मैडम’ देखिए, ‘खाद’ के ‘नाम’ पर ‘पचानू’ समिति में ‘सचिव’ कर रहें ‘लूट’

मैडम’ देखिए, ‘खाद’ के ‘नाम’ पर ‘पचानू’ समिति में ‘सचिव’ कर रहें ‘लूट’

मैडम’ देखिए, ‘खाद’ के ‘नाम’ पर ‘पचानू’ समिति में ‘सचिव’ कर रहें ‘लूट’

-सल्टौआ के पचानू समिति में भ्रष्टाचार चरम पर, किसान परेशान, सचिव मनमानी पर उतारू

-खाद के नाम पर खुलेआम लूट हो रही 265 का खाद 280-290 में सचिव बेच रहें

बस्ती। कुछ दिन पहले पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी ने डीएम को पत्र लिखा था, जिसमें किसानों को निर्धारित दर पर खाद उपलब्ध कराने की मांग की थी। उसके बावजूद भी अधिकांष समितियों और रिटेलर्स के यहां खाद उपलब्ध नहीं हैं, जहां पर उपलब्ध भी है, वहां पर जबरिया अधिक मूल्य लिया जा रहा है। इसी लिए पूर्व सांसद के बाद किसानों ने कहा था, कि सांसदजी हम लोगों को चिठठीपत्र नहीं बल्कि खाद चाहिए, वह भी निर्धारित दर पर। किसानों की समस्या जानने के लिए कोई नेता किसानों के बीच नहीं जा रहा है, कोई यह देखने नहीं जा रहा है, कि किसान लाइन में कितने देर से लगा हुआ है, और उसे खाद मिला की नहीं, सभी नेता डीएम को पत्र लिखकर चुप हो रहे हैं, कोई यह नहीं पूछने जाता कि मैडम, क्यों नहीं खाद मिल रहा है, और जो मिल रहा है, वह क्यों उंचे दामों पर मिल रहा। अगर कोई नेता प्रभारी मंत्री के सामने खाद की कमी की समस्या उठाता भी है, तो विधायकजी यह कहकर बचाव करने लगते हैं, कि किसानों ने खाद डंप कर लिया। कहा भी जाता है, कि जो माननीय कालाबाजारियों का बचाव करेगें, उनसे किसान चुनाव में निपट लेगी। बार-बार किसान चिल्ला रहा है, कि तब तक जिले में जिला कृषि अधिकारी और एआर रहेगें, तब तक किसानों को खाद के लिए आंसू बहाना पड़ेगा। जिस तरह नेतागण पत्र लिखकर औपचारिकता पूरा कर रहे हैं, उन्हें किसान देख रहा है। अभी तक प़ा और विपक्ष का कोई भी नेता खाद के लिए सड़क पर नहीं उतरा।

विकासखंड सल्टौआ के पचानू समिति पर किसानों का शोषण लगातार बढ़ता जा रहा है। समिति के सचिव की मनमानी इस कदर हावी है कि किसानों को बार-बार चक्कर लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। किसानों का आरोप है कि सचिव कभी कह देते है आपका नाम इस समिति में नहीं है, दूसरी समिति पर जाइए”, जबकि बड़े और जान-पहचान वाले को किसी भी ग्राम पंचायत का होने पर तुरंत दे दिया जा रहा है। कई किसानों ने यह भी खुलासा किया कि 265 रुपये का खाद 280 और 290 रुपये में खुलेआम बेची जा रही है, जिससे स्पष्ट है कि समिति में लूट का खेल बेरोक-टोक चल रहा है। किसानों के मुताबिक, यह सब किसी मजबूत संरक्षण में ही फल-फूल रहा है, वरना इतनी बड़ी धांधली संभव ही नहीं। अब बड़ा सवाल यह है कि पचानू समिति में चल रही, इस खुले भ्रष्टाचार पर सक्षम अधिकारी कब एक्शन लेंगे? किसानों का धैर्य जवाब दे रहा है और क्षेत्र में चर्चा का विषय यही है कि आखिर किसकी छत्रछाया में यह मनमानी जारी है। स्थानीय किसानों ने जिला प्रशासन और सरकार से मांग की है कि पचानू समिति पर तत्काल जांच बैठाई जाए और जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि किसानों के साथ हो रहे अत्याचार पर रोक लग सके।

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