आखिर बीडीओ सदर को सिपाही के रुप में मिल ही गया नया किराएदार

आखिर बीडीओ सदर को सिपाही के रुप में मिल ही गया नया किराएदार

आखिर बीडीओ सदर को सिपाही के रुप में मिल ही गया नया किराएदार

-बीडीओ ने सीडीओ के अगं रक्षक के रुप में नियम विरुद्व किया सरकारी आवास एलाट, ठहरे सीडीओ के अंग रक्ष कइस लिए बीडीओ साहब खुद किराएदार के स्वागत करने में जुटे, मकान का रंगाईपोताई हो रही

-जितना बड़ा आवास सिपाही के नाम से एलाट हुआ, उतने बड़े आवास में सिपाही के डिप्टी एसपी रहते

-पहले इस आवास पर खुद बीडीओ की नजर थी, एक एडीओ से सेटिगं भी हो गई, लेकिन सीडीओ ने बीडीओ के मंशुबे पा पानी फेर दिया

-बीडीओ के आवास पर पहले से ही जिला विकास अधिकारी ने कब्जा कर रखा

बस्ती। आपको सुनकर हैरानी होगी, लेकिन यह सच हैं, सदर ब्लॉक के सरकारी आवास को किराए पर दिया जा रहा हैं। आवास एलाट करने के नाम पर भारी फीस ली जा रही है। कुछ दिन पहले एक खबर प्रकाशित हुई थी, जिसमें कहा गया था, अगर किसी को किराए का सरकारी आवास चाहिए तो वह सदर के बीडीओ से संपर्क कर सकता है। चूंकि सरकारी आवास हैं, और सारी सुविधा है। एक अधिकारी के आवास पर जितनी सुविधा होती है, वही सुविधा सदर ब्लॉक के सरकारी आवास में मिलता है, इस लिए हर कोई आवास लेना चाहते है। ऐसे-ऐसे लोगों के नाम आवास एलाट कर दिया, जो किसी और ब्लॉक में कार्यरत हैं, कईयों ने तो बाकायदा कार्यालय तक खोल रखा है। जिसके चलते वहां के स्टाफ की महिलाओं को आने-जाने और ठंड के मौसम में बाहर आकर धूप लेना मुस्किल हो रहा है। बीडीओ के आवास को पहले ही जिला विकास अधिकारी ने कब्जा कर रखा है। जिसके चलते बीडीओ को डेली गोरखपुर से अपडाउन करना पड़ता है। जिले का यह पहला ब्लॉक हैं, जहां के सरकारी आवास को किराए पर दिया जाता हैं, आवास के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है। हालही में बीडीओ ने एक सिपाही को सरकारी आवास एलाट कर दिया, जबकि नियमानुसार किसी भी दूसरे विभाग के कर्मियों को आवास एलाट ही नहीं हो सकता, जिस आवास को सिपाही के नाम एलाट किया गया, बताया जाता है, कि वह सीडीओ का बाडी गार्ड हैं, और सीडीओ के दबाव के चलते ही सिपाही को सरकारी आवास एलाट किया गया, जबकि इनके लिए पुलिस लाइस में आवास बने हुए हैं, चूंकि ब्लॉक का जो सरकारी आवास है, वह काफी बड़ा है, और वहां पर सारी सुविधा उपलब्ध है। जितना बड़ा आवास सिपाही को एलाट किया, उतने बड़े आवास में सिपाही के डिप्टी एसपी रहते है। बताया जाता है, कि इस आवास पर बीडीओ साहब की नजर थी, इसके लिए एक एडीओ ने उनसे सेटिगं भी कर रखा लिया था, एलाटमेंट की प्रक्रिया पूरी ही होने वाली थी, तब तक उस आवास पर सीडीओ के बाडी गार्ड की नजर पड़ी, फिर क्या था, सीडीओ ने सारे नियम कानून तोड़कर बीडीओ को सिपाही के नाम आवास एलाट करने का फरमान सुना दिया। बेचारे बीडीओ साहब की सारी सेटिंग बर्बाद हो गई। जबकि ब्लॉक के अनेक कर्मचारी आवास के लिए दर-दर भटक रहे है। जो आवास सिपाही के नाम एलाट हुआ, उस आवास में सचिव महेंद्र यादव के पिता और उसके बाद वह खुद 20 साल से रह रहें हैं, वर्तमान में महेंद्र यादव कुदरहा ब्लॉक में तैनात है। अब सीडीओ बाडी गार्ड के स्वागत करने की तैयारी में बीडीओ जुट गए, आवास की साफ-सफाई और रंगरोगन किया जा रहा हैं, आवास तक जाने के लिए सड़क को चकाचौक किया जा रहा है। जाहिर सी बात हैं, कि जिस भी किराएदार को इतना सबकुछ मिल जाएगा, वह तो कोई भी किराया देने तैयार हो जाएगा, अक्सर उसे घूस भी देना पड़ेगा तो भी वह देने को तैयार हो जाएगा।

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