यूंही कोई बृजभूषण सिंह नहीं बन जाता!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 11 August, 2025 20:44
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यूंही कोई बृजभूषण सिंह नहीं बन जाता!
-शुरुआत इसी तरीके से होता, पहले एक गाड़ी, फिर दूसरी गाड़ी, फिर तीसरी, यहां हवेली वहां हवेली, यहां होटल वहां रेस्टारेंट, यह केवल नेता ही कर सकते, बिजनेसमैन, नौकरी करने वाला और मजदूर कभी नहीं कर पाएगा
-अपराध की कोख से जन्म लेने वाला हर अनपढ़ शिक्षा माफिया, शिक्षित लोगों को आदना दिखाता, सूडडू भईया आपने साबित कर दिया कि क्षत्रिय एक मेढक के समान है, जो एक तराजू पे तौले नहीं जा सकते, आप भी हेलीकाप्टर लीजिए हम आप का स्वागत करेगें
-वह लोग महान है, जो खुद नहीं पढ़ पाने की पीड़ा को सदौव अपने हृदय में जींवत रखते हैं, तभी तो वह लोग पूरे समाज को पढ़ा रहें, वह अपने पौरुष के बल पर हासिल किए, न कि किसी का गला काटकर, खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचें...
-जनता को मजबूर करके उनके खून पसीने की कमाई पर हेलीकाप्टी पर चल रहा, सभी प्राइवेट स्कूल के मालिकों का यही हाल, जनता को चूस रहे, पोल खोल अभियान में हमारी तरफ से भी पूरी सहभागिता रहेगी बंधुवर, गजब किया आपने ए छक्का दे छक्का
-भैया आप जिसका पोस्ट डाले हैं, यह कोई अच्छा व्यक्ति थोड़े ना है, अपराधी है, कितने लोगों की हत्या करके आज इस मुकमा पर पहुंचा, इसके यहां किसी की कोई इज्जत नहीं
-शिक्षा का अलख जलाने के लिए शिक्षित होना कोई आवष्यक नहीं, भैयाजी कोई जरुरी नहीं कि शिक्षा का अलख जलाने वालापढ़ा लिखा ही हो सुखपाल पांडेयजी को लोग बस्ती का मालवीयजी कहते, वह कितना पढ़े लिखें थे
बस्ती। भाजपा के राना दिनेश प्रताप सिंह ने एक दिन पहले एक पोस्ट डाला था, जिसमें इन्होंने लिखा कि ‘जिला गोंडा महान है, पूज्यनीय है, वंदनीय है, नमनीय है, आठवीं में तीन बार फेल होने वाला विधार्थी कालांतर में अपने तीन निजी हेलीकाप्टर से अपने छह दर्जन स्कूलों का मैनेजमेंट देखने जाता है’। चूंकि आजतक किसी ने बृजभूषण सिंह के बारे में इस तरह का पोस्ट नहीं किया, इस लिए इस पोस्ट की खूब चर्चा हुई। पूरे प्रदेश में इसकी चर्चा हुई, और पोस्ट करने वाले की सराहना भी की गई। कमेंट भी खूब किए गए। किसी ने कहा कि यूंही कोई बृजभूषण सिंह नहीं बन जाता, किसी ने इन्हें अपराधी किस्म का व्यक्ति बताया, तो किसी ने पोस्ट करने वालों को ही निशाने पर ले लिया। अगर इस पोस्ट की सभी प्रक्रियाओं को लिख दिया जाए तो पूरा अखबार भर जाएगा। जितनी बेबाकी से पोस्ट किया गया, उतनी बेबाकी से कमेंट नहीं किए गए। ऐसा लगता है, मानो डर-डर का कमेंट किया गया। यह तो सही है, कि कोई भी आम व्यक्ति अपने मेहनत के बल पर इतनी तरक्की नहीं कर सकता, जितना गोंडा के नेताजी ने किया। कहीं न कहीं कुछ न कुछ अवष्य गलत का समावेश हुआ होगा। यह भी सही है, कि देश में इनसे भी अधिक नेता अनेक बार सांसद और विधायक हुए, लेकिन उन लोगों ने उतनी तरक्की नहीं की जितना बृजभूषण सिंह ने किया। यह तो कभी मंत्री भी नहीं रहे। इस सच से कोई इंकार भी नहीं कर सकता। भले ही सच को न स्वीकारे लेकिन सच तो सच ही होता है। वैसे भी सच बहुत कडुवा होता है। बहुत से लोगों का कहना रहा, कि आखिर इस तरह के पोस्ट करने की आवष्यकता ही क्यों पड़ी? वह भी भाजपा नेता को लेकर। अनेक लोगों ने यह भी कहा कि क्यों नहीं इन्होंने अपने जिले के नेताओं के बारे में इस तरह का पोस्ट कभी किया, सवाल तो वाजिब है। लेकिन इन्होंने जो पोस्ट किया, उसके बारे में कहा जाता है, कि इसमें गलत क्या? नेताजी को भी इसमें कोई गलत नहीं लगा होगा, समर्थकों को लग सकता है।
यशराज केके लिखते हैं, कि शुरुआत इसी तरीके से होता, पहले एक गाड़ी, फिर दूसरी गाड़ी, फिर तीसरी, यहां हवेली वहां हवेली, यहां होटल वहां रेस्टारेंट, यह केवल नेता ही कर सकते, बिजनेसमैन, नौकरी करने वाला और मजदूर कभी नहीं कर पाएगा। प्रदीप पांडेय लिखते हैें, कि अपराध की कोख से जन्म लेने वाला हर अनपढ़ शिक्षा माफिया, शिक्षित लोगों को आइना दिखाता। सतीश कुमार सिंह लिखते हैं, कि यह सब अपराध की कमाई हैं, जिस दिन गिरेंगे संभल नहीं पाएगे। प्रिंस सिंह टाटा लिखते हैं, कि सूडडू भईया आपने साबित कर दिया कि क्षत्रिय एक मेढक के समान है, जो एक तराजू पे तौले नहीं जा सकते, आप भी हेलीकाप्टर लीजिए हम आप का स्वागत करेगें।
कंहैयालाल लिखते हैं, कि वह लोग महान है, जो खुद नहीं पढ़ पाने की पीड़ा को सदैव अपने हृदय में जींवत रखते हैं, तभी तो वह लोग पूरे समाज को पढ़ा रहें, वह अपने पौरुष के बल पर हासिल किए, न कि किसी का गला काटकर, खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचें...
सत्यराम निषाद कहते हैें, कि जनता को मजबूर करके उनके खून पसीने की कमाई पर हेलीकाप्टी पर चल रहा, सभी प्राइवेट स्कूल के मालिकों का यही हाल, जनता को चूस रहे, पोल खोल अभियान में हमारी तरफ से भी पूरी सहभागिता रहेगी बंधुवर, गजब किया आपने ए छक्का दे छक्का। शिवम सिंह लिखते हैं, कि भैया आप जिसका पोस्ट डाले हैं, यह कोई अच्छा व्यक्ति थोड़े ना है, अपराधी है, कितने लोगों की हत्या करके आज इस मुकमा पर पहुंचा, इसके यहां किसी की कोई इज्जत नहीं। हरीश सिंह और चंद्रेष प्रताप सिंह ने लिखा कि शिक्षा का अलख जलाने के लिए शिक्षित होना कोई आवष्यक नहीं, भैयाजी कोई जरुरी नहीं कि शिक्षा का अलख जलाने वालापढ़ा लिखा ही हो सुखपाल पांडेयजी को लोग बस्ती का मालवीयजी कहते, वह कितना पढ़े लिखें थे। रतन सिंह लिखते हैं, कि नेताजी के संर्घष ने यह साबित कर दिया कि किसी मार्कशीट उनके भविष्य का चुनाव नहीं कर सकती। रामप्रसाद चौरसिया कहते है, कि सांच बदलेगें तो सितारे बदल जाएगें, नजरिया बदलोगें तो नजारे बदल जाएगें। मनीष पाल लिखते हैं, कि जलन बरकरार रखिए एक दिन एक दर्जन हेलीकाप्टर भी होगा।

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