एनडीआरएफ द्वारा जनपद में फैमेक्स कार्यक्रम का आगाज किया गया

एनडीआरएफ द्वारा जनपद में फैमेक्स कार्यक्रम का आगाज किया गया

एनडीआरएफ द्वारा जनपद में फैमेक्स कार्यक्रम का आगाज किया गया

 हापुड़/उत्तर प्रदेश


 हापुड़ के एस.एस.वी. डिग्री कॉलेज में एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम द्वारा आपदाओं से बचाव एवं जनजागरूकता अभियान संचालित किया गया। इस अवसर पर 08वीं वाहिनी एनडीआरएफ गाजियाबाद की टीम ने प्राकृतिक, रासायनिक, जैविक, नाभिकीय एवं मानव निर्मित आपदाओं में राहत और बचाव कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। 08वीं वाहिनी एनडीआरएफ गाजियाबाद की टीम ने सीपीआर यानी कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन कि विस्तृत जानकारी दी। सीपीआर एक जीवनरक्षक तकनीक है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति की हृदयगति या सांस अचानक रुक जाती है। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को यह विधि विस्तार से सिखाई गई। इसमें बताया गया कि यदि किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद हो जाए या वह सांस लेना बंद कर दे, तो तुरंत उसके सीने पर दबाव (चेस्ट कम्प्रेशन) दिया जाता है और कृत्रिम श्वसन (रेस्क्यू ब्रीदिंग) कराया जाता है। यह प्रक्रिया रक्त संचार और ऑक्सीजन की आपूर्ति को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। सरल शब्दों में, सीपीआर वह प्राथमिक उपचार है जो आपातकालीन स्थिति में अस्पताल पहुँचने से पहले किसी की जिंदगी बचाने का सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है।

बाढ़ से बचाव के उपाय बताए गए तैरने की तकनीक, नाव का नमूना बनाकर लोगों को सुरक्षित निकालने की प्रक्रिया, तथा प्लास्टिक बोतलों को शरीर से बांधकर पानी में तैरने का अभ्यास कराया गया। इसके साथ ही लोगों को यह भी समझाया गया कि बाढ़ के समय घबराना नहीं चाहिए और सामूहिक सहयोग से ही सुरक्षित निकासी संभव होती है। प्रशिक्षण में यह बताया गया कि ऊँचे स्थानों पर शरण लेना, आवश्यक सामान को सुरक्षित रखना और बचाव दल के निर्देशों का पालन करना जीवनरक्षक सिद्ध होता है। इस प्रकार प्रतिभागियों को व्यावहारिक अभ्यास के माध्यम से बाढ़ जैसी आपदा से निपटने के लिए तैयार किया गया।

एपडॉमिनल थ्रस्ट (हैमलिक पद्धति) का प्रदर्शन किया गया, जिससे यदि कोई बच्चा या व्यक्ति कुछ निगल ले और गले में फंस जाए तो उसे सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला जा सके। इस दौरान प्रतिभागियों को समझाया गया कि यदि कोई बच्चा या व्यक्ति कुछ निगल ले तो उस समय व्यक्ति के पीछे खड़े होकर उसके पेट के ऊपर की ओर दबाव देना होता है, जिससे फंसी हुई वस्तु बाहर निकल जाती है। प्रशिक्षकों ने यह भी बताया कि यह उपाय तुरंत और सही तरीके से किया जाए तो किसी की जान बचाई जा सकती है।

सर्पदंश से बचाव पर विशेष जानकारी दी गई जिसमें जहरीले सांपों की प्रजातियों की पहचान कराई और बताया गया कि काटने की स्थिति में पट्टी कैसे बांधनी चाहिए। यदि गर्दन पर सर्प काट ले तो क्या करना चाहिए इसकी भी जानकारी दी गई। साथ ही यह समझाया गया कि सर्पदंश के बाद घबराना नहीं चाहिए और तुरंत चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए। प्रशिक्षण में यह बताया गया कि विष फैलने से रोकने के लिए प्रभावित अंग को स्थिर रखना आवश्यक है तथा समय पर उपचार से जीवन बचाया जा सकता है। अगर पैर मे सर्प काट ले उसके काटने से ऊपर कसके पटटी या को चीर बाँध देनी चाहिए जिससे की विष शरीर में ऊपर की आरे ना फैले तथा गर्दन पर सर्पदंश की स्थिति में पट्टी नहीं बांधनी चाहिए बल्कि रोगी को शांत रखकर तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए क्योंकि इस स्थान पर विष तेजी से फैल सकता है। काटे गए स्थान को साफ करना चाहिए लेकिन किसी प्रकार का चीरा या जहर चूसने का प्रयास नहीं करना चाहिए। सही समय पर चिकित्सक द्वारा एंटीवेनम दिया जाना ही इसका प्रभावी उपचार है और यही जीवन बचाने का सबसे सुरक्षित तरीका है। एस०एसवी० डिग्री कॉलिज हापुड़ से प्रो० संगीता अग्रवाल, प्रो० आर०के० शर्मा, डिप्टीडीन एच०आ०डी०, प्रो० नवीन चंद सिंह प्राचार्य, महाविद्यालय के अन्य प्राध्यपकगण व स्नातक में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं ने प्रशिक्षण में प्रतिभाग किया। और 08वीं वाहिनी एनडीआरएफ गाजियाबाद की टीम स०उप०निर० रामाकान्त सिंह यादव, हवलदार हुकुम सिंह, हवलदार प्रवीन कुमार, हवलदार मुन्ना कुमार, सिपाही दिनेश कुमार, रहे। इस दौरान कार्यक्रम के समन्वय हेतु जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से गजेन्द्र सिंह बघेल (आपदा विशेषज्ञ ), अमिता मिश्रा, सतीश कुमार, दीपक, नीरज कुमार, योगीराज समस्त स्टॉफ उपलब्ध रहे।

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