‘नशे’ के ‘कारोबार’ में ‘बीसीडीए’ के ‘अध्यक्ष’ और ‘पत्नी’ लिप्त!
- Posted By: Tejyug News LIVE
- क्राइम
- Updated: 12 December, 2025 22:36
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‘नशे’ के ‘कारोबार’ में ‘बीसीडीए’ के ‘अध्यक्ष’ और ‘पत्नी’ लिप्त!
बस्ती/उत्तर प्रदेश
-क्यों नहीं बीडीए के अध्यक्ष एवं हर्ष मेडिकल सेंटर के राजेश सिंह, उनकी पत्नी दिव्या सिंह, गोपाल फार्मा की खुशबू गोयल, आईडिएल फार्मा हुसन आरा पत्नी इकबाल, मसर्स संस फार्मा के मोहम्मद फैसल इकबाल, डीएलए, और डीआई के खिलाफ भी दर्ज हुआ मुकदमा, क्यों ऐसे गणपति नामक फार्मा के खिलाफ दर्ज हुआ, जो अस्तित्व में ही नहीं
-पुलिस और प्रशासन क्यों ऐसे व्यक्ति की तलाष कर रही है, जो हैं, ही नहीं? और क्यों नहीं उन पांचों फर्मो के प्रोपराइटर पर शिकंजा कस रही, जिसने गणपति फार्मा को 1.76 लाख कोडीन सिरप बेचा?
-पांचों फर्म न सिर्फ सरकार की बल्कि पूरे समाज की दुष्मन हेै, इन लोगों ने अनैतिक पैसा कमाने के लिए लाखों परिवारों का बर्बाद कर दिया, परिवार के मुखिया को नशे का आदी बना दिया
-पैसे के लिए जिस तरह फर्मो के मालिकों और डीएलए एवं डीआई ने नषे को बढ़ावा दिया, उसके लिए इन लोगों की जितनी भी निंदा की जाए कम होगी, खासतौर पर सरकारी नौकरी में रहते हुए जिस तरह डीएलए और डीआई ने नशे के कारोबारियों का साथ दिया, उसके लिए दोनों को निलंबित कर देना चाहिए
-नशे का कारोबार करने वालों और डीएलए एवं डीआई ने पिछले दो सालों में लगभग 10 करोड़ कमाया, 100 रुपये की सीरप को 700-700 रुपये में बेचा, बस्ती ही नहीं आजमगढ़ में इन लोगों ने बेचा
-गणपति फार्मा को लाइसेंस देने में सबसे अधिक भूमिका डीएलए और डीआई की रही, कैसे एक फर्म को होलसेल का लाइसेंस दे दिया, जो अस्तित्व में ही नहीं? पैसे के लालच में आईडी और चौहदी का सत्यापन तक नहीं किया
-अधिवक्ता दुर्गा प्रसाद उपाध्याय ने डीएलए, डीआई सहित पांचों फर्मो के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने और सभी की संपत्त्यिों की जांच करने की मांग शासन और प्रशासन से की
बस्ती। पैसे के लिए अगर बस्ती केमिस्ट एंड डग एसोसिएशन यानि बीसीडीए के जिलाध्यक्ष और उनकी पत्नी नशे के कारोबार में लिप्त पाई जाती है, तो इससे अधिक षर्म की बात और क्या हो सकती? आज जिला ही पूरा प्रदेश नशे के कारोबार में लिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहा है, इन्हें समाज का दुष्मन कह रहा। कह रहे हैं, यह लोग सरकार और समाज के तो दुष्मन है ही,? उन गरीब परिवारों के भी दुष्मन है, जिन परिवारों का मुखिया और बच्चे कोडीन सीरप पीकर नशे के आदी हो चुके हैं, उसके चलते न जाने कितने घर बर्बाद हो चुके है। जिले के पांच फर्मो के मालिकों और डीएलए एवं डीआई ने मिलकर लाखों घरों को बर्बाद कर दिया और यह सबकुछ सिर्फ पैसे के लिए किया। सवाल उठ रहा है, कि क्या पांचों मालिकों के लिए पैसा ही सबकुछ हैं? क्या इन्हें अपने और अपने परिवार के मान-सम्मान की कोई चिंता नहीं? क्या इन लोगों का समाज के प्रति कोई दायित्व नहीं? क्या यह सामाजिक प्राणी नहीं? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जो नषे के कारोबार में लिप्त रहें? कहा भी जाता है, ऐसे लोग भले ही पैसे और राजनीति के बल पर बच जाए, लेकिन सामाजिक रुप से यह नहीं बच सकते हैं, समाज ऐसे लोगों को ‘हेय’ की दृष्टि से देखता है। ऐसे लोगों का हिसाब-किताब भले ही षासन, प्रषासन, डीएलए और डीआई न करें, लेकिन उपर वाला अवष्य करता है। कहना गलत नहीं होगा, कि अध्यक्ष के संरक्षण में पिछले दो सालों में जिले में ही नहीं जिले के बाहर भी कोडीन सीरप जैसे नषे का कारोबार फल फूलता रहा। बीसीडीए के अध्यक्ष ने अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाए, उन लोगों का साथ दिया जो नषे का कारोबार करते है। यह समाज के हीरो बनने के बजाए विलेन बन गए।
सवाल उठ रहा है, कि क्यों नहीं बीडीए के अध्यक्ष एवं हर्ष मेडिकल सेंटर जिला अस्पताल के गेट नंबर दो के राजेष सिंह पुत्र बालाजी सिंह, उनकी पत्नी दिव्या सिंह निवासी कुदरहा के इजड़गढ छरदही, गोपाल फार्मा की खुशबू गोयल पांडेय बाजार बांसी रोड, आईडिएल फार्मा टाउन क्लब के सामने गांधीनगर हुसनआरा पत्नी इकबाल, मेसर्स संस फार्मा ग्राउंड फलोर जिला अस्पताल के गेट नंबर एक मोहम्मद फैसल इकबाल, ‘एस’ मेडिसिन सेंटर खीरीघाट दिव्या सिंह पत्नी राजेश सिंह, डीएलए, और डीआई के खिलाफ मुकदमा दर्ज दर्ज हुआ? क्यों ऐसे गणपति नामक फार्मा के खिलाफ दर्ज हुआ, जो अस्तित्व में ही नहीं? पुलिस, प्रशासन और डीआई क्यों ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहें हैं, जो हैं, ही नहीं? और क्यों नहीं उन पांचों फर्मो के प्रोपराइटर पर शिकंजा कस रहें और मुकदमा दर्ज कर रहें हैं, जिन्होंने गणपति फार्मा को 1.76 लाख कोडीन सिरप बेचा? इन पांचों फर्म को समाज न सिर्फ सरकार की बल्कि पूरे समाज का दुष्मन मान रही है। क्यों कि इन लोगों ने अनैतिक पैसा कमाने के लिए लाखों परिवारों को बर्बाद कर दिया, परिवार के मुखिया को नशे का आदी बना दिया। पैसे के लिए जिस तरह फर्मो के मालिकों और डीएलए एवं डीआई ने नशे को बढ़ावा दिया, उसके लिए इन लोगों की जितनी भी निंदा की जाए कम होगी, खासतौर पर सरकारी नौकरी में रहते हुए जिस तरह डीएलए और डीआई ने नषे के कारोबारियों का साथ दिया, उसके लिए समाज दोनों को निलंबित करने की मांग कर रही। नषे का कारोबार करने वालों और डीएलए एवं डीआई ने पिछले दो सालों में लगभग 10 करोड़ कमाया, 100 रुपये की सिरप को 700-700 रुपये में बेचा, बस्ती ही नहीं आजमगढ़ में भी इन लोगों ने बेचा। कहा जा रहा हैं, कि गणपति फार्मा को लाइसेंस देने में सबसे अधिक संदिग्ध भूमिका डीएलए और डीआई की रही, कैसे एक फर्म को होलसेल का लाइसेंस दे दिया, जो अस्तित्व में ही नहीं? पैसे के लालच में आईडी और चौहदी का सत्यापन तक नहीं किया। आखिर किसके दबाव में गणपति5 फार्मा को लाइसेंस दिया गया। सवाल तो सबसे अधिक बीसीडीए के अध्यक्ष पर ही उठ रहे हैं, और उनके पूछा जा रहा है, कि आखिर दो-दो होलसेल के लाइसेंस की जरुरत क्यों पड़ी? इनके साथ ही उन लोगों पर सवाल उठ रहे हैं, जो इनके संरक्षक बने हुए है। बतातें चले कि राजेष सिंह सिर्फ बीसीडीए के अध्यक्ष ही नहीं बल्कि आल इंडिया लेबिल के एआईओसीडी यानि आल इंडिया आर्रेनाइजेशन आफ केमिस्ट एंड डगिस्ट के भी पदाधिकारी है। अधिवक्ता दुर्गा प्रसाद उपाध्याय ने इसकी जांच एसआईटी एवं इंकम टैक्स विभाग से कराने और डीएलए, डीआई सहित पांचों फर्मो के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने और सभी की संपत्त्यिों की जांच करने की मांग शासन और प्रषासन से की है। पता चला है, कि डीएलए और डीआई मिलकर बीसीडीए के अध्यक्ष को बचाने में रात दिन एक किए हुए हैं, यह इस लिए बचा रहें हैं, मिलबांटकर खाया जा सके। बीसीडीए की पत्नी के नाम खीरीघाट स्थित एस मेडिसिन के खिलाफ तो पूरी तरह कार्रवाई कर दिया, लाइसेंस तक निरस्त कर दिया, लेकिन जो राजेश सिंह के नाम वाली हर्ष नामक फर्म हैं, उसके खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कोडीन सीरप पर मात्र प्रतिबंध कर दिया। किस नियम के साथ अलग-अलग तरीके से डीएलए एवं डीआई ने कार्रवाई किया, वह सवाल बना हुआ। खासबात यह है, कि सभी ने 1.76 लाख सीरप गणपति फर्म को ही बेचा। जिस मकान में गणपति फर्म का लाइसेंस दिया गया, उस मकान मालिक की लड़की ने पुलिस को यह बयान दिया है, कि उसे तीन माह का एडवांस दिया गया, लेकिन दुकान खुला ही नहीं, एक मेज तक नहीं रखा, दुकान बंद है।

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