‘तीन’ भूखे ‘बच्चों’ को ‘पिता’ ने ‘करना’ चाहा ‘दफन’

‘तीन’ भूखे ‘बच्चों’ को ‘पिता’ ने ‘करना’ चाहा ‘दफन’

तीन’ भूखे ‘बच्चों’ को ‘पिता’ ने ‘करना’ चाहा ‘दफन’

  • -एक पिता जब भूखे बच्चों का दर्द नहीं सह पाया, तो घर के भीतर दो पुत्री और एक पुत्र का गढढ़े में दफन करना चाहा, चौकीदार मदन मोहन की तहरीर पर परसरामपुर पुलिस ने पिता मो. इरफान के खिलाफ बच्चों को जान से मारने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया

बस्ती। सुनकर दिल दहल जाता है, कि कोई बाप अपने तीन मासूम बच्चों को इस लिए घर में गढढ़ा खोदकर दफन करना चाहता कि वह बच्चों को समय से भोजन नहीं दे पाता, जिसके चलते बच्चे भूखे रहते और बच्चों का देखभाल नहीं कर पाता। आसपास के लोग अगर 112 को न बुलाते तो तीनों बच्चे आज जिंदा न होते। जैसे ही बच्चों को गढढ़े में डालकर उस पर मिटटी डाल रहा था, वैसे ही पुलिस पहुंच गई, और तीनों बच्चों को जिंदा गढढ़े से निकाला। चौकीदार मदन मोहन की तहरीर पर पिता मो. इरफान पुत्र शुभराती निवासी नंदनगर चौरी।

तीन मासूम बच्चों के हत्या का प्रयास बच्चों के पिता के द्वारा करने का सनसनीखेज मामला सामने आया। 11 साल की हासिमी, नौ साल का पुत्र मो. अमीन और सात साल की पुत्री माहेजवी को 10 दिसंबर 25 को शाम साढ़े छह बजे बच्चों के पिता मो. इरफान ने लगभग जिंदा दफन कर दिया था, अगर 112 की पुलिस न पहुंच जाती। तहरीर में तो बच्चों के दफन करने के पीछे बच्चों को समय से भोजन न देना और बच्चों का देखभाल न करना बताया गया है। जबकि अगल-बगल के लोगों का कहना है, कि मो. इरफान बच्चों के लिए ठीक से भोजन की व्यवस्था नहीं कर पा रहा था, जिसके चलते उसने बच्चों की जीवनलीला को ही समाप्त करने का निर्णय लिया होगा। इसे एक पिता की मजबूरी समझी जाए या फिर गरीबी। जिस परिवार में जब पत्नी नहीं होती उस परिवार के बच्चों का यही हाल होता है। यह बच्चों की किस्मत ही थी, बच्चे बच गए, वरना मो. इरफान ने बच्चों को जिंदा दफन करने में कोई कोर कसर नहीें छोड़ा था, इसे कहते हैं, जिसका रखवाला उपर वाला होता है, उसे कोई नहीं मार सकता। इस तरह की घटना शायद पहली बार हुआ होगा।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *