बारुद’ के ‘ढ़ेर’ पर खड़ा ‘सदर’ ब्लॉक, ‘कभी’ भी हो सकता ‘विस्फोट’
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 8 November, 2024 21:23
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‘बारुद’ के ‘ढ़ेर’ पर खड़ा ‘सदर’ ब्लॉक, ‘कभी’ भी हो सकता ‘विस्फोट’
-इस बार जो विस्फोट होगा उसके लिए प्रमुखजी को नहीं बल्कि भ्रष्ट बीडीओ और प्रधान जिम्मेदार होंगे
-जिस तरह कमरा बंद करके बीडीओ प्रधानों से बखरा ले रहे हैं, उससे अधिक बखरा ना देने वाले अनेक प्रधानों में रोश व्याप्त
-जिस प्रधान ने अधिक बखरा दिया, उसका भुगतान पहले होता, भले ही चाहें प्रधान ने काम करवाया या नहीं कराया, बीडीओ को कोई प्राब्लम नहीं
-ब्लॉक प्रमुख के चेंबर से दस फीट की दूरी पर दिन भर बीडीओ कमरा बंद करके वसूली कर रहे हैं, और प्रमुखजी ना जाने क्यों लाचार, बदनामी तो ब्लॉक प्रमुख की हो रही, बीडीओ साहब तो बखरा लेकर चले जाएगें
-मनरेगा की महिला एपीओ पर दबाव बनाकर उनसे फर्जी मस्टरोल पर हस्ताक्षर करवाया जा रहा, इन्हें इतना भी मौका नहीं दिया जाता कि यह स्थलीय निरीक्षण कर सके
बस्ती।...सदर ब्लॉक के प्रमुख ‘राकेश कुमार श्रीवास्तव’ के हिस्से में अब तक नेकनामी कम और बदनामी अधिक आई है। यह पहले ऐसे प्रमुख हैं, जिनके ब्लॉक में सबसे अधिक विरोध के स्वर सुनाई दिया। अब यह अलग बात हैं, कि कुछ तो प्रमुखजी की नासमझी और कुछ भ्रष्ट बीडीओ और प्रधानों के चलते विवाद हुआ। प्रमुखजी का आधे से अधिक समय विरोधियों को मनाने और उन्हें संतुष्ट करने में बीत गया, आगे क्या होगा इसका पता नहीं, लेकिन एक बात तो तय है, कि अगर प्रमुखजी ने भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगाया या फिर अपने आपको भ्रष्टाचार से अलग नहीं किया, तो अभी ना जाने कितने विरोध के स्वर सुनाई दे सकते है। अगर प्रमुखजी अपनी और ब्लॉक की छवि सुधारना चाहते हैं, तो सबसे पहले उन्हें भ्रष्ट बीडीओ के भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना होगा, और ऐसा बीडीओ लाना होगा, जो बखरा प्रेमी ना हो, और जो बंद कमरे में प्रधानों से सौदा ना करता हो। अगर प्रमुखजी ऐसा करने में सफल हुए तो उनके सारे गुनाह माफ हो जाएगें।
जो अंदर की खबरें छनकर आ रही है, वह अच्छी नहीं हैं, और ना ही कोई नया ही है। फर्क सिर्फ इतना है, कि इस बार निशाने पर प्रमुख नहीं बल्कि बीडीओ है। अंसतुष्ट प्रधानों और कार्यालय के लोगों का कहना है, कि बीडीओ साहब जब से इस ब्लॉक में आए हैं, तब से उनका एक सूत्रीय कार्यक्रम वसूली का रहा। इनपर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि प्रधान ने काम करवाया या नहीं करवाया, अगर प्रधान ने इनका बखरा दे दिया तो बिना कार्य कराए भुगतान भी होगा और कार्यो की स्वीकृति भी होगी, और अगर किसी प्रधान ने दस्तूर से अधिक बखरा दिया तो उसका भुगतान पहले होगा और कच्चे-पक्के कामों की स्वीकृत भी होेगी, उसका वीआईपी स्वागत होगा। उसका पुराना भुगतान भी प्राथमिकता पर हो जाएगा, अधिक बखरा देने वाले प्रधानों के लिए बीडीओ साहब मनरेगा के महिला एपीओ से भी लड़ जाते हैं, और कहते हैं, कि अभी मस्टरोल पर हस्ताक्षर करो नहीं तो तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई के लिए लिख दूंगा। एपीओ को इतना भी समय नहीं दिया जाता कि वह स्थलीय जांच तक कर सके, कार्रवाई के डर से आंख बंदकर एपीओ फर्जी मस्टरोल पर हस्ताक्षर कर देती है। जानबूझकर एपीओ के पास अंतिम दिन और अंतिम समय में मस्टरोल भेजा जाता है, ताकि वह स्थलीय जांच ना कर सके। कहने का मतलब बीडीओ साहब खुद तो भ्रष्टाचार कर ही रहें हैं, और महिला एपीओ को भी भ्रष्टाचार का हिस्सा बना दे रहे है। जबकि एपीओ की तैनाती का मकसद ही मनरेगा में फर्जीवाड़े को रोकना हैं, मगर जहां सदर ब्लॉक जैसे बीडीओ होगें, वहां भ्रष्टाचार कहां रुकेगा, बल्कि बढ़ेगा। बताते हैं, कि प्रमुखजी भी बीडीओ की कार्यशेली से संतुष्ट नहीं हैं, फिर भी ना जाने क्यों वह बीडीओ का विरोध नहीं कर पा रहे हैं, जाने एकसी कौन सी मजबूरी है, जो उन्हें विरोध करने से रोक रही है। कहा जाता है, कि प्रमुखजी विरोध तभी कर पाएगें, जब अपने आपको भ्रष्टाचार से अलग कर लेंगे। बहरहाल, बीडीओ साहब महिला एपीओ को बलि का बकरा बना रहे है। क्यों कि जिस तरह बीडीओ साहब भ्रष्ट प्रधानों के मस्टरोल पर दबाव बनाकर एपीओ से हस्ताक्षर करवा रहे हैं, उससे बीडीओ की मंषा का पता चलता है। बीडीओ साहब की सबसे खास बात यह है, कि यह खुलेआम भ्रष्टाचार नहीं करते, बल्कि बंद कमरे में करते है। दिनभर यह कमरे में सेटिगं वाले प्रधानों को बुलाते हैं, और अलग-अलग बखरा लेते हैं, जिन प्रधानों ने मनमुताबिक बखरा दे दिया तो समझो उसकी चांदी हो गई, और जिन लोगों ने नहीं दिया, समझो उनकी मरनी हो गई, उनके कार्यो की स्वीकृति नहीं मिलेगी, और ना उनका भुगतान ही होगा, ऐसे प्रधानों का पुराना भुगतान भी बीडीओ नहीं करते। जिस तरह से बीडीओ साहब बारी-बारी से भ्रष्ट प्रधानों का बखरा के लिए साक्षात्कार लेते हैं, उससे पता चलता है, कि बीडीओ सिर्फ ब्लॉक में कमाने आएं हैं, इनसे ना तो ब्लॉक और ना प्रमुख की छवि से कोई मतलब नहीं है। बीडीओ के चलते जो स्थित ब्लॉक की बनी हुई है, उसे देखते हुए ब्लॉक में कभी भी विस्फोट हो सकता, और यह विस्फोट अब तक सबसे बड़ा धमाका साबित होगा। असंतुष्ट प्रधानों और ब्लॉक के लोगों का कहना है, कि अगर प्रमुखजी ने विस्फोट होने से पहले बीडीओ को हटवा दिया, तो ब्लॉक बदनाम होने से बच जाएगा।
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