदरहा के पत्रकारों को न जाने क्यों नहीं दिखाई देता? दो किलो टमाटर और पुलिस चौकी और ब्लॉक पर अपना जन्म दिन मनाने वाले चौथे स्तंभ से क्षेत्र की जनता ने रचनात्मक और जनहित जैसे कार्य की उम्मीद करना ही छोड़ दिया। तभी तो इस क्षेत्र के पत्रकार को कलवारी पुलिस थाने के कमरे में बंदकर मारती पीटती हैं, और अपने आप को धुरंधर कहने वाले पत्रकार अपने ही साथी के बचाव तक में सामने नहीं आए। कुदरहा के पत्रकारों की खामोशी ने ग्राम पंचायत से लेकर क्षेत्र पंचायत और नगर पंचायत तक को भ्रष्टाचार की आग में झोंक दिया, पता नहीं कब यहां के पत्रकारों का जमीर जागेगा? कब इन्हें अपनी जिम्मेदारी का एहसास होगा? इसी लिए क्षेत्र की जनता इन्हें चुल्लू भर पानी में डूब मरने की सलाह दे रही है।
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