सूचना आयुक्त पर किया जानलेवा हमला, फेंका जूता, दी मां-बहन की गाली

सूचना आयुक्त पर किया जानलेवा हमला, फेंका जूता, दी मां-बहन की गाली

सूचना आयुक्त पर किया जानलेवा हमला, फेंका जूता, दी मां-बहन की गाली

-हमला करने वाले कहा कि मैं जो चाहूंगा वही होगा, अभी मेरे पक्ष में आदेष करो

-इससे पहले हमलावर ने सोषल मीडिया पर सूचना आयुक्त को जूता से मारने दे रखा था, एक तरह से एलानिया अपराध करने की धमकी देता आ रहा

-राज्य सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम की तहरीर पर थाना विभूति खंड में प्रयागराज के चांदपुरी कालोनी निवासी दीपक षुक्ल के खिलाफ आठ विभिन्न गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया

बस्ती। पहली बार किसी राज्य सूचना आयुक्त के उनके सुनवाई कक्ष में किसी ने पहले जूता फेका, फिर गर्दन दबाने के लिए जान लेवा हमला किया। यह सबकुछ इतना अचानक हुआ कि किसी को समझ ही नहीं आया कि आखिर सूचना आयुक्त पर जानलेवा हमला जैसी घटना क्यों हुई? यह घटना दो दिन पहले राज्य सूचना आयुक्त मोहम्मद नदीम के सुनवाई कक्ष संख्या सात में घटी। दर्ज एफआईआर में कहा कि दीपक षुक्ल बनाम राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भईया प्रकरण की सुनवाई चल रही थी, तभी दीपक जोर से चिल्लाते हुए कहा मेरे मामले की सुनवाई ठीक से करा, और मेरे पक्ष में अभी आदेष पारित करो। सूचना आयुक्त ने मर्यादा में रहकर बात करने की बात कही। ऐसा असभ्य आचरण किसी को षोभा नहीं देता। उसके बाद भी वह अर्मादित भाषा का प्रयोग करता रहा। बार-बार कह रहा था, कि मेरे पक्ष में अभी आदेष करो। इसके बाद दोनों पक्षों की सुनने के बाद जैसे ही निर्णय सुनाया वह आपे से बाहर हो गया, और कहने लगा कि मैं जो चाहूंगा वहीं इस आयोग में होगातुम लोग कोई कानून नहीं जानते। इतने कहते ही वह जान से मारने की नीयत से गर्दन की ओर लपका और कहा आज तुम्हारा काम समाप्त कर देता हूं। उसके बाद उसने जूता फंेक कर जोर से प्रहार किया। जूता सिंर में लगकर कुर्सी पर गिर गया। इस घटना को देख सभी लोग दंग रह गए और कक्ष संख्या सात की ओर मामले की सत्यता जानने के लिए दौड़ पड़े। तहरीर में कहा कि ऐसा लगता है, कि दीपक को भारत की कानून व्यवस्था पर कोई विष्वास नहीं। यह एक तरह से एलानिया अपराध करने की धमकी देता है। इसका आपा तब खोया जब सूचना आयुक्त ने आदेष रिजर्व करने की बात कही। उसके बाद से ही इसने गाली गलौच करना और जानलेवा हमला करने लगा। अगर इसका हाथ सूचना आयुक्त के गर्दन तक पहुंच जाता तो वाकई काम तमाम हो जाता।

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