कैसे बेटियां जाएगंीं चांद पर, जब पैदा ही नहीं होने देगें?

कैसे बेटियां जाएगंीं चांद पर, जब पैदा ही नहीं होने देगें?

कैसे बेटियां जाएगंीं चांद पर, जब पैदा ही नहीं होने देगें?

-बेटा पैदा नही किया तो पति दूसरे शादी की तैयारी में, मां बेटी ने अधिकारियों से लगाया जान माल के रक्षा की गुहार

स्ती। बेटियां भले ही चाहे जो कुछ बन जाए, लेकिन समाज में अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो बेटियों को चांद पर जाना नहीं देखना चाहते, जहाज चलाना नहीं देखना चाहते फाइटर विमान चलाना नहीं देखना चाहते। मोदी और योगी चाहे जितना महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कुछ भी कर ले, लेकिन तब तक समाज नहीं चाहेगा महिलाएं सशक्त नहीं हो सकती है, क्यों कि अभी भी समाज के कुछ ऐसे लोग हैं, जिन्हें बेटियां नहीं बल्कि बेब चाहिए, अगर कोई महिला बेटा नहीं पैदा कर सकती तो उसे घर से बाहर निकाल दिया जाता है, और बेटा पैदा करने के लिए बाप अपने बेटे की दूसरा विवाह करवा देता है, क्या इस प्रथा को योगी और मोदी रोक पाएगें। अगर कोई महिला षिकायत लेकर थाने या चौकी पहुंचती है, उसके साथ सास, ससुर से अधिक खराब व्यवहार किया जाता है। जिस समाज में बेटिया पैदा न करने पर बहुओं को मारापीटा और घर से बाहर निकाल दिया जाता है, उस समाज से क्या आप उम्मीद करते हैं, कि बेटियां सषक्त बन पाएगी। इसी तरह का एक मामला सामने आया है। बेटा पैदा नही किया तो पति दूसरे शादी की तैयारी में हैं और पति, सास, ननद और पट्टीदारों के द्वारा मां, बेटी को आये दिन मारा पीटा जाता है। उनकी जान को खतरा है। मामला पैकोलिया थाना क्षेत्र के मधुवापुर गांव का है। पैकोलिया थाना क्षेत्र के मधुवापुर निवासिनी सत्यावती पाण्डेय पत्नी देवनाथ पाण्डेय ने मुख्यमंत्री, पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र देकर  अपने और एकलौती बेटी के जान माल के रक्षा की गुहार लगाया है। पत्र में कहा गया है कि सत्यावती पाण्डेय का विवाह लगभग 30 वर्ष पूर्व देवनाथ पाण्डेय के साथ हुआ। बेटा न होने के कारण उसे आये दिन प्रताड़ित किया जाता है। उसकी सास और ननद देवनाथ पाण्डेय की दूसरी शादी करने की तैयारी कर रहे हैं। गत 15 मई को उसकी सास सत्यावती देवी, पति देवनाथ पाण्डेय, आकाश मिश्र आदि ने उसे बुरी तरह से मारा पीटा और घर से निकाल दिया। उसने 112 पर फोन कर पैकोलिया पुलिस को सूचना दिया किन्तु कोई कार्रवाई नही हुई। उसे पुनः पांच जून को मारा पीटा गया। सत्यावती को आशंका है कि उसकी और एकलौती बेटी की हत्या करायी जा सकती है। वह डर कर रिश्तेदारी में रह रही है। उसने दोषियों के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कराकर  अपने और बेटी की जान बचाने की गुहार लगाया है।

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