जेडीई कार्यालय बनता जा रहा भ्रष्टाचार का केंद्र

जेडीई कार्यालय बनता जा रहा भ्रष्टाचार का केंद्र

जेडीई कार्यालय बनता जा रहा भ्रष्टाचार का केंद्र

-पहले तत्कालीन जेडीई ओमप्रकाष मिश्र, कनिष्ठ लिपिक आलोक कुमार दूबे और सेवा प्रदाता कंपनी ने 278 चपरासी की नियुक्ति के नाम पर 2.78 करोड़ का बंदरबांट का खुलासा हुआ, और अध्यापकों के विनियमीकरण और ग्रेड वेतन में 2.25 करोड़ के बंदरबांट का खुलासा हुआ

-इसकी शिकायत और जांच कराने की मांग एमएलसी देवेंद्रप्रताप सिंह अपर मुख्य सचिव माध्यमिक से कर चुके, भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेश प्रताप सिंह आरटीआई के तहत जानकारी मांग चुके, नहीं दिया, अब मामला आयोग में जाने वाला

-इस मामले में बाबू आलोक कुमार दूबे और तत्कालीन जेडीई फंस सकते हैं, क्यों कि जितने भी विनियमीकरण हुए हैं, वे नियम विरुद्व हुएं हैं, अगर इसकी जांच हो गई तो जेडीई और बाबू के साथ उन अध्यापकों का खुलासा हो सकता है, जिन लोगों ने एक-एक विनियमतीकरण के लिए 15-15 लाख का चढ़ावा चढ़ाया

-आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी को न देना यह साबित करता है, कि इस मामलें में भारी धन का बंदरबांट हुआ

बस्ती। बजट विहीन विभाग में अगर करोड़ों का बंदरबांट होता है, तो ताज्जुब होगा ही। बेसिक में तो करोड़ों का बजट आता है, लेकिन माध्यमिक में नहीं आता। फिर माध्यमिक के अधिकारी और बाबू एक ही झटके में करोड़पति हो जाते हैं, वह भी बिना वित्तीय गबन किए। अभी जेडीई कार्यालय में तत्कालीन जेडीई ओमप्रकाष मिश्र, कनिष्ठ लिपिक आलोक कुमार दूबे और सेवा प्रदाता कंपनी पर 278 चपरासी की नियुक्ति के नाम पर 2.78 करोड़ का बंदरबांट करने का मामला चल ही रहा था, कि अब अध्यापकों के विनियमतीकरण और ग्रेड वेतन में 2.25 करोड़ के बंदरबांट का मामला सामने आ गया। जानकार बताते हैं, कि इस मामले में जेडीई और बाबू की गर्दन फंस सकती है, क्यों कि कहा जा रहा है, कि जितने भी विनियमतीकरण और ग्रेड वेतन मान का निर्धारण हुआ, वे अनियमित तरीके से हुआ। इसके लिए अध्यानकों को एक-एक साल के वेतन की कुर्बानी देनी पड़ी, लगभग 15-20 अध्यापकों का विनियमतीकरण हुआ। पता चल रहा है, कि इस मामले से संबधित कोई भी पत्रावली कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। अगर होता तो भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेशप्रताप सिंह के द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी को विभाग कब का उपलब्ध करा दिया होता, अपील में जाने के बाद भी उपलब्ध नहीं कराया, अब आयोग में जाने की तैयारी हो रही है। उधर इसकी शिकायत और जांच कराने की मांग एमएलसी देवेंद्रप्रताप सिंह अपर मुख्य सचिव माध्यमिक से कर चुके हैं, लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी न तो जांच हुई और न न दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई ही हुई, अब एमएलसी साहब इस मामले को मुख्यमंत्री के पास ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। जेडीई कार्यालय में एक पुरानी परम्परा रही है। अगर किसी ने किसी के खिलाफ कोई शिकायत किया तो उसके खिलाफ भी शिकायतें करवाई जाती है। यह सिलसिला तब बंद होता है, जब इसी बैठक होती है, और उसमें यह निर्णय निर्णय लिया जाता है, कि न आप हमारी शिकायत करवाओ और न हम आपकी की करवाएगें। कहने का मतलब जेडीई कार्यालय में शिकायतों का निस्तारण जांच से नहीं होता बल्कि आपसी समझौते से होता। चूंकि इस कार्यालय को कोई भी अधिकारी या बाबू किसी न किसी गलत कार्य में फंसा अवष्य है। हर कोई एक दूसरे की कमी जानता है। इस लिए जब भी कोई षिकायत होती है, तो शिकायत कराने वाला व्यक्ति कभी सामने नहीं आता, लेकिन जानते सभी है, कि किसने शिकायत करवाया। इस कार्यालय को चोरों की मंडली भी कहा जाता है, इन चोरों के बीच कभी कोई ईमानदार जेडीई आ जाता है, तो वह बेईमानी नहीं होने देता, लेकिन एक दिन ऐसा भी आता भी है, जब ईमानदार कहे जाने वाले जेडीई चोरों की मंडली में शामिल हो जाते है। षिक्षा और नकल माफिया इन्हीं चोरों की मंडली की देन होती है। दूबेजी भले ही आउट सोर्सिगं वाले मामले में बच जाए लेकिन अनियमित तरीके से किए गए विनियमतीकरण के मामले में शायद न बच पाएं। जिस दिन आपके खिलाफ कोई कार्रवाई हुई उस दिन सबसे अधिक खुश कार्यालय के वे वरिष्ठ लिपिक होगें जिनका हक आपने मार लिया। अब लोगों को समझ में आ गया होगा कि क्यों आपको बेईमान अधिकारी इतना पसंद करते है। दूबेजी बेईमानी की रोटी जल्दी हजम नहीं होती है। बेहतर होगा कि आप स्वयं बड़पन दिखाते हुए पद को छोड़ दीजिए, क्यों कि साहब को छोड़कर कोई भी आपका भला नहीं चाह रहे है।

अपर मुख्य सचिव माध्यमिक को लिखे पत्र में एमएलसी साहब ने लिखा है, कि तत्कालीन जेडीई ओमप्रकाश मिश्र के द्वारा नियम विरुद्व शिक्षकों का 2024-2025 एवं 2025-26 में विनियमतीकरण किया गया। कहा कि तत्कालीन जेडीई के कार्यकाल में मंडल में जितने भी शिक्षकों का नियमितीकरण हुआ है, उन सभी में भ्रष्टाचार की गंध आ रही है। श्री मिश्र के कदाचार सहित इनके कार्यकाल में जितने भी शिक्षकों का विनियमतीकरण हुआ है, उसका विधिवत जांच होनी चाहिए। कार्रवाई से अवगत कराने को भी कहा गया।

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