जब बीडीए का गठन हो गया तो फिर क्यों हो रहा अवैध निर्माण?

जब बीडीए का गठन हो गया तो फिर क्यों हो रहा अवैध निर्माण?

जब बीडीए का गठन हो गया तो फिर क्यों हो रहा अवैध निर्माण?  

-यह सवाल आज हर कोई बीडीए के जिम्मेदारों से पूछ रहा है, कि आखिर बीडीए के होने और न होने का क्या मतलब, इससे अच्छा तो आरबीओ ही था

-रौता पार के दर्जनों लोग चिल्लाते रह गए कि अवैध निर्माण हो रहा, और जिसके चलते रास्ता प्रभावित होगा, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा, निर्माण हों गया

-कमिश्नर, डीएम, एडीएम और एक्सईन को लिखा पत्र फिर भी हो गया निर्माण

बस्ती। बीडीए का गठन ही इस लिए हुआ था, कि विकास हो, अवैध निर्माण रुके, लोग सवाल कर रहे हैं, कि जब बीडीए का गठन हो गया तो फिर क्यों अवैध निर्माण हो रहे हैं, और क्यों नहीं ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई होती जो बीडीए के नियम कानून को नहीं मानते, जब कि बीडीए का गठन ही अवैध निर्माण को रोकने के लिए हुआ था। अवैध निर्माण तो नहीं रुका अलबत्ता बढ़ अवष्य गया। क्यों बढ़ गया, इसे न लिख जाए तो बेहतर होगा। अगर बीडीए के एक भी जिम्मेदार ने अपनी जिम्मेदारी निभाई होती तो आज क्लार्कइन होटल में अंधेरा न होता। बहरहाल, जनता चाहें जितना चिल्लाए, चाहें जितना बीडीए के लोगों को अपषब्द कहे, लेकिन बीडीए के लोग सुधरने वाले नहीं हैं, कैसे सुधरेगें जब डीएम के आईजीआरएस का निस्तारण मेट करता है। 15 अप्रैल 25 को रौतापार के अजय श्रीवास्तव, राजेंद्र, पूनम पांडेय, षीला, विजय मिश्र, मीना वर्मा, रेनू श्रीवास्तवा, पुष्पा, सत्येंद्र नाथ श्रीवास्तव, अमरनाथ मिश्र, ओमप्रकाष सिंह, पुरुषोत्तम लाल श्रीवास्तव सहित अन्य ने एक्सईएन और डीएम को लिखा कि बीडीए के नियमों का उल्लघंन कर सार्वजनिक मार्ग को प्रभावित करने वाले रौतापार में टीआर चौधरी के आवास के सामने एवं आदित्य श्रीवास्तव के मकान के बगल में धीर सिंह के द्वारा अवैध निर्माण किया जा रहा है। इसकी षिकायत आईजीआरएस में भी हुई। बताया गया कि बीडीए के कोई सौरभ नामक व्यक्ति आए और विजिट किया पिक्चर भी लिया। कहा गया कि उक्त निर्माण न केवल अनधिकृत हैं, बल्कि सार्वजनिक मार्ग पर भी अतिक्रमण करता है। इससे क्षेत्र के लोगों को आवागमन में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अतिक्रमण होने से सार्वजनिक सुरक्षा को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। यह अतिक्रमण नियोजित विकास और व्यवस्था को कमजोर करने जैसा है। सभपी लोगों ने अपील के लीजे में कहा कि आप हम लोगों की परेषानियों को आकर देखे, तब आप लोगों को पता चलेगा कि इस अवैध निर्माण से लोगों को कितनी परेषानी हो रही है। जब इतने लोगों की अपील का बीडीए पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा तो यह लोग बीडीए के अध्यक्ष यानि कमिष्नर से मिले और कहा कि जन समस्याओं को देखते हुए तत्काल अवैध निर्माण को रोकवाया जाए। सचिव को भी इससे पहले सात अप्रैल 25 को अजय कुमार श्रीवास्तव, विजय मिश्र, सुनील गौड़ एवं विनोद श्रीवास्तव के द्वारा लिखा गया। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी लिए यहां के लोग कह रहे हैं, कि जनता को जब बीडीए के गठन से समस्या ही झेलनी है, तो फिर आरबीओ क्या बुरा था?

Comments

Leave A Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *