आरएसएस’ के विभाग संचालक ‘नरेंद्र भाटिया’ बने किराएदार ‘माफिया’!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- राज्य
- Updated: 2 September, 2025 15:37
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‘आरएसएस’ के विभाग संचालक ‘नरेंद्र भाटिया’ बने किराएदार ‘माफिया’!
-इनकी पहचान अब तक भूमाफिया के रुप में थी, लेकिन अब इनकी पहचान किराएदार माफिया के रुप में उभर कर सामने आ रही, क्यों कि यह दुकान खाली कराने के नाम पर किसी से 60 तो किसी से 25 तो किसी से 40 लाख की मांग करते, किराएदार बनकर यह करोड़पति हो चुके, पहले यह किरायादार बनते हैं, और फिर खाली कराने के नाम पर दुकान मालिक को ब्लैक मेल करते
-किराएदार के रुप में अब तक यह पवन तुलस्यान को 60 लाख, सुधीर वर्मा को 25 लाख का चूना लगा चुके हैं, और अब यह पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष के रिष्तेदार रमेशचंद्र गुप्त से ताला खोलवाई 25 लाख मांग रहें-
इनके किराएदार माफिया छवि के चलते मकान और दुकान मालिक किसी को मकान और दुकान किराए पर देने को तैयार नहीं, खासतौर से किसी आरएसएस वाले को, वसूली के लिए यह सभी कोर्ट में घसीटने की धमकी देते
-अब जरा अंदाजा लगाइए कि जिस व्यक्ति का दुकान के मालिकाना हक से कोई मतलब नहीं वह मालिक से ही सौदेबाजी करता और मालिक से करोड़ों वसूलता, वह भी आरएसएस की आड़ में
-इन्होंने आरएसएस तब ज्वाइन किया जब इनके भाई प्रेमी दवा वाले प्रेमी भाटिया नकली दवाओं के कारोबार के आरोप में लगभग तीन महीने तक जेल में रहे, इन्हें भी जेल जाने का डर था, इस लिए इन्होंने आरएसएस का दामन थामा
-यह भले ही स्वास्थ्य विभाग में नौकरी कर रहे थे, लेकिन यह कभी काम करने नहीं गए, पूरी जिंदगी हराम का खाया, पता चला कि यह पेंशन भी ले रहें
-आरएसएस वाले भी इनके लूटखसोट और ठगी वाली छवि के चलते परेशान हैं, और इनसे छुटकारा पाना चाह रहें, मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद इनकी और आरएसएस की खूब किरकीरी हो रही, उपर तक शिकायतें जा रही है, और इन्हें विभाग संचालक से हटाने की भी मांग जोर पकड़ रही
बस्ती। नरेंद्र भाटिया देश के पहले ऐसे आरएसएस के विभाग संचालक होगें, जिनपर भूमाफिया और किराएदार माफिया का ठप्पा लगा हो। अगर नरेंद्र भाटिया, विभाग संचालक पद का दुरुपयोग कर करोड़ों की अवैध कमाई कर रहे हैं, तो गलती इनकी नहीं मानी जाएगी, बल्कि गलती आरएसएस के प्रांत प्रचारक और क्षेत्र प्रचारक की मानी जाएगी, जो इन्हें अवैध काम करने दे रहें हैं। समाज जिस रुप में आरएसएस के लोगों को जानती और पहचानती है, उनमें नरेंद्र भाटिया कहीं भी फिट नजर नहीं बैठतंे। यह आरएसएस में कभी नहीं आते अगर इनके भाई कहें जाने वाले प्रेमी भाटिया यानि प्रेमी दवा की दुकान वाले, नकली दवाओं के कारोबार के आरोप में लगभग तीन महीना जेल की हवा न खाते, नरेंद्र भाटिया को यह डर हो गया था, कि वह भी भाई की तरह कहीं जेल न चले जाए, क्यों कि यह भी वहीं कारोबार करते थे, जो इनके भाई किया करते थे, इस लिए इन्होंने जेल जाने से बचने के लिए आरएसएस का दामन थाम लिया, और तब से आज तक यह आरएसएस में रहने का लाभ उठाते आ रहे है। नरेंद्र भाटिया सेवक बनने नहीं बल्कि अवैध कमाई करने और अपनी काली कमाई एवं अवैध कारोबार को बचाने के लिए सेवक बनने का ढोंग कर रहे है। वैसे ही आज इनका नाम सौ करोड़ के क्लब में शामिल नहीं हो गया, कैसे हुआ, यह किसी से अब छिपा नहीं रहा। कहा जाता है, कि कोई भी दवा कारोबारी बिना गलत काम किए सौ करोड़ के क्लब में शामिल हो ही नहीं सकता, वह भी एक मामूली दवा की दुकान चलाने वाला दुकानदार। कहा जाता है, कि सच्चा आरएसएस का कार्यकर्त्ता भूखों रह जाएगा, लेकिन न तो वह कभी भूमाफिया एवं किराएदार माफिया बनेगा और न कभी किसी को ठगेगा ही, और न समाज में कभी गंदगी ही फैलाएगा। सच्चा संघी सर्वसमाज की भलाई के लिए रात दिन काम करता है, नरेंद्र भाटिया की तरह नहीं जो दलितों की जमीनों को हडपता है, और दुकान खाली करने के नाम पर सौदेबाजी और वसूली करता है। कहते हैं, कि इन्होंने नौकरी की शुरुआत स्वास्थ्य विभाग से किया, लेकिन यह कभी काम करने नहीं गए, पूरी जिंदगी बिना काम किए वेतन लेते रहे। पता चला कि यह पेंशन भी ले रहें है। आरएसएस वाले भी इनके लूटखसोट और ठगी वाली छवि से बहुत परेशान हैं, और इनसे छुटकारा पाना चाह रहें, मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद इनकी और आरएसएस की खूब किरकीरी हो रही, उपर तक शिकायतें जा रही है, और इन्हें विभाग संचालक पद से हटाने की भी मांग जोर पकड़ रही है। यह शाखा में भी शायद ही कभी गए होगें।
इनकी पहचान अब तक भूमाफिया के रुप में थी, लेकिन अब इनकी पहचान किराएदार माफिया के रुप में उभर कर सामने आ रही, क्यों कि यह दुकान खाली कराने के नाम पर किसी से 60 तो किसी से 25 तो किसी से 40 लाख की मांग करते, किराएदार बनकर यह करोड़पति हो चुके, पहले यह किरायादार बनते हैं, और फिर खाली कराने के नाम पर दुकान मालिक को ब्लैक मेल करते। किराएदार के रुप में अब तक यह पवन तुलस्यान को 60 लाख, सुधीर वर्मा को 25 लाख का चूना लगा चुके हैं, और अब यह पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष के रिष्तेदार रमेशचंद्र गुप्त से ताला खोलवाई 25 लाख मांग रहें है। इनके किराएदार माफिया छवि के चलते मकान और दुकान मालिक किसी को मकान और दुकान किराए पर देने को तैयार नहीं, खासतौर से किसी आरएसएस वाले को, वसूली के लिए यह कोर्ट में घसीटने की धमकी देते है। अब जरा अंदाजा लगाइए कि जिस व्यक्ति का दुकान के मालिकाना हक से कोई मतलब नहीं वह मालिक से ही सौदेबाजी करता और मालिक से करोड़ों वसूलता, वह भी आरएसएस की आड़ में। नया मामला करुआबाबा पुरानी बस्ती के करीब का आया है। यहां के रमेशचंद्र गुप्त जो कि पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष के रिष्तेदार है, के पिता ने नरेंद्र भाटिया को दवा की दुकान खोलने के लिए 10-20 रुपया महीना किराए पर दिया था। यहां पर लगभग 40 साल तक कारोबार किया। यहीं से इनकी नीयत खराब हो गई। जब यह दुकान जर्जर हो गई तो उसमें ताला लगाकर पक्के चले आए। लगभग 30 साल से यह दुकान पर ताला लगाए हुए हैं, खाली करने को कह रहे हैं, तो कोर्ट में चले गए, मामला लटक गया, फिर इसी बीच पुरानी बस्ती के कारोबारी गोपाल गाडिया के यहां इसे लेकर बैठक हुई, मध्यस्थता गोपाल गाडिया करने लगें, इसी बीच गोपाल गाडिया की ओर से रमेशचंद्र गुप्त को यह संदेश मिला कि अगर रमेशचंद्र गुप्त 25 लाख दें दें तो नरेंद्र भाटिया दुकान का ताला खोलने को तैयार हूं। यानि जब तक 25 लाख नरेंद्र भाटिया को रमेशचंद्र गुप्त नहीं देगें तब तक नरेंद्र भाटिया ताला नहीं खोलेगें, ताला खोलने की कीमत नरेंद्र भाटिया ने 25 लाख रखी है। तभी से मामला लेनदेन में फंसा हुआ। यह है, आरएसएस के विभाग संचालक नरेंद्र भाटिया का सच। जब नरेंद्र भाटिया पुरानी बस्ती से पक्के आए तो इन्होंने यहां पर सुधीर कुमार वर्मा पुत्र घिसियावन की दुकान को किराए पर लेकर दवा की दुकान खोला, 40 सालों तक किराए पर रहे, लेकिन यहां पर भी इनकी नीयत खराब हो गई, यहां पर भी जब दुकान जर्जर हो गया तो एसबीआई के सामने दुकान खोल दिया, लेकिन सुधीर वर्मा की दुकान को उनके हवाले नहीं किया, बल्कि सौदेबाजी करने लगें, 25 लाख ले लिया तो दुकान का ताला खोला। अब आ जाइए, इनके सबसे बड़ी ठगी के शिकार पनव तुलस्यान पर। बताते हैं, इन्होंने अपने बेटे समान पवन तुलस्यान को इतना बड़ा झटका दिया, कि यह डिप्रेशन में चले गए और इन्हें तीन-चार माह तक मुंबई में इलाज कराना पड़ा। इनसे, पहले तो दुकान खाली करवाई तीन-चार करोड़ का दुकान मांगा, जब कि इन्होंने पवन तुलस्यान से कहा था, कि तुम जमीन खरीदो मैं बिना एक रुपया लिए अपनी दुकान खाली कर दूगंा। यहां पर इनकी नीयत में खोट आ गई। कहते हैं, कि जब नरेंद्र भाटिया ने अंत में दुकान खाली करने के एवज में तीन-चार करोड़ की दुकान मांगा तो पवन ने भाटिया को याद भी दिलाया कि आप ने तो वचन दिया था, कि एक रुपया नहीं लूंगा, और अब आप चार करोड़ की दुकान की मांग रहें है, कहने लगे कि हमने एक रुपया न लेने का वचन दिया था, दुकान न लेने का तो वचन दिया नहीं था। बहरहाल, मामला 60 लाख में फाइनल हुआ, और जब तक पूरी रकम नहीं मिल गई तब तक ताला नहीं खोला। इसी लिए इनके बारे में कहा जाता है, ‘ऐसा कोई सगा नहीं जिसे नरेंद्र भाटिया ने ठगा नहीं’। जिस व्यक्ति का मकसद आरएसएस ज्वाइन करने के पीछे ठगी करने का रहा हो, वह व्यक्ति अगर विभाग संचालक के पद पर विराजमान हो, तो सवाल प्रांत और क्षेत्र प्रचारक पर भी उठेगा।

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