‘नशे’ के कारोबारी ‘दंपत्ति’ के ‘बचाव’ में उतरे ‘नेता’, ‘अधिकारी’ और ‘पत्रकार’!

‘नशे’ के कारोबारी ‘दंपत्ति’ के ‘बचाव’ में उतरे ‘नेता’, ‘अधिकारी’ और ‘पत्रकार’!

‘नशे’ के कारोबारी ‘दंपत्ति’ के ‘बचाव’ में उतरे ‘नेता’, ‘अधिकारी’ और ‘पत्रकार’!

-यह लोग ऐसे लोगों की मदद कर रहें जो समाज और सरकार दोनों के दुष्मन के साथ उन गरीब परिवार के भी दुष्मन, जिनका घर नशे के चलते बर्बाद हो गया, जो लोग साथ दे रहे हैं, वह भी कम दोशी नहीं, जो लोग बचाव में उतर रहें, उन्हें जनता और मीडिया अच्छी तरह पहचानती और जानती

-डीएम और एडीएम तक नहीं बता पाए कि कैसे बोगस फर्म गणपति को लाइसेंस मिल गया, यह भी नहीं बता पाए कि क्यों सिर्फ बोगस फर्म पर ही मुकदमा हुआ? और किसके दबाव में हुआ?

-दोनों जिम्मेदार अधिकारी यह भी नहीं बता पाए कि क्यों नहीं बीडीए के अध्यक्ष एवं हर्ष मेडिकल सेंटर के राजेश सिंह, उनकी पत्नी दिव्या सिंह, गोपाल फार्मा की खुशुबू गोयल, आईडिएल फार्मा के हुष्न आरा पत्नी इकबाल, मेसर्स संस फार्मा के मोहम्मद फैसल इकबाल, के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

-इन लोगों ने बस्ती से लेकर आजमगढ़ तक सिर्फ बोगस फर्म को ही नशे की दवा यानि कोडिन सीरप बेचा, ताकि भविष्य में किसी भी कार्रवाई से बचा सके, एक भी चलती फर्म को सीरप नहीं बेचा

-नशे के कारोबार को बढ़ाने और उसके कारोबारियों को पनपने और बचाने में डीएलए और डीआई की भूमिका रही, यह दोनों पार्टनर की भूमिका अदा किया, पहले भी इन दोनों पर आरोपियों को बचाने का आरोप लग रहा था, आज भी लग रहा, जब कि इस विभाग को प्रशासन देखता

बस्ती। यूंही कोई किसी नशे का कारोबार करने वाले दंपत्ति के बचाव में नहीं उतरता, क्यों कि बचाव करने वालों को अच्छी तरह मालूम हैं, कि इसके छीटें उस पर भी पड़ सकते है। इसके बावजूद भी अगर नशे का कारोबार करने वाले दंपत्ति के पक्ष या बचाव में कोई उतरता है, तो यह माना जाता है, कि उसने इसकी भारी कीमत वसूली होगी। जिस तरह बीसीडीए के अध्यक्ष और उनकी पत्नी सहित अन्य नशे का कारोबार करने वालों के बचाव में नेता अधिकारी और पत्रकार और एक विशेष वर्ग के उतरने की बातें छन कर आ रही है, उससे पूरा समाज हैरान हैं, और कह रहा है, कि ऐसे लोग नशे के कारोबार करने वालों से अधिक दोशी है। यह भी कहते हैं, कि अधिकारी भले ही किसी लाभकारी योजना के चलते आखंे बंद किए हुए हैं, लेकिन समाज और मीडिया सबकुछ देख रहा है, यह भी देख रहा है, कि यह लोग ऐसे लोगों की मदद कर रहें जो समाज और सरकार दोनों के दुष्मन के साथ उन गरीब परिवार के भी दुष्मन हैं, जिनका घर नषे के चलते बर्बाद हो गया। मीडिया ने जब डीएम और एसडीएम से यह पूछा कि कैसे बोगस फर्म गणपति को लाइसेंस मिल गया, और यह लाइसेंस किसके दबाव में दिया गया? नहीं बता पाए, यह भी नहीं बता पाए कि क्यों सिर्फ बोगस फर्म पर ही मुकदमा दर्ज हुआ? और क्यों नहीं, बीडीए के अध्यक्ष एवं हर्ष मेडिकल सेंटर के राजेश सिंह, उनकी पत्नी दिव्या सिंह, गोपाल फार्मा की खुशबू गोयल, आईडिएल फार्मा के हुष्न आरा पत्नी इकबाल, मेसर्स संस फार्मा के मोहम्मद फैसल इकबाल, के खिलाफ दर्ज हुआ? दोनों अधिकारियों को मीडिया की ओर से यह भी बताया गया, कि इन लोगों ने बस्ती से लेकर आजमगढ़ तक सिर्फ बोगस फर्म को ही नशे की दवा यानि कोडिन सीरप बेचा, ताकि भविष्य में किसी भी कार्रवाई से बचा सके, एक भी चलती फर्म को सीरप नहीं बेचा। नशे के कारोबार को बढ़ाने और उसके कारोबारियों को पनपने और बचाने में डीएलए और डीआई की महत्वपूर्ण भूमिका रही, इन दोनों ने पार्टनर की भूमिका अदा किया, पहले भी इन दोनों पर आरोपियों को बचाने का आरोप लग रहा था, आज भी लग रहा, जब कि यह विभाग प्रशासन के अंडर में है।

संगठित गिरोह की तरह नशे के कारोबार करने वालों ने गरीबों के घरों को बर्बाद और बच्चों की मौत पर करोड़ों कमाया। अगर इसकी एसआईटी और आईटी विभाग से जांच हो जाए तो धनवान और इज्जतदार कहे जाने वालों की चढढी औेर बनियाइन दोनों उतर जाएगी, और यह लोग जेल में नजर आएगें। सवाल यह नहीं हैं, कि कारोबार कागजों में हुआ या फिर गलत को सही करने के लिए बस्ती और आजमगढ़ में बोगस फर्म खोला गया, सवाल यह उठ रहा है, कि दवा का होलसेल का कारोबार करने वालों के सामने ऐसी कौन सी पैसे की मजबूरी आ गई, कि उन्हें नषे का कारोबार करना पड़ा, वैसे भी इनके पास पैसे की कोई कमी नहीं होती, यह अपने आप में ही धनवान होते है। तो फिर ऐसी कौन सी मजबूरी हो गई, जो इन नामचीन लोगों को नशे का कारोबार करना पड़ा, वह भी ऐसा कारोबार जिसके करने से न जाने कितने परिवार उजड़ जाते हैं, और न जाने कितने मासूम बच्चों की मौत हो जाती? क्या ऐसे लोगों को परिवार और अपनी बदनामी का कोई खौफ नहीं? इसी लिए ऐसे लोगों के खिलाफ समाज कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहा, जो लोग पैसे के लिए कुछ भी कर सकते हैं, उन्हें समाज से बहिष्कार कर देना चाहिए। कहा भी जाता है, कि जो लोग पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए, कि उनका भी परिवार हैं। नशे का कारोबार करके परिवारों को तबाह और बर्बाद करने वाले यह भूल जाते हैं, इसका खामियाजा उन्हें या फिर उनके परिवार को भी किसी न किसी रुप में अवष्य मिलेगा। बचाव में उतरने वाला एक ऐसा विषेष वर्ग हैं, जिनपर पहले भी कहीं न कहीं और किसी न किसी रुप में आरोप लग चुके हैं, कहने का मतलब वही लोग बचाव कर रहे हैं, जो खुद कहीं न कहीं और कभी न कभी गलत रहें है। एक गलत व्यक्ति ही गलत व्यक्ति का साथ दे सकता है। चर्चा तो बचने के लिए चंदे के रुप में 20 लाख एकत्रित करने की भी है।

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *