कमिश्नर साहब जब खाद उपलब्ध, तो किसानों को क्यों नहीं मिल रहा?

कमिश्नर साहब जब खाद उपलब्ध, तो किसानों को क्यों नहीं मिल रहा?

कमिश्नर साहब जब खाद उपलब्ध, तो किसानों को क्यों नहीं मिल रहा?

-जब तक एआर, डीआर, डीओ और जेडीए एसी कमरे से नहीं निकलेगें तब तक किसानों को खाद नहीं मिलेगाःचंदेश प्रताप सिंह

-कृषि विभाग के जिला स्तरीय और मंडलीय अधिकारियों के फर्जी बयानबाजी से किसानों में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ रही

-जिला कृषि अधिकारी सेंटर पर जाते तो हैं, लेकिन गाड़ी पर से नहीं उतरते और न किसानों से ही मिलते

-एआर कोआपरेटिव भी जाते हैं, लेकिन परसरामपुर समिति पर नहीं जाते, जिला सीकारी बैंक में चाय और समोसा खाकर चले आते

-कोई अधिकारी किसानों से मिलना ही चाहता, बस उगाही करने जाते है, अगर किसी को पकड़ते भी हैं, तो लेदेकर छोड़ देते

बस्ती। मंडल में खाद की समस्या को लेकर भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेश प्रताप सिंह मोर्चा तो खोला लेकिन न जाने क्यों देर से खोला। कमिश्नर को दिए पत्र में जिला कृषि अधिकारी, जेडीए, एआर और डीआर को खाद की समस्या का कारण बताते हुए कहा कि जब यह लोग रिटेलर्स से तीन लेगें और समिति के सचिवों से टक के हिसाब से हीस्सा लेगें तो किसान खाद के लिए परेशान होगा ही। सवाल किया कि बताइए अधिकारी कह रहे हैं, कि खाद की कोई कमी नहीं हैं, अगर कमी नहीं है, तो फिर किसानों को खाद क्यों नहीं मिल रहा? कहां जा रही खाद, क्यों सचिव और रिटेलर्स यूरिया को यूरिया का प्लांट लगाने वाने को 500 रुपया ब्लैक कर दे रहे हैं? कहा कि फर्जी बयानबाजी से किसानों को खाद नहीं मिलेगा, कार्रवाई करने से खाद मिलेगा, समितियों पर खाद रहने से खाद मिलेगा, कहा कि टक का टक खाद समितियों पर जाकर लेकिन जब किसान सुबह जाता है, तो बताया जाता है, खाद समाप्त हो गया, आखिर रात में खाद किसको बांटा गया? कहा कि अधिकारी जांच करने जाते हैं, लेकिन न तो किसाान से मिलते और न शिकायतकर्त्ता को ही बुलाते, गाड़ी में बैठकर जांच करते हैं, और जैसे ही लिफाफा मिल जाता है, भाग जाते है। एआर तो परसरामपुर समिति गए ही नहीं बल्कि बगल में जिला सहकारी बैंक के शाखा पर बेैठे चाय समोसा खाया लिफाफा लिया और चलते बने, समिति तक नहीं जाते, किसान अपनी समस्या कहे तो किसके कहें? जब अधिकारी किसानों से मिलते ही नहीं? कहा कि सहकारी समितियों पर कागजों में खा का भंडार होना और मौके पर एक भी बोरी न होना प्रशासनिक अक्षमता को दोहराता है। किसानों के प्रति कृषि और सहकारिता विभाग के अधिकारियों का जो गैर जिम्मेदाराना रर्वैया हैं, वह आंदोलन के लिए बाध्य करने जैसा है। कहा कि खुले आम सूरिया प्लांट वालों को समिति के सचिव यूरिया बेच रहे हैं, और एआर और डीओ कागजी खानापूर्ति करने में लगे है। जो सचिव एआर के सबसे अधिक चहेते या फिर सबसे अधिक हिस्सा देते हैं, उन्हीं को सबसे अधिक खाद दिया जाता है। यह वही सचिव हैं, जिन्होंने धान और गेहूं में घोटाला किया, फिर भी यह लोग एआर और डीआर के चहेते बने हुए है।

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