रोक’ के बाद भी मथौली के ‘प्रदीप पाल’ करवा रहें ‘निर्माण

रोक’ के बाद भी मथौली के ‘प्रदीप पाल’ करवा रहें ‘निर्माण

रोक’ के बाद भी मथौली के ‘प्रदीप पाल’ करवा रहें ‘निर्माण’!

-देईसाड़ के सुभाष चौधरी पुत्र महावीर, जितेंद्र चौधरी पुत्र गणेषदत्त, भालचंद्र चौधरी पुत्र हरीराम चौधरी, ब्याहमणि रामजीत, रामकरन पुत्र रामप्रताप, देवेंद्र चौधरी पुत्र मेवतराज, राजकुमार पुत्र रामहित, रामजतन पुत्र रामहित, भागवत पुत्र गणेशदत्त एवं इंद्रसेन पुत्र परमेष्वर ने की डीएम से शिकायत

-सरकार ने पुराने 574 और नया 1105 गाटा की जमीनों के बैनामा, दाखिल खारिज और निर्माण करने पर प्रतिबंध लगा रखा

-बस्ती-महुली मार्ग पर देईसाड़ से मथौली से लेकर संतकबीरनगर के बार्डर भोगीपुर तक सड़क किनारे लगभग तीन किमी. की सड़क पर कोई भी नया निर्माण नहीं हो सकता, और न कोई अपनी जमीन बेच और न कोई खरीद सकता

-तमाम लोगों की पुरानी जमीने हैं, जिसमें कुछ पर कब्जा तो कुछ पर नहीं, जिनका कब्जा नहीं वह कब्जा चाहते, जानकारों का कहना है, इस विवाद का हल पुराने नक्षे के आधार पर ही हल हो सकता

बस्ती। लगभग एक माह पहले देईसाड़ के सुभाष चौधरी पुत्र महावीर, जितेंद्र चौधरी पुत्र गणेशदत्त, भालचंद्र चौधरी पुत्र हरीराम चौधरी, ब्याहमणि रामजीत, रामकरन पुत्र रामप्रताप, देवेंद्र चौधरी पुत्र मेवतराज, राजकुमार पुत्र रामहित, रामजतन पुत्र रामहित, भागवत पुत्र गणेशदत्त एवं इंद्रसेन पुत्र परमेष्वर ने एसडीएम सदर से मिलकर शिकायत किया था, कि गाटा संख्या 1385 पोखरा एवं 1386 चकमार्ग और सड़क की जमीन हैं, इस पर मथौली के प्रदीप पाल पुत्र रामराज पाल अतिक्रमण कर रहे है। इस पर एसडीएम ने एसओ लालगंज को जांच करने और सर्वाजनिक भूमि पर अवैध कब्जा न होने पाए का आदेश दिया। जब यह लोग कागज लेकर लालगंज थाने गए तो एसओ साहब ने कहा कि अगर अतिक्रमण करें तो बताना। 25 अगस्त 25 को गांव वाले डीएम से मिले और उनसे नाजायज अतिक्रमण रोके जाने और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने की मांग की।

पत्र में लिखा कि थाना लालगंज मथौली स्थित गाटा संख्या 1385 पोखरा तथा गाटा संख्या 1387 चकमार्ग के रुप में अंकित है। यह सभी गाटा बस्ती महुली मार्ग पर स्थित हैं, जो अत्यंत कीमती एवं व्यवसायिक प्रकृति की जमीन है। बताया कि गाटा संख्या 1105 बहुत बढ़ा नंबर है, और यह देईसाड़ से मथौली से लेकर संतकबीरनगर के बार्डर भोगीपुर तक सड़क किनारे लगभग तीन किमी. है। बताया कि सरकार की ओर से सड़क किनारे पर कोई भी नया निर्माण न होने, जमीन का बैनामा न होने और दाखिल होने पर रोक लगा दिया। इसकी पुष्टि रजिस्टी कार्यालय ने भी की। बताया जाता है, कि तमाम लोगों की पुरानी जमीने हैं, जिसमें कुछ पर कब्जा तो कुछ पर नहीं, जिनका कब्जा नहीं वह कब्जा चाहते, जानकारों का कहना है, इस विवाद का हल पुराने नक्षे के आधार पर ही हो सकता। सैकड़ों बैनामें हो चुके हैं, लेकिन कब्जा और दाखिल खारिज न होने से स्थिति जस की तस बनी हुई। चकबंदी वालों ने भी इसे छोड़ दिया। गाटा सही है, लेकिन चौहददी का निर्णय नहीं हो पा रहा है। सड़क किनारे की 40-50 फीट जमीन बचा हुआ है। हो सकता है, कि प्रदीप पाल ने भी बैनामा कराया हो या फिर उनकी पुस्तैनी जमीन हो, लेकिन दाखिल खारिज पर रोक लगने के कारण निर्माण नहीं करा पा रहे हैं। सवाल उठ रहा है, कि तीन किमी. गाटा की चौहददी का अगर पता न हो तो क्रेता कैसे कब्जा करेगा और कैसे निर्माण करेगा? जिले का ही नहीं शायद प्रदेश का पहला ऐसा इतना बड़ा गाटा होगा, जिस पर सरकार ने जमीन को खरीदने और बेचने तथा नया निर्माण करने पर प्रतिबंध लगा है। गावं वालों का कहना है, कि पीडब्लूडी ने तो काषतकारों की जमीनों पर सड़क तो निर्माण करवा लिया लेकिन उन्हें मुआवजा नहीं दिया। शिकायतकर्त्ताओं का कहना है, कि जहां पर निर्माण हो रहा है, उसके पीछे उन लोगों की जमीने हैं, और अगर निर्माण हो गया तो उनके पीछे की जमीन को कोई कीमत नहीं रह जाएगी।

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