एक ‘टेबलेट’ खाइए, 24 घंटे ‘नशे’ में ‘रहिए’!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 5 December, 2025 16:28
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एक ‘टेबलेट’ खाइए, 24 घंटे ‘नशे’ में ‘रहिए’!
-‘नशे’ के ‘इंजेक्षन’ को ‘शेयर’ करने और एचआईबी के खतरे की संभावना से बचाने के लिए सरकार ‘बूपरेनारफिन सब्लिंगुअल’ टेबलेट खिला रही
-नशे के लिए जिले के दो सौ से अधिक बच्चे, जवान और बूढ़े एक ही इंजेक्षन का इस्तेमाल अनेक कर रहें
-उ.प्र. राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी के सहयोग से जिला अस्पताल में ओएसटी सेंटर के जरिए सम्पूर्ण सुरक्षा देने के लिए साथियां नाम से अभियान चलाया जा रहा
-इस सेंटर में बकायदा नशेबाजों का पंजीकरण होता है, और उन्हें नशा के लिए रोज एक टेबलेट दिया जाता है, ताकि वह इंजेक्षन का सेवन न करे और न दूसरे को करने दें
-प्रचार प्रसार के अभाव में एनएचएम की इतनी महत्वपूर्ण योजना का लाभ उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है, जो लोग इंजेक्षन के जरिए नशा करते हैं, और उसी इंजेक्षन को दूसरों को इस्तेमाल करने देते
बस्ती। पढ़ने में अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह सच है, कि एक सरकारी टेबलेट खाइए और 24 घंटा नशे में रहिए। एचएनएम ने ‘बूपरेनारफिन सब्लिंगुअल’ नामक टेबलेट उन लोगों को खिला रही है, जो किसी वजह से नशा करना नहीं छोड़ सकते, खास तौर से यह टेबलेट उन नशेबाजों को दिया जा रहा है, जो इंजेक्षन के जरिए नशा करते हैं, और फिर उसी इंजेक्षन को दूसरे नशेबाज को शेयर यानि साझा कर देते है, जिससे एड्स जैसी बीमारी फैलती। जिले में इस तरह के लगभग दो सौ नशेबाजों का पंजीकरण है। ओएसटी सेंटर के मेडिकल आफिसर एपीडी द्विवेदी का कहना है, कि ‘साथिया’ योजना के तहत एनएचएम की ओर से यह योजना उन लोगों के लिए चलाई जा रही है, और उनके जीवन को बचाने का प्रयास कर रही है, जो लोग इंजेक्षन के जरिए खुद तो नशा करते हैं, और उसी इंजेक्षन को दूसरे नशेबाज को इस्तेमाल करने के लिए देते है। कहते हैं, कि अगर एक इंजेक्षन कई लोग इस्तेमाल करते हैं, तो एचआईवी का खतरा बढ़ जाता हैं। एड्स हो जाता है। कहते हैं, कि एनएचएम किसी नशेबाज को उसका नशा छुड़ाना नहीं चाहती, बल्कि उसका जीवन बचाना चाहती है। उन्हें इंजेक्षन का इस्तेमाल करने और दूसरों को करने से रोकना चाहती है। सरकार चाहती है, कि लोग नशा करने के लिए इंजेक्षन का इस्तेमाल न करें, बल्कि निःशुल्क मिलने वाले सरकारी टेबलेट का इस्तेमाल करें। एक टेबलेट खा लेने के बाद फिर किसी नशेबाज को इंजेक्षन लगाने की आवष्यकता नहीं पड़ती।
बताते हैं, कि इंजेक्षन का सेवन करने और दूसरों को इस्तेमाल करने वालों की पहचान के लिए ‘उम्मीद नामक संस्था’ जिले में काम कर रही है। इसके परियोजना निदेशक रमेश वर्मा है, इत्तफाक से इनका मोबाइल नंबर 7388222268 बराबर बंद रहता हैं, कब खुलता इसकी जानकारी मीडिया को भी नहीं हो पाती। इतने महत्वपूर्ण योजना के पीडी का मोबाइल जब बंद रहेगा तो योजना का भगवान ही मालिक। बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि जिले में इस तरह की भी कोई अभियान एनएचएम की ओर से ‘उम्मीद नामक संस्था’ संचालित कर रही है। वैसे यह योजना 2014 से चल रही है, उसके बाद भी योजना की जानकारी जब मीडिया तक को नहीं होगी तो इंजेक्षन लगाने वाले नशेबाजों को कहां से होगी। जिला अस्पताल के कमरा नंबर छह में बाकायदा काउंसिलिगं, पंजीकरण और दवा वितरण होता है। पूरी टीम काम करती है। यहां पर बाकायदा नशेबाजों का पंजीकरण होता है। जानकर हैरानी होगी कि नशेबाजों में बच्चे, जवान और 80 साल तक के बुजुर्ग शामिल है, और यह लोग एक बार में एक माह का टेबलेट ले जाते हैं, यानि एक बार आइए और महीने भर नशे में रहिए। यहां के डाक्टर भी कहते हैं, कि नशा करो लेकिन सरकारी टेबलेट खाकर नशा करो, इंजेक्षन लगाकर नही। अनेक ऐसे मां-बाप हैं, जो कहते हैं, कि मेरे बेटे को मरने से बचा लीजिए। ध्यान में रहे, यह कोई टीटमेंट नहीं हैं, बल्कि उन लोगों को टेबलेट के जरिए नशे में रखकर उन्हें एचआईवी जैसी खतरनाक बीमारी से बचाना है, जो इंजेक्षन का इस्तेमाल करते और उसी इजेंक्षन का दूसरों को करने देते है। यह टेबलेट उन्हीं नशेबाजों का निःशुल्क जिला अस्पताल में दी जाती है, जिनका पंजीकरण है। टेबलेट लेने के लिए कुछ ऐसे नामी गिरामी लोग भी जो मुंह ढ़ककर कमरा नंबर छह में दवा लेने जाते। यह तो अच्छा हुआ कि यह टेबलेट सिर्फ उन्हीं लोगों को जिला अस्पताल में मिलता, जिनका पंजीकरण है। अगर यह टेबलेट खुले बाजार में मिलता तो न जाने कितने दारु की दुकानों पर ताला लगाना पड़ता।

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