कहीं बीडीए पर दबाव बनाने के लिए तो सीएम को नहीं लाया गया!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 13 December, 2024 22:58
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कहीं बीडीए पर दबाव बनाने के लिए तो सीएम को नहीं लाया गया!
-lआखिर सीएम ने कैसे टामा सेंटर का शिलान्यास कर दिया, जिसका मानचित्र ही स्वीकृति नहीं हो सकता
-जिस स्थान पर कर्मा देवी शैक्षणिक संस्थान समूह ने एक हास्पिटल एवं टामा सेंटर की स्थापना करने जा रही है, उस स्थान को महायोजना 2031 में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित किया
-उक्त भूमि को बाढ़ क्षेत्र मुक्त करने के लिए प्रबंधक नीता सिंह पत्नी ओएन सिंह लगभग दो माह पहले सीएम से व्यक्तिगत मिली थी, अगर नीता ओएन सिंह की पत्नी नहीं होती तो क्या वह सीएम से मिल पाती
-सीएम से मिलने के बाद ही पूरा शासन और प्रशासन सक्रिय हो गया, तभी तो सीएम के सचिव संजय ने कमिशनर और पत्र कर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया, उसके बाद कमिशनर ने डीएम को लिखा, डीएम ने एडीएम/बीडीए के सचिव को लिखा
-बीडीए की 13वीं बैठक में भी इसे लेकर चर्चा हुई, और कहा गया कि त्वरित प्रस्ताव लेकर शासन में जाए और बाढ़ क्षेत्र को मुक्त कराएं
-लगभग 15 बीघा क्षेत्रफल में बनने वाले हास्पिटल और टामा सेंटर तभी बन सकता है, जब महायोजना 2031 में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से ही संशोधन होगा, जिस विभाग से संशोधन होगा है, उस विभाग के मंत्री खुद सीएम
बस्ती। मुख्यमंत्री को कर्मा देवी शैक्षणिक समूह के 15वें स्थापना दिवस में लाना तो एक बहाना था, असल में इसी बहाने योगीजी से उस जमीन पर टामा सेंटर का शिलान्यास करवाना था, जिस जमीन पर निर्माण हो ही नहीं सकता, क्यों कि महायोजना 2031 में यह बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया जा चुका, मतलब इस क्षेत्र में बीडीए किसी का भी मानचित्र स्वीकृति नहीं कर सकता। इसी लिए कहा जा रहा है, कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मुख्यमंत्री से शिलान्यास करवाकर ओएन सिंह, बीडीए पर दबाव बनाना चाहते है। ताकि हास्पिटल और टामा सेंटर के निर्माण में बीडीए कोई अड़चन ना डालें, सीएम के शिलान्यास के बाद क्या बीडीए में इतनी ताकत हैं, कि वह हास्पिटल और टामा सेंटर निर्माण करने से रोक सके। लेकिन इससे पहले यह सवाल उठ रहा है, कि जब इस क्षेत्र में कोई निर्माण हो ही नहीं सकता तो कैसे सीएम से षिलान्यास करवा लिया गया, और सीएम ने कर भी दिया, इसे कहते हैं, पावर का दुरुपयोग /उपयोग करना। एक तरह से सीएम ने ऐसे जमीन पर टामा सेंटर का शिलान्यास किया, जिस पर नियमानुसार बीडीए मानचित्र स्वीकृति ही नहीं कर सकती। यह तो ठीक उसी तरह हुआ, जिस तरह कुछ माह पहले गिरीराज होटल के बगल में भाजपा के अभिनव उपाध्याय के तीन मंजिला कामर्सिएल भवन का उदघाटन तत्कालीन डीएम प्रिंयका निरंजन और तत्कालीन सांसद हरीश द्विवेदी ने किया। बिना मानचित्र स्वीकृत हुए भवन बन भी गया और उदघाटन भी हो गया। कहने का मतलब सारे नियम कानून गरीब और कमजोर लोगों के लिए होता है, पावरफुल लोग तो नियम कानून को खिलौना समझते है।
यह भी सच हैं, कि एक आम आदमी का मुख्यमंत्री से मिलना मानो कोई जंग जीतने जैसा होता हैं। वहीं पर पावरफुल लोगों के लिए मिलना आसान होता है। अब हम आप को बताते हैं, कि 14 अक्टूबर 24 को कर्मा देवी शैक्षणिक संस्थान समूह की प्रबंधक नीता सिंह पत्नी ओएन सिंह सीएम से मिली। उन्हें एक पत्र दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि मेरे परिजन के द्वारा गौतम बुद्व एजुकेशनल सशोल एंड एनवायरमेंटन चैरिटेबुल टस्ट की स्थापना की गई, तथा इसी टस्ट के द्वारा अपनी भूमि पर कर्मा देवी शैक्षणिक संस्थान समूह की गई, जिसमें सीबीएसई, पीजी, फार्मेसी, बी. फार्मा, डी. फार्मा, नर्सिगं एएनएमजीएनएम बीएससी, बीएड, बीटीसी, बीसीए एवं अन्य कोर्स संचालित किए जाते है। इस संस्थान में करीब चार हजार विधार्थी पढ़ते है। कहा गया कि टस्ट के द्वारा यह निर्णय लिया गया कि टस्ट की अपनी भूमि गाटा संख्या 149, 150, 151, 152 ग्राम संसारपुर पर एक हास्पिटल एवं टामा सेंटर की स्थापना की जाए। यह भूमि एनएच 27 के पर फुटहिया गांव के ठीक बगल में स्थित है। गांव में लगभग तीन हजार लोग निवास करते है। पूर्व में बीडीए ने इस क्षेत्र को हाइवे फैलिल्टिी जोन घोषित किया था। लेकिन महायोजना 2031 में इस कामर्सिएल एक्टीविटी वाली भूमि को अब बीडीए ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया। कहा कि मैं वहां की रहने वाली हूं और इस भूमि पर आजतक पानी नहीं भरा। जबकि यह भूमि कुआनों नदी से मात्र 800 मीटर की दूरी पर है। लिखा कि ऐसा लगता है, कि बिना स्थलीय निरीक्षण किए बीडीए ने इसे बाढ़ क्षेत्र घोषित कर दिया। नीता सिंह ने सीएम से अध्यक्ष से जांच करवाकर इसे बाढ़ मुक्त क्षेत्र घोषित करने की कृपा की जाए। बता दें कि आवास एवं शहरी नियोजन विभाग मुख्यमंत्री के पास है। इस लिए और भी आसान होगा। सीएम को पत्र मिलने के एक दिन बाद यानि 15 अक्टूबर 24 को मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव संजय ने आयुक्त को पत्र लिखा, जिसमें प्रकरण की शीघ्र जांच कराकर जांच आख्या देने को कहा। यह भी लिखा कि मुख्यमंत्री को यह पत्र मिलकर दिया गया। कमिष्नर ने 19 अक्टूबर 24 को डीएम को लिखा, और डीएम ने एडीएम/बीडीए के सचिव को लिखा। वैसे यह मामला पांच दिसंबर को बीडीए के 13वीं बैठक में भी उठा था, जिसमें शीघ्र ही प्रस्ताव लेकर जाने को कहा गया।
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