अब तो आदित्य श्रीवास्तव को जेल जाना ही पड़ेगा!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 31 July, 2025 19:38
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अब तो आदित्य श्रीवास्तव को जेल जाना ही पड़ेगा!
-नगर पंचायत हर्रैया के चेयरमैन ने लक्ष्य फाउंडेशन के आदित्य श्रीवास्तव के खिलाफ लाखों रुपये के हेराफेरी के आरोप में मुकदमा दर्ज करवाया
-लगभग सात माह पहले ईओ संजय राव की ओर से हर्रैया थाने में तहरीर दी गई थी, लेकिन राजनैतिक और पैसे के बल पर मामला टलता रहा
-जब नगर पंचायत हर्रैया के सपा चेयरमैन कुंवर कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने चार दिन पहले जब तहरीर दी तब जाकर मुकदमा दर्ज हुआ, मुकदमा दर्ज करवाने में एक भाजपा नेता का बहुम बड़ा योगदान रहा
-आदित्य श्रीवास्तव पर आरोप हैं, कि इन्होंने बैंक के साथ मिलकर आठ लाख 25 हजार 500 रुपये के एफडीआर को धोखे से बिना ईओ की अनुमति से निकाल लिया
-इतना ही नहीं खाते में डालने के बाद भी इन्होंने नगर पंचायत से बंधक एफडीआर की मांग कर डाली
-इन पर जीएसटी, ईएसआई और श्रमिकों के बीमा धनराशि की भी चोरी का आरोप, इनमें सात लाख 25 हजार 682 रुपया जीएसटी का, एक लाख पांच हजार ईएसआई
-इनकी चोरी आडिट टीम ने पकड़ा और 15 लाख की रिकवरी का नोटिस लक्ष्य फाउंडेशन के आदित्य श्रीवास्तव को जारी हुआ
बस्ती। भ्रष्ट नेताओं और भ्रष्ट चेयरमैन/चेयरपर्सन के चहेते लक्ष्य फाउंडेशन के आदित्य श्रीवास्तव पहली बार कानून के शिकंजे में फंसें है। फंस तो लगभग सात माह पहले ही जाते हैं, लेकिन इनके आका इनका ढाल बने हुए थे, वरना यह कब का जेल चले गए होते और जमानत भी हो गई होती। इन्हें एंटीसेपरिटी बेल भी मिल सकता है। अगर इनके खिलाफ खुद नगर पंचायत हर्रैया के सपा चेयरमैन कुंवर कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने तहरीर न दी होती और एक भाजपा नेता मदद न किए होते तो शायद मुकदमा दर्ज नहीं होता। लगभग सात माह पहले इनके खिलाफ पूर्व ईओ संजय राव ने तहरीर दिया था, लेकिन हर्रैया पुलिस तहरीर को सात माह तक यह विचार करती रही है, कि मुकदमा लिखा जाए या न लिखा जाए, क्यों कि मामला भाजपा के बड़े नेता से जो जुड़ा हुआ था। चेयरमैन का कहना है, कि अब आदित्य श्रीवास्तव को जेल जाने से कोई रोक नहीं सकता। क्यों कि इन्होंने आर्थिक अपराध किया है। ईओ के तहरीर देने के बाद से ही यह अपने आकाओं और चहेते अधिकारियों की परिक्रमा कर रहे थे। मुकदमा दर्ज ना हो इसके लिए यह कुछ भी करने को तैयार थे, लेकिन इनके न तो आका काम आए और न कुछ भी
इनके खिलाफ इससे पहले भी जीएसटी की चोरी एवं कम भुगतान करने सहित अन्य अनियमितता का आरोप लग चुका हैं, लेकिन हर बार यह अपने आकाओं के चलते बचते रहे। अगर इनका पाला नगर पंचायत हर्रैया के चेयरमैन से ना पड़ा होता तो अब तक मैनेज हो गया होता। यह पहले ऐसे सेवा प्रदाता हैं, जिन्होंने आउटसोर्सिंग से तो खुद भी राजा बने ही अनेक भ्रष्ट चेयरमैन/चेयरपर्सन एवं भ्रष्ट अधिकारियों को भी राजा बना दिया। कहा भी जाता हैं, कि अगर इनके सिर पर भाजपाईयों का हाथ ना होता तो यह कब का जेल की हवा खा चुके होते। सेवा प्रदाता के रुप में इनका पूरे प्रदेश में सिक्का चलता है। इनकी छत्रछाया में अनेक ऐसे असली/नकली चेयरमैन/चेयरपर्सन हैं, जिनकी मासिक कमाई ही अधिक इतनी होती है, कि सोचा नहीं जा सकता।
इस बार इनकी चोरी आडिट टीम ने पकड़ी है। 15 लाख के रिकवरी का नोटिस भी जारी हुआ है। दर्ज एफआईआर के अनुसार लक्ष्य फाउंडेशन के आदित्य श्रीवास्तव ने हर्रैया नगर पंचायत में अगस्त 23 में निविदा डाला, इसके लिए इन्होंने ईओ के नाम आठ लाख 25 हजार 500 रुपये का एफडीआर बंधक रखा। नियमानुसार जिसके नाम बंधक होता हैं, जब तक वह एनओसी जारी नहीं करता, तब तक बैंक बंधक एफडीआर का भुगतान नहीं कर सकती, लेकिन यहां पर इन्होंने कटेष्वरपार्क स्थित कैनरा बैंक से मिलकर यह कर एफडीआर को अपने खाते में जमा करवा लिया, कि उन्हें ठेका नहीं मिला। यहां पर पूरी तरह बैंक की भूमिका को संदिग्ध माना जा रहा है, क्यों कि बैंक ने बिना ईओ के एनओसी दिए भुगतान कर दिया, इसका मतलब इस फर्जीवाड़े में बैंक के लोग भी शामिल है। 28 अगस्त 24 में भुगतान लिया गया। इतना ही नहीं इन्होंने नियम विरुद्व धनराशि जमा करवाने के बावजूद भी ईओ से बंधक का एफडीआर की मांग कर डाली। आडिट टीम के अनुसार इन्होंने 2020-23 तक लक्ष्य फाउडेंशन को जीएसटी के रुप में किए गए सात लाख 25 हजार 682 रुपये के भुगतान को जमा नहीं किया, यानि बिल का 18 फीसद जीएसटी इन्होंने अपनी जेब में रख लिया। इन्होंने श्रमिकों के नाम पर लिए गए बीमा के रुप में एक लाख पांच हजार 728 रुपया भी हड़प लिया। बोर्ड की ओर से रिकवरी का आदेश जारी हुआ। अगर हर्रैया नगर पंचायत अध्यक्ष की तरह अन्य अध्यक्ष को भी लक्ष्य फाउंडेशन का साम्राज्य समाप्त करने के लिए आगे आना पड़ेगा। तभी इनकी दुकान बंद हो सकती है। नगर पालिका बस्ती से इनका पत्ता साफ हो चुका है। आउट सोर्सिगं के जरिए किस तरह से मालामाल हुआ जा सकता हैं, अगर किसी सेवाप्रदाता को सीखना हो तो वह आदित्य श्रीवास्तव से सीख सकता है। हर्रैया नगर पंचायत अध्यक्ष का कहना हैं, कि यह फर्म पूरे जिले में ब्लैक लिस्टेड होना चाहिए। यह भी कहा कि वह इस फर्म को ब्लैक लिस्टेड करवाने के लिए जितना भी हो सकेगा उतना प्रयास करेंगे। क्यों कि जो फर्म जीएसटी की चोरी करती हो, श्रमिकों के बीमा धनराशि को हजम करती हो, बंधक एफडीआर को जालसाजी से भुगतान लेती हो, उसे सेवाप्रदाता बनने का कोई भी अधिकार नहीं। यह एफआईआर 30 जुलाई की रात लगभग 10 बजे लिखी गई।
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