जब किल्लत व मारामारी थी तब सत्ता के लोगों को पकड़ी बीमारी थी
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 25 August, 2025 20:16
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जब किल्लत व मारामारी थी तब सत्ता के लोगों को पकड़ी बीमारी थी
बस्ती। न जाने जिले के सांसद को खाद की कालाबाजारी दिखाई क्यों नहीं देती, इनको यह तक नहीं मालूम कि किसान खाद की कमी या किल्लत से नहीं बल्कि कालाबाजारी से परेशान है। संसद में सांसदजी ने जो बयान दिया वह काफी चौकाने वाला रहा, ऐसा लगता है, कि बयान देने से इन्होंने खाद पर कोई होमवर्क ही नहीं किया, अगर किए होते तो यह न कहते कि जिले में खाद की किल्लत है। किसी ने इन्हें यह नहीं बताया कि जिले में टारगेट से 56 फीसद अधिक खाद की बिक्री हुई। विपक्ष के नाते इन्हें इसी बहाने भाजपा को घेरने का मौका मिला था, बजाए खाद की किल्लत बताने को अगर यह कहते कि जब जिले में पिछले साल की अपेक्षा 50 फीसद से अधिक खाद आई तो खाद गई कहां, किसी भी किसान से यह पूछ लीजिए तो वह एक ही बात कहेगा कि खाद की कालाबाजारी हुई, जिले के किसानों को तो पता हैं, खाद कहां गई, लेकिन सांसदजी को नहीं मालूम की खाद गई कहां। कहांगजब का फरमान जब किल्लत व मारामारी थी तब सत्ता के लोगों को पकड़ी बीमारी थी। इसी तरह भाजपा के पूर्व सांसद ने भी खाद की कालाबाजारी पर अभी तक कोई बयान नहीं दिया, लगता है, कि इन्हें भी खाद की कालाबाजारी नहीं दिखाई देती। एआर और जिला कृषि अधिकारी, समितियों के सचिवों और रिटेलर्स ने जमकर खाद की कालाबाजारी किया।
भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता का कहना है, कि सियासत अवाम पर क्या एहसान करती है पहले घर छीनती है फिर कंबल दान करती है। अध्यक्ष भाजपा को तब यह नहीं दिखाई दिया न आज तक पत्राचार ही किए न किसान बढ़े न जोत फिर भी दुगनी आई यूरिया कहां गयी सत्ता पक्ष के अध्यक्ष हैं सत्ता के अध्यक्ष का पावर एक सांसद व कैबिनेट मंत्री के बराबर माना गया है। जब एक एक समिति पर खाद के लिए दो दो हजार से अधिक भीड़ थी तब अध्यक्ष धृतराष्ट्र बने हुए थे तब इनको किसानों का आंसू रक्षाबंधन का उपहार बहन द्वारा दो बोरी यूरिया मांगा जाना नहीं दिखा। अध्यक्षजी ने यह जानने की कोशिश नहीं की जब खरीफ के लिए हर वर्ष से दुगना यूरिया आया न रकबा वृद्धि हुआ न किसान तब यूरिया कहां गया विपक्ष ने इसे मुद्दा भाजपा के अध्यक्ष की शिथिलता के कारण बनाया, किसान आंसू बहाते रहे अध्यक्ष जी सोते रहे अध्यक्ष जी ने किसानों के हित में अपने तरफ से एक आधिकारिक बयान जारी करना भी मुनासिब नहीं समझा यही नहीं भाजपा की किसान विंग के अध्यक्ष2़1 अध्यक्ष के समय से अध्यक्ष हैं इन्होंने आज तक किसानों के हित में लगभग 4 वर्ष में एक टूक भी बोलना मुनासिब नहीं समझा। बस्ती भाजपा हो य शीर्ष नेतृत्व वहां वही फिट है कौन कितना चापलूसीबाजी कर लेता है, कौन दुर्लभ से दुर्लभ प्रजाति का तेल लगा लेता है। भाजपा की यह परंपरा रही है व है भी जो कर्मठी ईमानदार और जुझारू होंगे हासिए पर रहेंगे भाजपा कार्यकर्ताओं को कभी नहीं बढ़ने देना चाहती और कहती हैं कार्यकर्ता को यदि नेता बना दिया तो दरी कौन बिछाएगा भाजपा में जो संगठन य अनुसांगिक संगठन मोर्चाओ में रहकर अपने दायित्वों का निर्वहन निष्ठा ईमानदारी से किया नौजवानो किसानो युवाओ बेरोजगारों के हित की आवाज उठाई उसे भीगी मक्खी की तरह फेक य तास के पत्तों की तरह फेट दिया गया ।भाजपा में कर्मठी ईमानदार कार्यकर्ताओं के हित में किसी ने तारीफ के दो शब्द तक बोलना उचित नहीं समझा भ्रष्ट कर्मचारियों को बचाने के लिए कार्यकर्ता के विरुद्ध पत्र जरुर लिखा गया। बस्ती के पांच विधानसभा में चार विपक्षी दल सपा के विधायक हैं सांसद सपा का है पार्टी की स्थिति स्थानीय स्तर पर बहुत खराब है फिर भी रावण व लवणासुर से भी अधिक अहंकार। राम जी जाने भाजपा के अध्यक्ष की माया।
पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने मुख्यमंत्री से पत्राचार कर डीलरो द्वारा उर्वरक के कालाबाजारी की शिकायत किया है। आरोप लगाया कि स्थानीय रिटेलरो को खाद डीलरो द्वारा यूरिया खाद के निर्धारित मूल्य से करीब 90 रूपये अधिक मूल्य लेकर उन्हें खाद दिया जा रहा है। ऊपर से सल्फर, जिंग जैसे अन्य उर्वरको को भी खरीदने का दबाव बनाया जाता है। जिससे लाइसेन्सधारी निजी खाद विक्रेताओं के साथ ही आम किसानों का आर्थिक शोशण हो रहा है और वह यूरिया के लिए दर-दर भटकर रहे है। कहा कि रूधौली विधानसभा क्षेत्र में भ्रमण के दौरान स्थानीय खाद विक्रेताओं द्वारा उन्हें अवगत कराया गया था कि आम किसानों को बेचे जाने वाले यूरिया खाद की कीमत 266 रूपये है जिसमें 15 रूपये भाड़ा भी शामिल है। जबकि डीलरों से यूरिया खाद उन्हें 250 रूपये निर्धारित मूल्य पर प्राप्त होता है। परन्तु वर्तमान समय में डीलर उन्हें प्रति बोरी खाद की कीमत 350 रूपये तक में दे रहे है। जबकि रसीद निर्धारित मूल्य 250 का देते है। रिटेलरो द्वारा जब डीलर से शिकायत की जाती है तो कम्पनी द्वारा कम खाद की आपूर्ति का हवाला देकर यह कहते है, कि उन्हें 350 रूपये में लेना हो तो ले अन्यथा और भी रिटेलर है जो यूरिया खरीदने के लिए तैयार है। वहीं तमाम किसानों द्वारा उनसे शिकायत की गयी कि निजी खाद की दुकानों से उन्हें 400 रूपये तक प्रति बोरी यूरिया बेची जा रही है। उपर से जिंक व सल्फर खरीदने का भी दबाव बनाया जाता है। जिससे आम किसान परेशान है और उन्हें आर्थिक शोशण का सामना करना पड़ रहा है। इस कृत्य से सरकार की छवि धूमिल हो रही है। इससे यह प्रतीत होता है कि इसका मुख्य कारण उर्वरक कम्पनी व स्थानीय डीलर है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि बस्ती जनपद में उर्वरक डीलर व कम्पनी द्वारा खाद आपूर्ति में किये जा रहे भ्रश्टाचार की गोपनीय जांच कराते हुए संबंधित पर कार्यवाही की जाय जिससे स्थानीय रिटेलरो तथा किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर खाद की आपूर्ति हो सके।

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