टाइम सिटी के बाद इनफिस्ट इन्वेस्टमेंट एंड ब्रोकिगं कंपनी ने भी करोड़ों ठगा!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 13 August, 2025 21:32
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टाइम सिटी के बाद इनफिस्ट इन्वेस्टमेंट एंड ब्रोकिगं कंपनी ने भी करोड़ों ठगा!
-बड़ेबन निवासी अमरजीत सिंह पुत्र रणजीत सिंह को 35 लाख 60 हजार ठीक उसी तरह ठगा गया जिस तरह टाइम सिटी के जिम्मेदारों ने ठगा, निवेश के नाम पर बस्ती के न जाने कितने निवेशकों को लगाया चूना
-पैसा कमाने के चक्कर में अमरजीत सिंह ने बैंक से 6.50 लाख का लोन और भाई, दोस्तों और रिष्तेदारों से उधार लेकर 65.50 लाख जमा किया
-जिस तरह टाइम सिटी के धोखेबाजों ने निवेशकों का करोड़ों रुपया परिवार को दिया, ठीक उसी तरह इनफिस्ट इन्वेस्टमेंट एंड ब्रोकिगं कंपनी प्रा. लि. के गौरव प्रजापति पुत्र राम आसरे निवासी शांति मैरेज हाल बड़ेबन ने भी मम्मी और भाई सहित रिष्तेदारों को उनके खाते में भेजा
-गौरव प्रजापति का पूरा परिवार जिसमें पिता राम आसरे, माता किरन, भाई सौरभ प्रजापति धोखेबाजी में शामिल हैं, इन सभी लोगों के खिलाफ एफआईआर भी
-उधर भुवरनिरंजन निवासी बबलू चौधरी पुत्र जुग्गीलाल ने भी कंपनी के गौरव प्रजापति के खिलाफ जमीन देने के नाम पर 16 लाख 50 हजार की ठगी करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया
-एसपी के लिखित आदेश के बाद भी एसएचओ कोतवाली ने कहा दो तीन माह आना, फिर पीड़ित एसपी से मिला तब जाकर जब एसपी ने फटकार लगाया तब एफआईआर दर्ज किया गया
बस्ती। गलती न तो टाइम सिटी के चेयरमैन पंकज कुमार पाठक और न गलती इनफिस्ट इन्वेस्टमेंट एंड ब्रोकिगं कंपनी प्रा. लि. के चेयरमैन गौरव प्रजापति की है, गलती उन लोगों की है, जो अमीर बनने की चाह में जिंदगीभर की जमापूजीं को इन फ्राडों के हवाले कर देते है। इनकी आंख तब खुलती है, जब इनका सबकुछ लेकर कंपनी वाले फरार हो जाते है। जिले और प्रदेश में इतने सारे निवेशक, पैसा दोगुना करने के नाम पर ठगे गए और ठगे जा रहे हैं, उसके बावजूद भी निवेशकों की आंख नहीं खुल रही है। मीडिया वाले भी जागरुक कर रहें हैं, बावजूद पढ़े लिखे निवेशकों जागरुक नहीं हो रहें है। ठगी करने वालों के भीतर न जाने ऐसा कौन सा जादू होता है, जिसे घुमाते ही निवेशक उनके बहकावे में आकर सारी पूंजी न्यौछावर कर देतें है। कहा जाता है, कि देश में पंकज कुमार पाठक और गौरव प्रजापति जैसे ठगों की कोई कमी नहीं है, कमी है, तो निवेशकों के समझदारी की। बार-बार कहा जा रहा है, कि किसी भी कंपनी के चेयरमैन के पास अमीर बनने की तो मशीन होती है, लेकिन उसके पास निवेशकों को अमीर बनाने की कोई भी मशीन नहीं होती है, अगर होता तो हर मोहल्ले में अंबानी और अदानी होते। पंकज कुमार पाठक और गौरव प्रजापति तो कहीं न कहीं मिल भी जाएगें लेकिन अमरजीत सिंह और बबलू चौधरी जैसे निवेशक नहीं मिलेगें।
जब कोई अपने कंपनी का चेयरमैन अपने ही शहर के लोगों को ठगता है, तो लोगों को जल्दी विष्वास नहीं होता, और उन्हें काफी पीड़ा होती है। ऐसे लोगों का पैसे के साथ में उनका इज्जत भी चला जाता है। यह लोग जल्दी अपने आप को संभाल नहीं पातें है। अपने लोगों के बीच में रहकर विष्वासघात करना इंसान और इंसानियत का खून करने जैसा होता है। वैसे भी निवेशक अपने शहर और मोहल्ले के लोगों पर अधिक और बहुत जल्दी यह सोचकर विष्वास कर लेते हैं, कि यह तो मोहल्ले या अपने शहर कोई धोखा तो देगा नहीं और देगा तो जाएगा कहां, यही सोच और समझ धोखा खाने के लिए पर्याप्त होता है। यह न भूलिए कि ठगने वाला व्यक्ति हमेशा निवेशकों से बुद्विमान और चालाक होता हैं, वह इतना चालाक होता है, कि उसके लिए फर्जी दस्तावेज बनाना और नोटरी अनुबंध करना बाएं हाथ का खेल होता है। इसी का षिकार बड़ेबन निवासी अमरजीत सिंह पुत्र रणजीत सिंह और भुवरनिरंजन निवासी बबलू चौधरी पुत्र जुग्गीलाल जैसे न जाने कितने लोग हो गए। यह तो अभी दो एफआईआर हुआ हैं, इसी तरह टाइम सिटी जैसा न जाने कितने एफआईआर होना बाकी। निवेशकों को अब अपनी इज्जत की चिंता छोड़कर गौरव प्रजापति और उसके ठग परिवार के खिलाफ खुलकर सामने आना चाहिए। हो सकता है, कि इससे वह लोग सावधान हो जाएं जो जल्दी अमीर बनने का सपना देख रहे है। यहां पर तो अमीर बनने के चक्कर में धन और धर्म दोनों चला गया। जिस तरह टाइम सिटी के निवेशक जमीन और अपनी पूंजी पाने के लिए पिछले 15 साल से कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, उसी तरह इनफिस्ट इन्वेस्टमेंट एंड ब्रोकिगं कंपनी प्रा. लि. के निवेशकों को भी न जाने कितने साल और दिनों तक पापड़ बेलना पड़ेगा, कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ेगेें। कानूनी प्रक्रिया ही एक ऐसी उम्मीद है, जिससे निवेशकों का मूल धन मिलने की संभावना बनी रहती है। इस लिए एफआईआर दर्ज करवाना आवष्यक हैं, भले ही टाइम सिटी की तरह न्यायालय से केस दर्ज हो लेकिन केस दर्ज करवाना चाहिए। अब जरा अंदाजा लगाइए कि निवेशकों की गाढ़ी कमाई का गौरव प्रजापति और उनका परिवार पता नहीं विदेश में या पहाड़ों पर मौजमस्ती कर रहे होगें, और निवेशक यहां पर अपनी बर्बादी पर ठीक तरह से रो भी नहीं पा रहे है। अमरजीत सिंह जैसे न जाने कितने लोग होगें जिनका पैसा अगर नहीं मिला तो न जाने उनपर क्या बीतेगी। क्या ऐसे लोग फिर से आर्थिक रुप से मजबूत हो पाएगें? या फिर जिन लोगों ने बैंक से कर्ज लेकर पैसा जमा किया, क्या वह लोग कर्ज वापस कर पाएगें? कहना गलत नहीं होगा कि अगर कोई निवेशक आज सड़क पर आ गया तो उसके पीछे निवेशकों का लालची स्वभाव या कम समय में बिना कोई परिश्रम किए अमीन बनना है। 35.50 लाख कोई मामूली रकम नहीं होता, अगर आम व्यक्ति को इतना धन संचित करने में लग जाए तो उसकी पूरी जिंदगी गुजर जाएगी, नहीं कर पाएगा। हां, पंकज कुमार पाठक और गौरव प्रजापति के लिए जरुर आसान होगा। क्यों कि ऐसे लोगों के पास लोगों को बेवकूफ बनाने की ऐसी कला होती है, जो कला आम व्यक्ति में नहीं होता।
कोतवाल ने कहा दो माह बाद आना
पुलिस न जाने क्यों रंगदारी मांगने और करोड़ो का ठगी करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से परहेज करती हैं। पीड़ितों को इसके लिए न्यायालय में जाना पड़ता है। जब एसपी के लिखने के बाद भी कोई कोतवाल एफआईआर दर्ज नहीं करता तो समझ में लेना चाहिए, कि स्थित कितना निंयत्रण के बाहर है। एसपी के डांटफटकार के बाद मुकदमा तो दर्ज हो जाता है, लेकिन खुन्नस निकालने के लिए धारा का ही अल्पीकरण कर दिया जाता। अमरजीत सिंह ने बताया कि एसपी के लिखित आदेश के बाद भी एसएचओ कोतवाली ने कहा दो तीन माह बाद आना, दुबारा एसपी से मिला तब जाकर एफआईआर दर्ज किया गया। पुलिस ने एफआईआर का भी अल्पीकरण कर दिया, 420, 406, 467,468, 471 और 120बी के बजाए मात्र 406 के तहत ही दर्ज हुआ, जिसका लाभ आगे चलकर फ्राड करने वालों को मिलेगा।
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