डाक्टर पवन मिश्र ने आयुष्मान के दर्जन भर मरीजों की फोड़ी आखं, 28 लाख डूबा

डाक्टर पवन मिश्र ने आयुष्मान के दर्जन भर मरीजों की फोड़ी आखं, 28 लाख डूबा

डाक्टर पवन मिश्र ने आयुष्मान के दर्जन भर मरीजों की फोड़ी आखं, 28 लाख डूबा

-यह डाक्टर गरीब मरीजों को आंख की रोशनी देने के बजाए उनके आंख की रोषनी ही छीन लेते, उनका आंख ही फोड़ देते

-आवास विकास कालोनी में इनका गैलेस्की आई प्राइवेट अस्पताल, नवज्योति की तरह यह भी मरीजों को जमीन पर लेटाते, इनके अस्पताल में बेड ही नहीं

-यह अब तक एक दर्जन से अधिक बुजर्ग मरीजों की रोषनी छीन चुकें, मरीजों की रही सही रोषनी भी डाक्टर ने छीन लिया

-डीएम ने बताया अस्पताल के 800 मरीजों का 28 लाख रुपया का भुगतान निरस्त कर दिया गया

-सवाल उठ रहा है, कि क्या सीएमओ और उनकी टीम यह जिम्मेदारी लेगी कि कैसे बिना बेड के लाइसेंस दे दिया

-आयुष्मान के अस्पतालें कोई आंख फोड़ रही है, तो कोई जिंदगी छीन रही है, को जमीन पर लेटा कर इलाज कर रहा है, तो कोई स्टोर रुम में

बस्ती। समझ में नहीं आता कि डाक्टरों को यह क्या होता जा रहा हैं, क्यों यह लोग तिजोरी भरने के लिए आयुष्मान के गरीब मरीजों का खून चूस रहे है? क्यों उन्हें अंधा बना दे रहे है? क्यों उनकी जिंदगियों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं? क्यों उनका इलाज जमीन और स्टोर रुम में किया जा रहा है? क्यों मरीजों के भोजन के नाम पर मिले सरकारी धन से अपने परिवार को भोजन कराया जा रहा है? क्यों आर्थो के आपरेषन में मरीजों से इम्पलांट के नाम पर पैसा लिया जा रहा? क्या डाक्टर आयुष्मान के गरीब मरीजों से भी गरीब हो गएं हैं? कि अपने परिवार का भरण-पोषण करके लिए गरीबों का हक मारे? सबसे बड़ा सवाल क्यों डाक्टर भगवान का दर्जा खोते जा रहे हैं? और क्यों वह खूनचुसवा या फिर अंखफोड़वा बनते जा रहें हैं? वैसे तो जिले भर के लगभग सभी आयुष्मान के प्राइवेट अस्पतालों में योजना का दुरुपयोग हो रहा है, और इसके लिए मरीज काफी हद तक सीएमओ कार्यालय और उनकी उस टीम को जिम्मेदार मान रही हैं, जो पैसे के लालच में बिना बेड वाले अस्पताल को भी लाइसेंस जारी कर रहे है। सीएमओ कार्यालय पर निरंतर आयुष्मान के गरीब मरीजों का खून चूसने वाले अस्पतालों का बचाव करने का आरोप लगता रहा है। कहने का मतलब अगर प्राइवेट अस्पताल वाले गरीबों का भोजन छीन कर अपने परिवार का पेट भर रहे हैं, तो सीएमओ कार्यालय पर भी अगुंली उठेगी, उन्हें भी वही समझा और माना जाएगा, जो आयुष्मान अस्पतालों के डाक्टर और मालिक कर रहे है। कहना गलत नहीं होगा कि मरीजों को लेकर जिन लोगों में सबसे अधिक संवेदषीलता होनी चाहिए वही संवेदहीन होते जा रहे है। बस्ती के अँखफोड़वा कांड ने पूरे देष का हिलाकर रख दिया, भले ही इसकी संवेदनषीलता को प्रषासन और सीएमओ कार्यालय नहीं समझ पा रहा है, लेकिन इस कांड से सभी लोग अंचभित और आष्चर्य है, और कह रहे हैं, कि क्या यही उस वर्ग की पहचान हैं, जिसे मरीज अपना भगवान मानता है। जिसने भी सुना उसके होष उड़ गए। बहरहाल, मीडिया में खबर आने के बाद बस्ती से लेकर लखनउ और दिल्ली तक के लोग सतर्क हो गए। मीडिया निरंतर प्रषासन और सीएमओ कार्यालय को यह बताती आ रही हैं, कि आयुष्मान के अस्पतालें मरीजों का हर तरह से षोषण कर रही है, उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है, उन्हें कड़ाके की ठंड में जमीन पर लेटाया जारहा है, उनका इलाज स्टोर रुम में किया जा रहा, उन्हें भोजन और दवांए तक नहीं दी जा रही है। हडडी के आपरेषन में इम्पलांट लगाने के नाम पर धन की उगाही की जा रही है। लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। जिसका नतीजा गलैक्सी आई अस्पताल के डाक्टर और मालिक पवन मिश्र ने एक दर्जन से अधिक बुजुर्ग की आंख ही फोड़ डाली। जिले और देष के लिए इससे बड़ा हादसा और कोई नहीं हो सकता। इससे पहले इस तरह का कांड मुज्जफरपुर में देष के लोगों ने सुना। चिकित्सा क्षे़ से जुड़े लोगो का दावा है, कि पांच से दस फीसद आयुष्मान के प्राइवेट अस्पतालें मरीजों को अनुमन्य सुविधाएं दे रही है। यह देखना सीएमओ कार्यालय की जिम्मेदारी है। सवाल उठ रहा है, कि अगर स्टार अस्पताल में मरीजों को भोजन नहीं मिल रहा है, तो कौन इसका जिम्मेदार, अगर इसी अस्पताल में मरीजों का इलाज स्टोर रुम में हो रहा है, कौन जिम्मेदार? अगर ज्यान अस्पताल में मरीजों का षोषण हो रहा है, तो कौन इसका जिम्मेदार? और अगर नवज्योति अस्पताल में आंख के मरीजों को इस कड़ाके के ठंड में जमीन पर लेटाया जा रहा है, तो इसका जिम्मेदार कौन? और अगर गैलेक्सी में एक दर्जन गरीब मरीजों की आंख फोड़ दी जाती है, तो इसका कौन जिम्मेदार? अगर सीएमओ कार्यालय अपनी जिम्मेदारी से भागेगे तो अंखफोडवा कांड होना लाजिमी है। पूरा प्रषासन और सीएमओ कार्यालय मिलकर भी आयुष्मान के अस्पतालों में जब मरीजों को मिलने वाली सुविधा का बैनर/बोर्ड तक नहीं लगवा सकते तो ऐसे प्रषासन के होने और ना होने से क्या फायदा? ऐसे सीएमओ कार्यालय के होने और ना होने से क्या लाभ? डीएम रवीष कुमार गुप्त ने बताया कि विभाग के द्वारा गैलेक्सी आई अस्पताल के 800 मरीजों के आपरेषन का 28 लाख रुपये का पेमेंट कैसिल कर दिया गया है,

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