बस्ती का रेडक्रास सोसायटी बना लूटपाट का केंद्र

बस्ती का रेडक्रास सोसायटी बना लूटपाट का केंद्र

बस्ती का रेडक्रास सोसायटी बना लूटपाट का केंद्र

-क्या लूटपाट करने के लिए रेडक्रास सोसायटी का पदाधिकारी बनने को मारामारी होती?

-पहले सांसद निधि सहित अन्य मद में लाखों रुपये का गोलमाल हुआ, और अब दान के नाम पर दानवीरों का धन लूटा गया

-कोरोना को सीएमओ, उनके बाबू और प्रशासनिक अधिकारियों ने अवसर में बदला

-एक तरफ जहां हर आदमी पीड़ितों का हर संभव रेडक्रास सोसायटी के जरिए आर्थिक रुप से सहायता करने में लगा रहा, वहीं सीएमओ और बाबू लूटने में मस्त रहें

-दानवीरों ने इस लिए दिल खोलकर रेडक्रास सोसायटी को लाखों रुपया दान दिया, ताकि उस पैसे से कोरोना से प्रभावित गरीबों का इलाज हो सके और उन्हें भरपेट भोजन मिल सके

-22 जनवरी 20 से 18 जनवरी 25 तक कुल 63 दानवीरों ने दान दिया, इनमें 14 दानवीरों ने कितना दान दिया और किसने दिया, इसका हिसाब-किताब सीएमओ कार्यालय नहीं दे सका

-49 दानवीरों ने 25 लाख से अधिक का दान दिया, इनमें 14 दानवीरों के दान का पता नहीं, लगभग 22 लाख रुपये की हेराफेरी दान के नाम पर की गई

बस्ती। बस्ती के जिस रेडक्रास सोसायटी को मानव सेवा में जिले का नाम रोशन करना चाहिए, वह सोसायटी भ्रष्टाचार में जिले का नाम बदनाम कर रही है। लोगों को यकीन नहीं हो रहा है, कि रेडक्रास सोसायटी भी पीड़ितों के नाम पर भ्रष्टाचार कर सकती है। अगर इस सोसायटी के जिम्मेदार लोग कोरोना काल में गरीबों के इलाज और भोजन के नाम पर तिजोरी भर सकते हैं, तो इनमें और लूटेरों में क्या फर्क रह गया? एक तरफ जहां हर आदमी पीड़ितों की हर संभव रेडक्रास सोसायटी के जरिए आर्थिक रुप से सहायता करने में लगा रहा, वहीं सीएमओ और बाबू लूटने में मस्त रहें। इन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनके चलते किसी गरीब का इलाज और भोजन के अभाव में जान भी जा सकती है। ऐसे लोगों ने तो कोराना काल को भी एक अवसर में बदल दिया। दानवीरों ने इस लिए दिल खोलकर रेडक्रास सोसायटी को लाखों रुपया दान नहीं दिया, कि उस पैसे का इस्तेमाल कोरोना से प्रभावित गरीबों का इलाज करने उन्हें भरपेट भोजन में हो सके, दानवीरों को क्या मालूम रहा, कि सीएमओ और बाबू इतना भ्रष्ट हो जाएगें कि दान के धन से शराब पीएगें और मौजमस्ती करेगें, तिजोरी भरेगें।

बताते चले कि 22 जनवरी 20 से 18 जनवरी 25 तक कुल 63 दानवीरों ने दान दिया, इनमें 14 दानवीरों ने कितना दान किया और किन-किन लोगों ने किया, इसका हिसाब-किताब सीएमओ कार्यालय नहीं दे पा रहा, लगभग 22 लाख रुपया दान का किन-किन लोगों की जेबों गया। इतनी बड़ी रकम का गोलमाल का खुलासा रेडक्रास सोसायटी के सदस्य और एमएलसी प्रतिनिधि हरीश सिंह के द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ। सवाल उठ रहा है, कि लूटपाट करने के लिए रेडक्रास सोसायटी का पदाधिकारी बनने के लिए लोग आतुर रहे। पहले सांसद निधि सहित अन्य मद में लाखों रुपये का गोलमाल हुआ, और अब दान के नाम पर दानवीरों का धन लूटा गया। सवाल यह भी उठ रहा है, कि आखिर दान देने वाला अगर रेडक्रास सोसायटी जैसी संस्था पर विष्वास नहीं करेगा तो किस पर करेगा? और क्यों करेगा? एमएलसी प्रतिनिधि ने इसकी जांच डिप्टी सीएम/रेडक्रास सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष बृजेश पाठक से की है।

सबसे अधिक दान आवास विकास कालोनी के महेंद्र कुमार सिंह ने पांच लाख, तेज प्रताप सिंह उर्फ सुडडु सिंह ने 2.51 लाख दिया। भारद्वाज युनिबुल प्रा.लि. ने 1.51 लाख, एचपी गैा की मंजू सिंह ने 1.14 लाख, राना कृष्णा किंकर सिंह और विधायक कवींद्र चौधरी ने 1.11-1.11 लाख, राजेश कुमार सिंह ने 1.01 लाख, उमाशंकर पटवा ने एक लाख, कृष्णा मिशन ने एक लाख, ग्राम विकास अधिकारी दिलीप कुमार वर्मा 51 हजार और 11 हजार का दो बार दान दिया। कटरा के दीप आंनद, सुनील कुमार दूबे, कटरा के दीपक आंनद, विक्रम चौधरी एवं विधायक महेंद्रनाथ यादव ने 51-51 हजार दिया। आइस्प्रा ज्चेलर्स ने 50 हजार, प्रबंधक डेलही पब्लिक स्कूल पचपेड़िया के अमर मणि पांडेय ने 42 हजार, शिवेंद्र वर्मा, विजयेंद्र वर्मा, खिदमत फाउंडेशन के डा. मोहम्मद इकबाल, हडडी अस्पताल के डा. मोहम्मद अनीस ने 25-25 हजार दिया। दीपक कुमार सिंह, कुंवर राइस मिल, योगेंद्र सिंह, महिला परिवार पुरानी बस्ती के सुंदरकांड, एडीओ राम सुभाश चौधरी, एसके पांडेय, दिवाकर मिश्र एवं महेश कुमार सिंह ने 21-21 हजार, अखिलेश सिंह, सूर्यभान सिंह, तहउर हुसैन एवं मूड़घाट के हेडमास्टर सर्वेष्ट मिश्र एवं सत्य प्रभासेवा संस्थान ने 11-11 हजार दिया। राम सूरत पांडेय ने 5500, सदभावना ग्रामीण विकास संस्थान, महेंद्र कुमार यादव, कुशा जायसवाल, आईसीसीआई बैंक ने 5100-5100 दिया। विमल पांडेय ने 2100 और कृष्णा मिशन के नर्सिगं स्टाफ ने 1004 रुपये का दान दिया।

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