आखिर पोखरनी का भ्रष्टाचार उजागर हो ही गया
- Posted By: Tejyug News LIVE
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- Updated: 8 August, 2025 22:52
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आखिर पोखरनी का भ्रष्टाचार उजागर हो ही गया
-पोखरनी के भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठने वाले सुरेष श्रीवास्तव की मेहनत रंग आने लगी
-जांच टीम को जितने भी षिकायते मनरेगा को लेकर की गई, सभी सही साबित हुआ, कभी भी प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक और मेट पर गिर सकती गाज
-शिकायतकर्त्ता और आमरण अनशन पर बैठने वाले सुरेष के नाम से 14 दिन का मस्टरोल निकालने के फर्जीवाड़ा का भी सच सामने आया
-उस 80 साल के बुजुर्ग जो जीवन का अंतिम सांस बिस्तर पर लेने वाले राम अदालत पुत्र सीताराम का भी सच सामने आया, इस व्यक्ति के नाम से सबसे अधिक फर्जीवाड़ा किया गया
-विकलांग हरगोविंद का भी सच सामने आया, जिसके नाम पर मनरेगा में फर्जीवाड़ा किया गया
-तालाब पर जेसीबी से काम कराने का भी जांच अधिकारियों के सामने सच सामने आया
-यह उस विकास खंड बहादुरपुर के ग्राम पंचायत का सच हैं, जिस ब्लॉक के एक नहीं इो नहीं बल्कि तीन-तीन नकली प्रमुख संचालन कर रहे हैं, शिकायतकर्त्ता का कहना है, ेिक इन्हीं तीनों के कारण ही पोखरनी सहित अन्य ग्राम पंचायतों में मनरेगा में भ्रष्टाचार बढ़ा
बस्ती। वोट हमारा, नोट हमारा, केवल भ्रष्टाचार तुम्हारा नहीं चलेगा? को लेकर आमरण अनषन पर पिछले तीन दिनों से बैठने वाले ग्राम पंचायत पोखरनी के सुरेश कुमार श्रीवास्तव की कुर्बानी बेकार जाने वाली नहीं है। भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर आवाज उठाने वाले सुरेश ने यह साबित कर दिया कि अगर एक आम आदमी भी चाहें तो षासन और प्रशासन को हिला सकता है। अब बार-बार सवाल यह उठ रहा है, कि क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने की जिम्मेदारी सिर्फ एक आम आदमी की हैं? या नेताओं की? भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाकर विधायक और सांसद बनने वाले माननीयों को तो चूल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए, जो काम विधायकों और सांसद को करना चाहिए, वह काम एक आम आदमी कर रहा है। तो फिर इन नेताओं की आवष्यकता ही क्या है? सोते रहें यह। जनता के बल पर राज करने वाले पक्ष और विपक्ष के नेताओं को पोखरनी के सुरेश श्रीवास्तव से कुछ सीखने की आवष्यकता है। शिकायतकर्त्ता का बार-बार कहना है, कि आज जो पोखरनी सहित अन्य ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार फैला हैं, उसके लिए तीनों नकली प्रमुख जिम्मेदार है। यह तीनों ब्लॉक को लूटने में मस्त रहे। असली प्रमुख को इन लोगों ने बंधक बना रखा है। पोखरनी के भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनषन पर बैठने वाले सुरेष श्रीवास्तव की मेहनत रंग आने लगी। एक दिन पहले जांच करने गई टीम को जितने भी शिकायते मनरेगा को लेकर की गई, थी, वे सभी सही साबित हुआ। कभी भी बीडीओ, सचिव, रोजगार सेवक और मेट पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। भ्रष्टाचारियों की हिम्मत तो देखिए जो व्यक्ति भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठा है, उसके नाम से भी मनरेगा में 14 दिन का मस्टरोल निकाल लिया। इससे बड़ा फर्जीवाड़ा और क्या हो सकता है। जांच टीम को उस 80 साल के बुजुर्ग जो जीवन का अंतिम सांस बिस्तर पर ले रहा हैं, उसके भी सच का पता चला। इसके नाम से लाखों रुपया मनरेगा में निकाला गया। मौके पर शिकायतकर्त्ता ने कहा कि साहब अगर आप लोग इस व्यक्ति को मेरे सामने खड़ा कर दे तो मैं आज ही आमरण अनषन तोड़ने को तैयार हूं। जांच टीम ने जब बुजुर्ग राम अदालत पुत्र सीताराम को बुलाया तो वह नहीं आया, उसके स्कान पर पत्नी सामने आई और कहने लगी कि काम मैं करती थी, और मजदूरी मेरे पति के खाते में जाता था, तब षिकायतकर्त्ता ने यह कहा कि जब तुम्हारे नाम से मस्टरोल निकल रहा है, और तुम्हारा भी खाता है, तो फिर एक साथ कैसे दोनों के नाम से मजदूरी का पैसा निकल सकता है। महिला इसका जबाव नहीं दे पाई, जितना उसे समझाया गया था, उतना बना दिया। मजदूरी दो और काम करने वाला एक। विकलांग हरगोविंद का भी सच सामने आया, जिसके नाम पर मनरेगा में फर्जीवाड़ा किया गया, जब इससे पूछा गया तो इसने बताया कि प्रधानजी ने काम करने को नहीं बल्कि काम देखने को कहा था, सवाल उठ रहा है, कि जब काम देखने के लिए सरकार ने मेट की तैनाती की है, तो कैसे मनरेगा मजदूर काम देख सकता? सबसे बड़ा घोटाला तालाब पर जेसीबी से काम कराने का सामने आया।
शिकायकर्त्ता शर्त रखी थी, कि उसे भी जांच टीम में शामिल किया जाए, जिसके चलते उसे धरना स्थल से ले जाया गया, और जब तक वह नहीं पहुंचा जांच शुरु नहीं हुई। सुरेष श्रीवास्तव ने प्रशासन से धूप और बरसात से बचने के लिए पन्नी की व्यवस्था करने की मांग की है।

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