जब नकली एवं जेनरिक दवाओं से पेट नहीं भरा तो बन गए प्रापर्टी डीलर!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 3 July, 2025 20:05
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जब नकली एवं जेनरिक दवाओं से पेट नहीं भरा तो बन गए प्रापर्टी डीलर!
-शहर के लगभग एक दर्जन खून चुसवा डाक्टर्स जमीनों के कारोबार में मुनाफा कमा रहें
-यह अपनी वैध/अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा जमीनों के खरीद फरोख्त में खपाते हैं, ताकि इनका नंबर दो का पैसा खप जाए और 50 फीसद से अधिक मुनाफा कमा सके
-इन डाक्टर्स के पास दलालों और गुंडों की एक टीम हैं, इस टीम में बेरोजगारों की फौज रहती, जो कचहरी से लेकर तहसील और रजिस्टी आफिस एवं कब्जा दिलाने में लगी रहती
-यह खून चुसवा डाक्टर्स लगभग 80 फीसद विवादित जमीनों पर पैसा लगाते हैं, ताकि इन्हें 50 फीसद से अधिक लाभ मिल सके, 20 फीसद विवादरहित जमीन खरीदते जिसमें इन्हें 20 से 30 फीसद ही लाभ मिलता
-अगर इससे भी इनका पेट नहीं भरता तो स्टांप की चोरी कर पेट भर लेते हैं, मीडिया को चोर बेईमान और अपने आप को ईमानदार करने वाले शर्माजी स्टांप की चोरी में फंस चुकें, नोटिस भी जारी हो चुकी, जमीन पर लाल झंडा लगने वाला था, कि लाखों रुपया जमा किया
-सबसे अधिक यह धंधा जिस अस्पताल के आसपास के दो-तीन, मालवीय रोड के चार, रोडवेज/पचपेड़िया रोड के तीन-चार नामी गिरामी डाक्टर्स कर रहें
बस्ती। जिले के अधिकांश डाक्टर्स का पेट नेताओं से अधिक बड़ा होता जा रहा हैं, यह कितना भी भोजन कर लें, लेकिन पेट भरता ही नहीं, नेताओं का तो एक बार भर भी जाता, लेकिन डाक्टर्स का नहीं भरता। तभी तो यह लोग अपना पेट भरने और परिवार का भरण-पोषण करने के लिए प्रापर्टी डिलिगं के क्षेत्र में कूद पड़े। कहते हैं, कि अगर इनका पेट नकली दवाओं और जेनरिक दवाओं का कारोबार और पेटेंट दवाओं के नाम पर एमआरपी रेट पर जेनरिक दवाएं मरीजों को न बेचते तो इनका जमीनों के खरीद फरोख्त में करोड़ों न लगाना पड़ता। अधिकांश डाक्टर्स पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं, किसी बच्चे को यह लोग मार भी सकते हैं, किसी मरीज के हडडी का आपरेशन गलत भी कर सकते है। अगर यह लोग इतना ही मरीजों और खुद के प्रति ईमानदार होते तो ‘मेलकाम’ जैसी बदनाम दवा की कंपनी के साथ दवा लिखने का करोड़ों कमीषन का एग्रीमेंट न करते। एक तरह से इन लोगों ने अपनी डिग्री को नकली दवाओं का कारोबार करने वालों के हाथों में गिरवी रख दिया। इन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि पैसे कमाने के चक्कर में इनकी लापरवाही के चलते किसी के घर का चिराग भी बुझ रहा है। यह सही है, कि कोई भी डाक्टर्स मरीज की जान, जानबूझकर नहीं लेता, लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि मरीजों की जान डाक्टर्स की लापरवाही, नकली दवाओं और असुविधा के कारण हो रहा है। आज हालत यह है, कि अधिकतर लोग डाक्टर्स का नाम इज्जत के साथ लेना नहीं चाहतें। तभी तो ‘डाक्टर्स डे’ के दिन एक नामी व्यक्ति ने लिखा था, मन नहीं करता कि आप लोगों को इस मौके पर बधाई दूं, सुझाव दिया कि आप लोग इस लायक बनिए कि कम से कम आप लोगों का नाम इज्जत के साथ लिया जा सके। पैसा तो आप लोगों ने जैसे चाहा वैसे मेहनत करके खूब कमाया लेकिन अब इज्जत कमाइए। भगवान का दर्जा फिर हासिल करिए। हम बात कर रहें थे कि शहर के लगभग एक दर्जन नामी गिरामी जिनका नाम 100 करोड़ के क्लब में शामिल हैं, अपना पेट भरने के लिए जमीनों की खरीद फरोख्त में कूद पड़ें। यह अपना अधिकतर पैसा विवादित जमीनों को खरीदने में लगाते हैं, ताकि 50 फीसद से अधिक मुनाफा हो सके, वैसे भी इनकी नजर हमेशा 50 फीसद कमीशन कमाने पर रहती है। इसके लिए इन लोगों ने बकायदा एक टीम बना रखी, यह टीम विवादित जमीनों को खरीदने से लेकर उस पर कब्जा दिलाने और कचहरी तहसील और रजिस्टी कार्यालय के झमेलों से फुर्सत दिलाती है। इस तरह इनके हिस्से में 50 फीसद मुनाफा आता है। वैसे सह लोग 80 फीसद विवादित जमीन पर ही पैसा लगाते हैं, 20 फीसद विवादरहित पर लगाते। इसमें इनका मुनाफा 20 से 25 फीसद रहता है। यह अपनी वैध/अवैध कमाई का बड़ा हिस्सा जमीनों के खरीद फरोख्त में खपाते हैं, ताकि इनका नंबर दो का पैसा भी खप जाए और 50 फीसद से अधिक मुनाफा भी मिल जाए। अगर इससे भी इनका पेट नहीं भरता तो स्टांप की चोरी कर पेट भर लेते हैं, मीडिया को चोर बेईमान और अपने आप को ईमानदार करने वाले शर्माजी स्टांप की चोरी में फंस चुकें, नोटिस भी जारी हो चुकी, जमीन पर लाल झंडा लगने ही वाला था, कि लाखों रुपया जमा किया। सबसे अधिक यह धंधा जिला अस्पताल के आसपास के दो-तीन, मालवीय रोड के चार, रोडवेज/पचपेड़िया रोड के तीन-चार नामी गिरामी डाक्टर्स कर रहें हैं।
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