बड़े साहब ने छोटे साहब के आवास पर किया कब्जा

बड़े साहब ने छोटे साहब के आवास पर किया कब्जा

बड़े साहब ने छोटे साहब के आवास पर किया कब्जा

-बड़ा साहब होने के नाते छोटे साहब आवास खाली करने के लिए कह नहीं पा रहें

-कब्जा होने से छोटे साहब डेली गोरखपुर से अप डाउन कर रहें, जिससे सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा, कार्यालय देर से आते हैं, और जल्दी चले जाते, कभी-कभी तो आते ही नहीं

-बीडीओ सदर अपना यह दर्द अनेक जनप्रतिनिधियों से बयां कर चुके हैं, कह रहे हैं, कि क्या करें साहब से कहा भी नहीं जा सकता, और साहब बिना कहे आवास खाली करेंगे नहीं

-डीडीओ साहब भी भव्य आवास और सुख सुविधा का मजा लेने के लिए आवास छोड़ने को तैयार नहीं

बस्ती।...अभी तक आप लोगों ने सरकारी आवास पर बाहरी लोगों का कब्जा करते/होते सुना होगा, लेकिन अब हम आप को सरकारी आवास पर बड़े साहब का कब्जा करने का सच बताने जा रहे हैं। चूंकि कब्जा बड़े साहब ने छोटे साहब के आवास पर किया, इस लिए छोटे साहब बड़े साहब से आवास खाली करने को कह भी नहीं सकते, भले ही चाहें छोटे साहब को डेली गोरखपुर से अप डाउन करना ही क्यों ना पड़े। डेली अप डाउन करने से सरकारी कामकाज प्रभावित हो रहा है, क्यों कि छोटे साहब को गोरखपुर जाने के लिए जल्दी रहती है, इस लिए उन्हें समय से पहले कार्यालय को छोड़ना पड़ता है। अक्सर यह देर से कार्यालय पहुंचते हैं, और कभी-कभी तो आते ही नहीं। छोटे साहब अपनी यह पीड़ा अनेक जनप्रतिनिधियों से साझा भी कर चुके हैं। बड़े साहब भी भव्य आवास और सुख सुविधा का मोह त्यागने को तैयार नहीं। बड़े साहब पिछले लगभग छह माह से छोटे साहब के आवास पर कब्जा जमाए हुएं है। अब हम आपको बताते हैं, कि छोटे साहब कौन हैं, और बड़े साहब कौन। छोटे साहब सदर ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी हैं, तो बड़े साहब जिला विकास अधिकारी।

सवाल यह उठ रहा है, कि बीडीओ साहब सरकार के उस आदेष पालन करें तो कैसे करें, जिसमें बीडीओ को ब्लाक पर ही रात्रि विश्राम करने को कहा गया, ताकि जरुरतमंद कभी भी बीडीओ से मिल सके, या कभी भी प्रषासन को बीडीओ की जरुरत पड़ सकती, तो वह उपलब्ध हो सके। वैसे भी कुछ बीडीओ बच्चों की पढ़ाई और षहर का मोह छोड़कर ब्लॉक पर बने आवास पर रात्रि निवास नहीं रहे हैं, और कुछ ऐसे भी है, जो रात्रि निवास करना चाहते हैं, लेकिन उनके बड़े साहब करने देना नहीं चाहते। कुछ इसी तरह की स्थित सदर ब्लॉक के बीडीओ की है। ब्लॉक के लोग इसे बीडीओ साहब की कमजोरी और डीडीओ साहब की दादागिरी बता रहे है। जबकि डीडीओ के लिए सरकारी आवास एलाट है। अब यह अलग बात हैं, कि उस सरकारी आवास में उतनी भव्यता और सुख सुविधा नहीं हैं, जितना बीडीओ सदर के आवास और कैंपस में है। बहरहाल, बड़े साहब का छोटे साहब के आवास पर कब्जा करना चर्चा का विषय बना हुआ है। गोरखपुर से डेली अपडाउन करने से बीडीओ साहब के सामने सबसे बड़ी चिंता ‘जर्नी रिस्क’ का रहता है।

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