होटल’ में ‘नोट’ छाप रहें, ‘बहादुरपुर’ के बीडीओ ‘गणेश दत्त शुक्ल’!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 8 December, 2024 00:06
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‘होटल’ में ‘नोट’ छाप रहें, ‘बहादुरपुर’ के बीडीओ ‘गणेश दत्त शुक्ल’!
-असली/नकली प्रधानों के साथ चार-पांच गाड़ियों के साथ सायरन बजाते ब्लॉक कभी कभार जाते
-यह जिस भी ब्लॉक में जाते हैं, प्रधान इनके भ्रष्टाचार के खिलाफ धरना-प्रदर्षन और नारेबाजी करते
-तीन माह पहले रामनगर में तैनाती के दौरान वहां के प्रधान इनके भ्रष्टाचार के इतना उग्र हो गए थे, कि धरना-प्रदर्श करना पड़ा, जिसके चलते इनका तबादला बहादुरपुर हुआ
-बहादुरपुर आते ही यह पुराने फार्म में आ गए और भ्रष्टाचार यह रामनगर छोड़कर आए थे, उसे यहां पर पूरा करने लगे
-यहां पर भी इनके भ्रष्टाचार के खिलाफ प्रधानों ने ब्लॉक पर धरना-प्रदर्श किया, प्रधान संघ के अध्यक्ष सचिन दूबे को इनके भ्रष्टाचार के खिलाफ सीएम को लिखना पड़ा, और इनके प्रधानों को बचाने की अपील किया
-पिछले तीन माह से यह होटल से ही ब्लॉक चला रहे, और वहीं पर नोट गिन रहें, यह हमेशा एक दर्जन से अधिक बदनाम असली/नकली प्रधानों के बीच घिरें रहतें
बस्ती। अभी तक आप लोगों ने एक से एक भ्रष्ट बीडीओ के बारे में सुना और पढ़ा होगा, लेकिन आज हम आपको ऐसे बीडीओ के बारे में बताने जा रहे हैं, जो होटल के विस्तर पर नोट बिछाकर सोते है। यानि यह होटल से ही ब्लॉक चलाते हैं, और वहीं से लगभग एक दर्जन भ्रष्ट असली/नकली के जरिए मनरेगा के कच्चे-पक्के कार्यो की भारी बखरा लेकर स्वीकृति देते हैं, इन्हीं भ्रष्ट प्रधानों जरिए यह अन्य प्रधानों से बीडीओ से सेटिगं कराते है। वहीं से फर्जी भुगतान भी करते है। बीडीओ साहब को होटल इतना भा गया हैं, कि यह पिछले तीन माह में मुस्किल से चार-पांच दिन ब्लॉक गए होगें, और सरकारी आवास पर रहें होगें। चलिए हम आपको ऐसे चर्चित बीडीओ का नाम बता ही देतें हैं, यह अपने काम में इतना माहिर है, कि यह जिस भी ब्लॉक में जाते हैं, उस ब्लॉक के प्रधान इनका स्वागत धरना-प्रदर्शन से करते है, धरना प्रदर्शन के चलते ही इन्हें हटना पड़ता है। इनका नाम है, गणेश दत्त शुक्ल और यह तीन माह पहले रामनगर से नोटों का ब्रीफकेस लेकर बहादुरपुर ब्लॉक में कमाने की नीयत से आए हैं। इनके लोगों का दावा है, कि इस ब्लॉक से यह अभी तक होटल में बैठकर लगभग 50 लाख कमा चुके हैं, इनका लक्ष्य करोड़ों कमाने का है, अगर यह बहादुरपुर कुछ दिन और रह गए तो यह अपने टारगेट को भ्रष्ट असली/नकली प्रधानों के सीयोग से पूरा भी कर सकते हैं। इससे पहले इस ब्लॉक को प्रभारी बीडीओ एवं जिला विकास अधिकारी लगभग 15 करोड़ का घोटाला सरकारी आवास में बैठकर करके जा चुके है। जांच में घोटाले का खुलासा भी हुआ, लेकिन सीडीओ की मेहरबानी से कार्रवाई नहीं हुई। वैसे भी सीडीओ, डीडीओ और डीसी मनरेगा पर भ्रष्ट बीडीओ को बचाने का आरोप लगता रहा है। इनके भ्रष्टाचार के खिलाफ और ब्लॉक को भ्रष्टाचारियों से मुक्त कराने के लिए बहादुरपुर ब्लॉक प्रधान संघ के अध्यक्ष सचिन दूबे मुख्यमंत्री से पत्र के जरिए अपील भी कर चुके है। यहां पर भी इनके खिलाफ प्रधान धरना-प्रदर्षन कर चुके है। हाल ही में इन्होंने भाजपा नेता केके दूबे के पुत्र षैलेंद्र दूबे के खिलाफ मारपीट करने के आरोप में कलवारी थाने में तहरीर दे चुके है। इसमें कितनी सच्चाई हैं, यह तो एफआईआर और जांच के बाद ही चल पाएगा। अभी तक केस दर्ज नहीं हुआ है, एसओ ने बताया कि दोनों पक्षों को दो दिन बाद थाने पर अपना-अपना पक्ष रखने को बुलाया गया, अगर छानबीन में मारपीट का मामला पाया गया, तो केस दर्ज कर दिया जाएगा।
कहा जाता है, कि यह जब भी बहादुरपुर ब्लॉक गए हैं, इनके साथ में एक दर्जन भ्रष्ट असली/नकली प्रधान चार-पांच गाड़ी के साथ सायरन बजाते हुए ऐसे गए हैं, जैसे मानों सीएम का काफिला आ गया हो। इसे आप बीडीओ के पैसे का घंमड और टेरर पैदा करना भी मान सकते है। इनके सीयूजी नंबर 9454464728 पर बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन मोबाइल बंद मिला, पक्ष मिलते ही इनका भी पक्ष प्रकाशित कर दिया जाएगा। सवाल उठ रहा है, कि अगर बीडीओ होटल के विस्तर पर नोट सजाकर सो रहे हैं, तो गलती बीडीओ की नहीं हैं, बल्कि लालची असली/नकली प्रधानों की है, जो अपने भाईयों के साथ गददारी करके बीडीओ को नोटो का विस्तर पर सोने का मौका दे रहें है। यह पहला मौका नहीं हैं, जब लालची प्रधानों ने अपने साथियों के साथ दगा ना किया हो, इससे पहले भी प्रभारी बीडीओ एवं जिला विकास अधिकारी के साथ मिलकर यह लोग गंदा खेल, खेल चुके है। कहने को भले ही हर ब्लॉक में प्रधान संघ और उसका अध्यक्ष हैं, लेकिन जब बात पैसा कमाने की आ जाती है, तो सारी एकता समाप्त हो जाती है। बताते चले कि प्रधान संघ का नकली जिलाध्यक्ष भी इसी ब्लॉक से है, और इनके ही गांव में सबसे पहले भ्रष्टाचार का उजागर मीडिया ने किया। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है, कि ऐसे बीडीओ के आरोपों को कैेसे सच माना जाए जो पैसे के लिए कुछ भी कर सकते है। ऐसे बीडीओ पर पुलिस भी जल्दी यानि नहीं करेगी। कहा तो यहां तक जाता है, कि यह भ्रष्ट प्रधानों के साथ मिलकर फर्जी घटना को अंजाम देने की साजिष रची गई और थाने में तहरीर दिया गया, या फिर यह भी हो सकता है, कि घटना सही हो। क्यों कि बहादुरपुर वालों पर जिले के लोगों का विष्वास उठ चुका है। जब यह लोग पैसे के लिए असली प्रमुख का किडनैप कर सकते हैं, तो कुछ भी कर सकते है। जिस चीज में पैसा घुसा रहता है, वहां पर किसी को क्लीन चिट भी नहीं दिया जा सकता। दूसरे पक्ष का दावा है, कि अगर बीडीओ के पिछले तीन माह का काल डिटेल निकाल लिया जाए तो पता चल जाएगा कि यह कितने दिन ब्लॉक आए और आवास पर रहे, या कितने दिन होटल में रहे। घटना 26 नंवबर 24 और दो दिसंबर 24 का बताया जा रहा है, कहा जा रहा है, कि जब बीडीओ साहब 15 दिन से ब्लॉक जा ही नहीं रहे हैं, तो घटना कैसे हो गई? 26 नंवबर को तो ब्लॉक पर रहने की बात कही जा रही है, लेकिन दो दिसंबर को तो यह ब्लॉक गए ही नहीं, इसका सच बीडीओ के काल डिटेल से सामने आ सकता है। जो स्थित वर्तमान में ब्लॉक की बीडीओ को लेकर हैं, अगर उसे पटरी पर नहीं लाया गया, तो किसी दिन घटना सच भी हो सकती है। अधिकांश प्रधानों ने बीडीओ को संयम बरतने और होटल छोड़कर ब्लॉक में स्थित सरकारी आवास में रहने की सलाह दे रहे है, एक ने तो यहां तक कह दिया कि अब ब्लॉक को लूटने नहीं देगें, ना लूटूगां और ना किसी बीडीओ को लूटने ही दूंगा। यह भी सही है, कि जो काम बीडीओ साहब होटल में रह कर सकते हैं, वह काम वह ब्लॉक और सरकारी आवास पर भी कर सकते।
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